विधानसभा के सत्र में सत्ता पक्ष ने विरोधियों को लड़वाया


जूता प्रकरण के चलते हरियाणा विधानसभा का मानूसन सत्र कई खट्टी-मीठी यादें छोड़ गया। सत्र चाहे तीन दिनों की चार बैठकों तक सीमित था, लेकिन इस सत्र में घटी घटनाएं सालों साल याद की जाएंगी। इस विधानसभा सत्र के अंतिम यानि तीसरे दिन विधानसभा के दो सत्र हुए। सुबह के सत्र में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल द्वारा लाए गए एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रदेश के लाखों गरीब लोगों के राशन कार्ड आधार से जुड़े हुए न होने के कारण उन्हें राशन न दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए श्री दलाल ने कहा कि इससे हरियाणा कलंकित हो गया है। 
हरियाणा को कलंकित कहते ही सत्तापक्ष और श्री दलाल के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई और कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सहित सत्तापक्ष के ज्यादातर सदस्य करण दलाल के खिलाफ भड़क गए और उनसे अपने शब्द वापस लेने और माफी मांगने की जिद्द करने लगे। उनका कहना था कि श्री दलाल ने हरियाणा को कलंकित राज्य कहकर पूरे प्रदेश के अढ़ाई करोड़ लोगों को अपमानित किया है। तब तक मामला करण दलाल और सत्तापक्ष के बीच ही उलझा हुआ था। 
सत्ता पक्ष की गुगली से विपक्ष आपस में उलझा
इसके बाद वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने ऐसी गुगली फेंकी कि सत्तापक्ष एक तरफ हो गया और कांग्रेस व इनेलो को आपस में उलझा दिया। करण दलाल के मुद्दे पर बोलते हुए कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि सदन में नेता प्रतिपक्ष भी बैठे हुए हैं और उन्हें इस बात पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि दलाल द्वारा हरियाणा को कलंकित कहने पर उनको क्या कहना है। 
नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला और करण करण दलाल के बीच शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा है। अभय चौटाला ने कहा कि जो प्रदेश को गाली दे और कलंकित कहे उसे सदन से बाहर किया जाना चाहिए। सत्तापक्ष को बार-बार स्पीकर से आग्रह करने की बजाय ऐसे सदस्य के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहिए। यह बात सामने आते ही स्पीकर उलझन में पड़ गए और मामला ज्यादा गंभीर होता देख दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। 
करण सिंह दलाल एक साल के लिए सदन से बाहर
करण दलाल से जब स्पीकर ने अपने शब्द वापस लेने को कहा तो वे इस बात पर अड़ गए कि पहले स्पीकर कलंकित शब्द के बारे में अपनी रूलिंग दें कि क्या यह शब्द असंसदीय है? मामला पूरी तरह उलझा रहा और आखिरकार वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु विधानसभा में करण दलाल के खिलाफ एक प्रस्ताव लेकर आए और करण दलाल को एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। 
इसी बीच करण दलाल और अभय सिंह के बीच आपसी तकरार हो गई और दोनों तरफ से न सिर्फ जूते निकाल लिए गए, बल्कि सीधा टकराव होते ही एक दूसरे के प्रति अमर्यादित भाषा का भी इस्तेमाल किया गया। विधानसभा के मार्शलों व अन्य विधायकों ने बीच-बचाव कर मामला नियंत्रण से बाहर होने से बचा लिया लेकिन विधानसभा की मर्यादा जरूर तार-तार हो गई। 
नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद जैसे ही शुरू हुई तो पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कांग्रेस विधायकों ने करण दलाल को एक साल के लिए निलंबित किए जाने का विरोध करते हुए दो बातें कहीं। पहली बात तो यह कि विधानसभा के नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी सदस्य को एक साल के लिए निलंबित किया जाए। उनका यह भी कहना था कि नेता प्रतिपक्ष और करण दलाल के बीच जो आपसी टकराव हुआ और जूते निकालने की नौबत आई तो उस मामले में जब दोनों विधायक बराबर कसूरवार हैं तो फिर कार्यवाही एक के ही खिलाफ क्यों की जा रही है? इसके बाद सत्तापक्ष अभय चौटाला और करण दलाल के आपसी टकराव मामले को लेकर विधानसभा में एक निंदा प्रस्ताव लेकर आया और यह निंदा प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया। पहले तो सत्तापक्ष की गुगली में विपक्ष आपस में उलझ गया और हरियाणा को कलंकित कहने पर करण दलाल को एक साल के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।
असल मुद्दों पर नहीं हो पाई चर्चा
अभय चौटाला व करण दलाल में टकराव होने पर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ भी निंदा प्रस्ताव लाकर सत्तापक्ष ने विपक्ष को आपस में भिड़ा दिया और विधानसभा का जो समय अहम मुद्दों पर चर्चा, सरकार की विफलताओं, लोगों की समस्याओं और प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर व्यतीत होना चाहिए था, वह कांग्रेस और इनेलो के आपसी टकराव में निकल गया। इसी के साथ ही बाकी विषयों पर ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई और कांग्रेसी विधायक सदन से वाकआऊट कर गए और सदन की कार्यवाही जरूरी कामकाज बिना किसी बाधा निपटाने के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई।
कांग्रेस ने राजभवन व हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया 
इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेसी विधायक राजभवन पर भी दस्तक दे आए हैं और राज्यपाल से कहकर आए हैं कि करण दलाल का निलंबन बिना किसी नियम-कायदे के सत्तापक्ष ने नेता प्रतिपक्ष को साथ लेकर किया है और राज्यपाल इसमें दखल देकर इसे निरस्त करवाएं। 
इधर, नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला का कहना था कि करण सिंह दलाल ने उन्हें, उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला व दादा चौधरी देवीलाल को गाली दी, इसीलिए उन्हें जूता निकालना पड़ा। 
अब करण दलाल इस मुद्दे को लेकर न सिर्फ हाईकोर्ट चले गए हैं, बल्कि उन्होंने अपना निलंबन रद्द किए जाने के साथ-साथ जान को खतरा होने की बात कहते हुए सुरक्षा दिलवाए जाने की भी मांग की है। उनका यह भी कहना है कि सीबीआई द्वारा चौटाला परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामलों में वे सीबीआई के गवाह हैं और चौटाला परिवार इसी बात को लेकर उनसे नाराज़ है। मामला जो भी रहा हो लेकिन क्षणिक आवेश में आकर कही गई बातों और लिए गए एक्शन ने बात को बहुत आगे तक बढ़ा दिया है और यह मामला अभी ठंडा होने की बजाय न सिर्फ आगे भी चर्चा में रहेगा, बल्कि इस जूता प्रकरण को लेकर इस विधानसभा सत्र की चर्चा आने वाले सालों तक भी होती रहेगी। 
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