प्रदेश में महंगे सीमेंट के मुद्दे पर घिरी जयराम सरकार

देश में महंगे सीमेंट का मुद्दा फि र उठ गया है, जिससे सरकार घिर गई है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इस मामले में मौन धारण किए हुए हैं। हिमाचल में बनने वाला सीमेंट चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में सस्ता बिक रहा है और हिमाचल में 100 से 150 रुपए से अधिक महंगा बिक रहा है। हिमाचल में अंबुजा, एसीसी और जेपी के सीमेंट के कारखाने हैं। अंबुजा सीमेंट दाड़लाघाट में है, तो एसीसी बरमाणा में है। प्रदेश में अल्ट्राटेक, अंबुजा और एसीसी सीमेंट क्रमश: 360, 365 और 370 रुपए प्रति बोरी है, वहीं पंजाब में 275, 250 और 285 रुपए और हरियाणा में 240, 245 और 255 रुपए के करीब है। हिमाचल के लोगों के साथ ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है, इसका जवाब किसी सरकार के पास नहीं होता है। वर्तमान में देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने प्रदेश में महंगा बिकने वाले सीमेंट का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर के समक्ष प्रदेश में सीमेंट के दाम कम करने का मुद्दा उठाया है और विधानसभा के बजट सत्र में भी बात कही थी, लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया। होशियार सिंह का कहना है कि जब सरकार को सीमेंट 292 रुपए प्रति बैग मिल सकता है, तो प्रदेश की जनता को क्यों नहीं मिल सकता। सरकार इन्हीं सीमेंट कंपनियों से सिविल सप्लाई विभाग के माध्यम से 292 रुपए प्रति बैग सीमेंट खरीद रही है। सीमेंट का मुद्दा पूर्व कांग्रेस सरकार के समय विपक्ष में रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और वर्तमान भाजपा सरकार के उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने स्वयं विधानसभा में उठाया था, लेकिन अब वही इस मुद्दे को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। विधायक समेत लोगों का कहना है कि सीमेंट उत्पादन करने वाली कंपनियों को सरकार ने प्रदेश की जमीन दी है और साथ ही दर्जनों सुविधाएं सरकार दे रही है। ये कंपनियां सीमेंट का उत्पादन कर प्रदेश में प्रदूषण फैला रही हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्टों में स्पष्ट है कि सीमेंट कारखानों के आस-पास गांवों में रहने वाले लोगों को सांस/त्वचा आदि की कई बीमारियां हो रही हैं। सीमेंट कारखानों का खमियाजा प्रदेश के लोग भुगत रहे हैं और ऊपर से प्रदेश के लोगों को ही सीमेंट महंगे दामों पर बेच रहे हैं। महंगे सीमेंट के मुद्दे पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का मौन यह साबित करता है कि उद्योगपतियों के सामने सरकार असहाय है। उद्योगपतियों पर सरकार दबाव नहीं डाल पा रही है कि वे प्रदेश में सस्ता सीमेंट बेचेें। उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि वह सीमेंट कंपनियों के मालिकों से बात कर रेट सार्वजनिक करवाएंगे। यह बयान भी अपने आप में अजीब सा लगता है। प्रदेश के लोगों को पंजाब, हरियाणा से सस्ता सीमेंट चाहिए, रेट सार्वजनिक करने से कोई लेना देना नहीं है। एक सीधा सा सवाल है कि प्रदेश में बनने वाला सीमेंट 500 किलो मीटर दूर जाकर भी सस्ता बिक रहा है और हिमाचल में सीमेंट उद्योग के समीप 10 किलोमीटर की दूरी पर 150 रुपए महंगा बिक रहा है। नेता इसका जवाब तो नहीं देते और जनता को गुमराह करने वाली बाते करते हैं। सरकार को चाहिए कि वह उद्योगपतियों से जवाब मांगे और दाम कम नहीं करते तो उचित कार्रवाई कर सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं बंद करे, लेकिन इन उद्योगपतियों के रसूख के आगे कोई भी सरकार, उद्योग विभाग, पॉल्यूशन विभाग कोई कार्रवाई नहीं करते। इसलिए अब जनता को समझना होगा कि सरकारें उद्योगपतियों के हित के आगे जनता की आवाज नहीं सुनतीं।  