बॉलीवुड की भूतगाथा

एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिखाया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक जगह पर रात में गश्त करते हुए पुलिस की 100 नंबर की वैन के सामने एक ‘भूत’ आ गया है, जो पैदल वैन की तरफ  धमकियां देता हुआ बढ़ रहा है। ऊपर से नीचे तक सफेद लिबास में यह भूत, थोड़ा झुकता हुआ सा लगता है, फिर वह खेतों की तरफ  चला जाता है। तभी एक रोशनी होती है और खेतों में उस भूत के पीछे अनेक कंकाल खड़े हुए दिखायी देते हैं। वीडियो में सिर्फ  इतना ही है।यह खबर स्थानीय अखबारों में भी प्रकाशित हुई है, जिसमें कहा गया है कि भूत देखने वाले पुलिसकर्मी इतने डर गये हैं कि बुखार से तड़प रहे हैं। आज इंटरनेट युग में भी लोग भूत-प्रेत जैसे अंधविश्वासों से घिरे हुए हैं, यह एक अलग बहस है। यहां मुद्दा यह है कि इस वायरल हुए वीडियो का भूत पूर्णत: हमारी हिंदी फिल्मों से प्रेरित प्रतीत होता है कि उसे देखकर डर की बजाय हंसी आती है। मैंने रामसे ब्रदर्स की तथाकथित ‘हॉरर’ फिल्मों को हमेशा ‘कॉमेडी’ के रूप में ही देखा है। यह संभव है कि मैं भूत प्रेतों में चूंकि विश्वास नहीं करता हूं, इसलिए मैं पर्दे पर दिखाए जाने वाले घटनाक्रम को गंभीरता से नहीं लेता और इस कारण से डरता नहीं हूं, लेकिन इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बॉलीवुड अभी तक यह तय नहीं कर पाया है कि सिनेमा में भूत या डर का प्रयोग किस तरह से किया जाये। ‘पुराने शंकर मंदिर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहां सिर्फ लाला बिशम्बर का भूत भटकता है, वह टूटे झूले पर बैठकर पुराना गीत गुनगुनाता है। यकीनन, मुड़े हुए पैरों वाला भूत झूले के ऊपर तैरता व गाता हुआ, असामान्य नजारा है, लेकिन पूर्णत: हानिरहित है। तुम उससे परेशान क्यों हो?’ यह मेरे चाचा ने उस समय समझाया था जब मैं बच्चा था और अपने गांव के बाहर शंकरजी के मंदिर में जाने से डरता था। बचपन में भूत प्रेत की कहानियां दादी से इतनी अधिक सुनी थीं कि उस समय मैं भी उन पर विश्वास करने लगा था। चाचा यह समझाना चाहते थे कि भूत हमेशा डर उत्पन्न करने के लिए नहीं होते हैं। वह हमारी विरासत का अटूट हिस्सा हैं। भूत कथाएं कॉमेडी, नाटकीय, त्रासदीपूर्ण या एक साथ यह सब कुछ हो सकती हैं। दुर्भाग्य से, हिंदी सिनेमा ने भूतों का प्रयोग अधिकतर डरावनी फिल्मों के लिए ही किया है और जब-जब उसने इस दायरे से बाहर निकलने का प्रयास किया है तो बात नहीं बनी है (वैसे डरावनी फिल्मों में भी डर कहां था?)। मसलन, शाहरुख खान व रानी मुखर्जी जैसे सितारों के बावजूद ‘पहेली’ (2005) फ्लॉप थी। इसकी असफलता के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन निश्चितरूप से भूत कोण से मदद नहीं मिली। भूत कथाएं हॉरर कॉमेडी के रूप में अधिक सफल रही हैं। मैं सिर्फ  उन फिल्मों की बात कर रहा हूं जो हॉरर कॉमेडी के रूप में मार्किट की जाती हैं, न कि उन हॉरर फिल्मों की जो अनजाने में कॉमेडी बन जाती हैं। इस विषय को बॉलीवुड में गंभीरता से कम लिया गया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह अधिक सफल रहा है। ‘भूतनाथ’, ‘गो गोआ गोन’, ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ व ‘गोलमाल रिटर्न्स’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अधिक कामयाब हुई हैं। यह फिल्म आर्थिक दृष्टि से जबरदस्त सफल रही, लेकिन रंजीत मूवीटोन ने अन्य फिल्में बनाने के बावजूद फिर कोई हॉरर कॉमेडी नहीं बनाई। 1952 में बनी ‘घुंघरू’ भी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफल थी। फिल्मकार लि. की इस फिल्म का निर्देशन हीरेन बोस ने किया था और ओम प्रकाश का इसमें डबल रोल था। इस फिल्म में दो जुडवा हैं- बालम व विनोद। बालम का कत्ल हो जाता है और उसका भूत विनोद के शरीर पर कब्जा कर लेता है, जोकि सीधा सादा व्यक्ति है, लेकिन जल्द ही अपने स्मार्ट भाई की तरह व्यवहार करने लगता है। विनोद के बेतुके व्यवहार से फिल्म में कॉमेडी उत्पन्न होती है और फिर वह बदले की कथा बन जाती है। आलोचकों ने ओम प्रकाश के अभिनय की जमकर तारीफ  की थी। बाद में इस विषय को दो और फिल्मों- ‘गज़ब’ (1982) व ‘हेलो ब्रदर’ (1999) में भी दोहराया गया । ‘गज़ब’ में धर्मेंद्र का डबल रोल था, कहानी ‘घुंघरू’ की ही तरह थी, बस इसे उलट दिया गया था कि मंदबुद्धि भाई की हत्या का बदला स्मार्ट भाई लेता है। धर्मेंद्र में जो कॉमेडी व एक्शन की जबरदस्त क्षमता है, उसका फिल्म में भरपूर उपयोग किया गया और फिल्म हिट रही। ‘हेलो ब्रदर’ में सलमान खान हंसमुख व प्यारा भूत बने हैं।  बंगाली की जबरदस्त सफल फिल्म ‘भूतेर भाबिश्यात’ (2012) को हिंदी में ‘गैंग ऑफ  घोस्ट्स’ (2014) के नाम से बनाया गया। इसे हिंदी की पहली हॉरर कॉमेडी के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन यह बुरी तरह से फ्लॉप रही। इससे पहले एक अन्य बंगाली हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘बंचारमेर बागान’ (1980) को हिंदी में ‘इसी का नाम जिंदगी’ (1992) के नाम से बनाया गया। यह भी फ्लॉप रही। ऐसा प्रतीत होता है कि रीमेक में अनुवाद के दौरान कुछ रह गया या फिर बंगाली भूतकथा शेष भारत को न हंसाती है और न ही डराती है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर