बुलंद हौसले के मालिक नेत्रहीन नीरज सिंह चौहान 

नीरज सिंह चौहान नेत्रहीन हैं लेकिन उनके हौसले और जज़्बे कमाल के हैं। इसलिए तो उन्होंने खेलों के क्षेत्र में भी अपने-आप को एक मुकाम पर पहुंचाया है। नीरज सिंह चौहान को सिर्फ और सिर्फ 6 मीटर तक ही दिखाई देता है और आगे की दुनिया उनके लिए अंधेरी होती है लेकिन इसके बावजूद भी वह दूसरों के लिए एक प्रेरणा हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। नीरज सिंह चौहान का जन्म उत्तराखंड की धरती के उत्तराकाशी ज़िले के गांव खनेरा भनसाड़ी में 2 अगस्त, 2000 को पिता कुंदन सिंह चौहान के घर माता दविन्द्री देवी की कोख से हुआ। नीरज ने जब होश सम्भाला तो हाथों के इशारों से बातें करने लगा और यह एक हकीकत थी कि उनको बहुत ही कम दिखाई देता था। उनकी नज़र फिर से आ जाए, माता-पिता ने कई यत्न किए लेकिन नीरज की नज़र वापिस नहीं आई और वह सारी ज़िन्दगी इसी तरह ही जीने के लिए मजबूर था। ज़िन्दगी को आगे चलाने के लिए एक मुश्किलों भरा पहाड़ी रास्ता, मुश्किल सफर लेकिन नीरज ने यह ठान लिया कि वह ज़िन्दगी शान से व्यतीत करेगा और यह हुआ भी, उन्होंने हौसलों की उड़ान भरी, जो आज तक जारी है। नीरज ने सातवीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी की तो माता-पिता ने उनको देहरादून के नेत्रहीन स्कूल एन.आई.वी.एच. में दाखिला दिलवा दिया। पढ़ाई के साथ-साथ नीरज ने खेलों के मैदान में भी पैर पसारने शुरू कर दिए और यह बड़ा इत्तेफाक था कि उनके स्कूल में एथलैटिक के कोच श्री नरेश सिंह नियाल का आगमन हुआ और नीरज सिंह चौहान के लिए वह किसी वरदान से कम नहीं था और फिर सफर शुरू हुआ एक कोच और खिलाड़ी का। नीरज सिंह चौहान को फुटबॉल खेलने का शौक था। उनके इस शौक को पालने के लिए उनके कोच नरेश सिंह नियाल ने उनकी तेज दौड़ को देखा तो उन्होंने नीरज को एक तेज धावक बनाने के लिए ट्रेनिंग देनी शुरू की और स्कूल, उत्तराखंड राज्य में एक तेज धावक के तौर पर नीरज सिंह चौहान अब तक कई पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। नीरज सिंह चौहान के नाम मैराथन दौड़, जो उन्होंने 1 घंटा और 51 मिनट में पूरी करके सभी हैरान कर दिया। वर्ष 2016 में उत्तराखंड पैरा-ओलम्पिक में उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में दो रजत पदक अपने नाम किए। वर्ष 2016 में ही इब्सा नैशनल स्पोर्ट्स मीट खेलों में नीरज ने 400 मीटर और 800 मीटर दौड़ में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कांस्य पदक जीता। वर्ष 2017 में उत्तराखंड पैरा खेलों में वह 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक और जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक हासिल करने में सफल हुए। वर्ष 2018 में उत्तराखंड खेल महाकुम्भ खेलों में 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक और वर्ष 2018 में ही लुधियाना में हुई एन.एफ.बी. राष्ट्रीय स्पोर्ट्स मीट में 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक, 1500 मीटर में रजत पदक जीता। पंचकूला (हरियाणा) में पी.सी.आई. राष्ट्रीय एथलैटिक्स मीट में 5000 मीटर में रजत और 1500 मीटर में कांस्य पदक जीत कर अपने कोच की खुशियों में बढ़ोतरी की। नीरज सिंह चौहान आजकल वर्ष 2019 में इब्सा अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने की तैयारी अपने कोच नरेश सिंह नियाल के पास कर रहे हैं और उनकी दिली तमन्ना है कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने देश का नाम रोशन करें। नीरज सिंह चौहान कहते हैं कि भले ही उनको सिर्फ 6 मीटर तक ही दिखाई देता है लेकिन जब मैं अपनी अंतर्रात्मा से रंगले संसार को देखता हूं तो बहुत खुशी महसूस करता हूं।