‘मी टू’  ऐसे शुरू हुआ आपबीती दास्तानों का तूफान

यौन शोषण की आपबीती कहानियों का पिछले साल अक्टूबर 2017 से पर्याय बन गया मी टू आंदोलन 10 साल पहले शुरू हुआ था। इसकी शुरूआत अमरीका की सामाजिक कार्यकर्ता तराना बर्के ने की थी। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनके द्वारा रचा गया यह मुहावरा ‘मी टू’ यौन पीड़ित महिलाओं का सबसे बड़ा संबल बन जायेगा। उन्होंने तो इस मुहावरे की रचना सोशल मीडिया का महिलाओं के सशक्तिकरण में इस्तेमाल के लिए किया था। साल 2006 में तराना बर्के ने पहली बार माई स्पेस सोशल नेटवर्क में ‘मी टू’ के साथ कोई बात कहने की कोशिश की थी, जिसका मकसद था समाज के हाशिए में पड़ी महिलाओं का दुनिया की सहानुभूति के जरिए उत्थान करना संभव बनाया जाये। इस मुहावरे ने हाशिए की महिलाओं का कितना सशक्तिकरण किया यह तो नहीं पता लेकिन पिछले साल अक्टूबर में जब हॉलीवुड के एक चर्चित प्रोड्यूसर के शोषण की कहानियों को इस मुहावरे के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया तो देखते ही देखते यह मुहावरा आपबीती दास्तानों का तूफान बन गया। जब यौन पीड़ित महिलाओं ने अपनी आपबीती दुनिया को सुनाने के लिए सोशल मीडिया में हैशटैग मी टू के साथ अपनी कहानियां डाली तो देखते ही देखते ये तीन शब्द सजगता और सशक्तिकरण के सबसे बड़े हथियार बन गये। यह सब तब हुआ जब इसे हॉलीवुड के चर्चित प्रोड्यूसर हार्वी वाइंस्टीन से शोषित महिलाओं ने अपनी कहानियां दुनिया को सुनाने के लिए इस्तेमाल किया।  लेकिन इस मुहावरे का इस्तेमाल इसके पहले भी ऐसी ही आपबीती के लिए हो चुका था, लेकिन तब यह इतना चर्चित नहीं हुआ था। हैशटैग मी टू का इस्तेमाल अपनी यौन पीड़ित कहानी को दुनिया के साथ साझा करने के लिए पहली बार जेसिका एडम्स नाम की महिला ने किया। गौरतलब है कि अमरीका के एक मशहूर संगीतकार जोर्डी व्हाइट ने जेसिका के साथ दुष्कर्म और यौन हिंसा की थी। जिसे जेसिका ने ज्यों का त्यों लिखकर सोशल मीडिया में हैशटैग मी टू शीर्षक के साथ डाल दिया था। इसे पता नहीं कितने लोगों ने पढ़ा। लेकिन कोई हंगामा नहीं हुआ। बाद में 24 अक्टूबर 2017 को मर्लिन मैनसन ने और फि र इसके बाद एश्ले जुड नाम की हॉलीवुड हीरोइन ने अपने यौन शोषण की आपबीती सुनाने के लिए इसे इंटरनेट में डाला, तो हंगामा खड़ा हो गया।  देखते ही देखते इसे दुनिया की लाखों महिलाओं ने पढ़ा और आपस में शेयर किया। साथ वे अपने साथ घटी ऐसी ही घटनाओं को इंटरनेट में हैशटैग मी टू के साथ डालने लगीं। इंटरनेट में मानो ऐसी आपबीती कहानियों का सैलाब आ गया। दुनिया के कोने-कोने से महिलाएं अपने दिल के अंधेरे कोनों में पड़ी ऐसी कहानियों को निकालकर सोशल मीडिया के उजाले में ले आयीं। देखते ही देखते यह ट्रेंड इतना तेज हो गया कि पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में आते-आते हर मिनट में ऐसी औसतन 10 कहानियां इंटरनेट में प्रेषित की जाने लगी। एक अनुमान है कि अभी तक 2 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने जीवन में अपने साथ हुए यौन शोषण की त्रासदी को इंटरनेट में डाला है। हॉलीवुड तो क्या बॉलीवुड भी इस ‘मी टू’ के आंदोलन से अछूता नहीं रह सका।  बॉलीवुड में ‘मी टू’ की शुरूआत अभिनेत्री तनु श्री दत्ता द्वारा की गई,जिसने नाना पाटेकर दरा अपने शोषण की दास्तां को शेयर किया। इसी के साथ ही कंगना राणावत का भी नाम सामने आया है। इस ‘मी टू’ आंदोलन में जिन प्रसिद्ध हस्तियों के नाम शामिल हैं, उसमें आलोकनाथ, नाना पाटेकर, साजिद नाडियावाला, गणेश आचार्य इत्यादि हैं। विकास बहल, चेतन भगत, रजत कपूर, कैलाश खेर, फिरोज खान और एम.जे. अकबर इत्यादि हैं। तनुश्री दत्ता का चाहे यह पब्लिक स्टंट या कंट्रोवर्सी कहा जा सकता है, लेकिन अन्य अभिनेत्रियों केभी नाम इसमें शामिल हैं इस ‘मी टू’ आंदोलन में कई अभिनेत्रियों ने एक दूसरे का साथ दिया है। बहरहाल मी टू हैशटैग आंदोलन ने किसी एक देश, किसी एक समाज को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। करोड़ों-करोड़ कहानियों ने यह खुलासा कर दिया है कि हम चाहे सभ्यता और शिष्टता के कितने ही मुखौटे क्यों ओढ़े रहते हों, लेकिन मुखौटों के भीतर हम सदियों पूर्ण के बर्बर इंसान ही हैं। हालांकि इस अभियान को कुछ लोगों ने एक प्रयोजित अभियान भी बताया और यह भी कहा कि इससे महिलाएं ताकतवर नहीं बल्कि कमजोर होती हैं। बावजूद इसके इस अभियान को रोका नहीं जा सका और यह भी कहा जा सकता है कि इस अभियान में दुनियाभर की महिलाओं को बहुत सजग बनाया है, एक किस्म से इस अभियान का फायदा यौन शिक्षा और सजगता के रूप में मिली है। इस अभियान के बाद दुनिया के तमाम देशों के स्कूलों में विशेष रूप से लड़कियों के लिए यौन शिक्षा देना शुरू किया गया साथ ही इन कहानियों से पुरुष भी महिलाओं के प्रति पहले से कहीं ज्यादा सहयोगी और ईमानदार हुए हैं।

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