जाति बंधन

ट्रिन ट्रिन .. ..  हैलो .. .. बराड़ जी जल्दी आईए, दियोल साहिब बड़े गर्म हुए फिरते हैं। क्या बात हो गई बहन जी?
आप आओगे तो बताऊंगी।  दियोल साहिब की पत्नी का कभी ऐसे तो फोन नहीं आया। मुझे घबराहट होने लगी। उन का घर भी दूसरी गली में ही है। मैं शीघ्र ही पहुंच गया। घर जाते ही मैंने पूछा क्या बात है?  दियोल साहिब बोले, कुछ ठीक नहीं है। हमारे बेटे ने हमारी नाक कटवा दी है। मैं इसी वक्त उसे जायदाद से बेदखल करना चाहता हूं। उसे कहो मेरे घर से दफा हो जाए। मैंने दियोल साहिब की पत्नी से पूछा, बहन जी, आप ही बताओ क्या हुआ, मेरी तो समझ में कुछ नहीं आ रहा। वो सुबकते हुए बोली, इंद्र ने अपने लिए एक निचली जाति की लड़की को पसंद कर लिया है। उस का कहना है कि वो उसी से शादी करेगा। शादी तो जात-बिरादरी देख कर ही होती है। अगर इस तरह हो गया तो हमारी बदनामी हो जाएगी और  हम किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे। जब कि हम ढिल्लों साहिब को ज़ुबां दे चुके हैं। हमारी घर की बहू तो उन की बेटी ही बनेगी। यह सुन कर मैंने दियोल साहिब को ठंडा किया और उनकी पत्नी को भी धैर्या दिलाया। मैंने कहा कि अपना इंद्र तो पढ़ा-लिखा व समझदार है। हम सभी उस को समझाएंगे। इस का कोई तो समाधान होगा। उन्हें चुप देख कर मैंने कहा कि अगर इंद्र नहीं सुनेगा तो हम उस लड़की को मिलेंगे और कहेंगे कि वो इंद्र का पीछा छोड़ दे। यह कह कर मैं घर से बाहर आने लगा था तो मेरा सामना इंद्र से हो गया। मैं उस की ओर सवालिया नज़रों से देखने लगा। वो बोला, अंकल मैं अपने किए फैसले पर अटल हूं। मैंने बहुत सोच-समझ कर अपना जीवन साथी चुना है। मैं उसकी बेखौफ नज़रों का सामना नहीं कर पाया। मैं फटाफट घर से बाहर तो निकल आया पर मुझे मेरी आत्मा पर भारी बोझ महसूस होने लगा। एक तरफ दोस्त और उसकी पत्नी और दूसरी तरफ दोस्त के बेटे की खुशियां। दूसने दिन फिर दियोल साहिब की पत्नी का फोन आया। वो घबराए हुए थे। मैंने उत्सुक्ता से पूछा बहन जी, कहीं पिता-पुत्र में झगड़ा तो नहीं हो गया। वो बोली मुसीबतें हटने का नाम नहीं ले रही। दियोल साहिब का एकसीडैंट हो गया है। वो अस्पताल में दाखिल हैं और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लग पड़ी। मैंने उन्हें दिलासा दिया और कहा कि बहन जी घबराओ मत, मैं अभी आता हूं। मैं जल्दी ही पहुंच गया और दियोल साहिब की पत्नी से पूछा यह सब कैसे हो गया? वो रोते हुए कहने लगी कि कोई गाड़ी इन्हें टक्कर मार गई। अगर एक लड़की उन्हें समय पर अस्पताल न लेकर आती तो पता नहीं क्या हो जाता। मैंने सीनियर डाक्टर से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि खतरे की कोई बात नहीं है। अगर समय पर मरीज़ को अस्पताल न लाया जाता तो मरीज़ की जान जा सकती थी। मरीज़ को ठीक होने में कुछ समय लग सकता है। मैंने दियोल साहिब की पत्नी को कहा बहन जी, दियोल साहिब खतरे से बाहर हैं। हमें उस लड़की का धन्यवाद करना चाहिए। बहन जी बोले,मैंने उस लड़की को नहीं देखा, मुझे तो अस्पताल से ही पता चला कि कोई लड़की दियोल साहिब को अस्पताल ले कर आई है। इससे पहले कि मैं कुछ कहता नर्स ने मुझे कुछ दवाईयां लाने की पर्ची दे दी। मैं अस्पताल से बाहर आ गया।