अपरहण, हत्या और रेप, कानून व्यवस्था पर घिरी सरकार देवभूमि हिमाचल में अपहरण, हत्या और रेप की घटनाओं से ऐसा लगने लगा कि यह भूमि भी अपराध स्थली बनती जा रही है। गत दिनों सोलन में एक स्कूली छात्र का अपहरण कर हत्या की घटना, चौपाल में युवक की हत्या, मनाली में विदेशी महिला से रेप, कांगड़ा में गैंगवार में युवकों की हत्या और ऊना में युवक की हत्या जैसे समाचारों ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। देवभूमि जैसे शांत प्रदेश में लगातार अपराधिक घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी तरह प्रदेश में नशे का व्यापार और खनन माफियाओं ने दहशत फैला रखी है और अब इस तरह की घटनाएं परेशान करने वाली हैं। इन आपराधिक घटनाओं को लेकर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चौपट हो गई है। मुख्यमंत्री विकास में नंबर वन प्रदेश का दावा कर रहे हैं, लेकिन हिमाचल अपराध के आंकड़ों में नंबर वन होने वाला है। वहीं सरकार कानून व्यवस्था पर कोई ठोस कार्रवाई करती नहीं दिख रही है। ऐसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री और मंत्री कुछ भी बोलने से कतराते हैं, जिससे सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सुक्खू को हटाने की मुहिम तेज  कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने की मुहिम तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह लंबे समय से सुक्खू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्हें हटाने की मांग करते आ रहे हैं। अब पूर्व मंत्री जीएस बाली ने भी सार्वजनिक तौर पर कहा है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए नए चेहरे की तलाश की जा रही है। जल्द ही हाईकमान उचित निर्णय लेकर प्रदेशाध्यक्ष की कमान किसी नए अनुभवी व्यक्ति को सौंपेगी। बाली के इस बयान से साफ  है कि अब सुक्खू को हटाने की मुहिम में वीरभद्र सिंह के साथ जीएस बाली भी आ गए हैं। मंत्रियों की लड़ाई सरकार के लिए मुसीबत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। सरकार बनने के बाद से ही आरोप लगते रहे कि सत्ता की कमान किसी और के पास है और सरकार पर नौकरशाही हाबी है, लेकिन अभी तक पर्दे के पीछे चलता रहा मंत्रियों और नौकरशाही का विवाद सार्वजनिक हो गया है। धर्मशाला से मंत्री किशन कपूर ने मुख्यमंत्री के समक्ष दुखड़ा रोया है कि शहर में सफ ाई नहीं हो रही है और निगम के अफ सर सुन नहीं रहे हैं। कपूर का निशाना अफसरों पर कम अपनी ही सरकार के मंत्री पर अधिक था, लेकिन अफ सरशाही पर भी सवाल खड़े हुए। जब निगम के अफ सर स्थानीय विधायक और सरकार में मंत्री की ही बात नहीं सुन रहे, तो फि र आम जनता की बात कैसे सुनेंगे। इसी तरह मंडी से मंत्री अनिल शर्मा का विवाद भी चल रहा है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा कहते हैं कि उन्हें बिजली बोर्ड में निर्णय लेने के पूरे अधिकार चाहिएं। मतलब ऊर्जा मंत्री बिजली बोर्ड के बारे में निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। इस तरह सरकार में बैठे मंत्रियों और अफसरों के बीच विवाद के चलते सरकार के कामकाज बाधित हो रहे हैं। कपूर ने तो यहां तक कह दिया कि अगर काम नहीं हुए, तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को मार पड़ेगी। अब देखना है कि सरकार के मुखिया जयराम ठाकुर मंत्रियों के विवाद और सत्ता पर हावी अफ सरशाही पर कैसे लगाम लगाते हैं।