एक जश्न की तरह लें ज़िन्दगी को

हमारा आचरण और व्यवहार दो विपरीत शब्दों की जोड़ी के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। यह दोनों शब्द सार्थक भी हैं और शाश्वत सत्य भी। बानगी देखिए - जीवन-मृत्यु, सुख-दु:ख ,लाभ-हानि , मान-अपमान , अपना-पराया, अच्छाई-बुराई, जय पराजय, मोल-अनमोल, नया-पुराना, सफल-असफल, अमीर-गरीब, मेरा-तेरा आदि। अगर इनमें आए पहले शब्द के नजरिए से जिंदगी को देखें तो चारों तरफ  खुशी दिखाई देगी और दूसरे को अपनाएं तो निराशा हाथ लगेगी और हर वक्त एक प्रकार का भय छाया रहेगा। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसकी मृत्यु नहीं होगी। प्रति दिन लाखों लोग सुबह का सूरज नहीं देख पाते, हमेशा के लिए सो जाते हैं।  हर कोई एक दिन मरता है और हर किसी का मौत का वक्त तय है तो फिर इस बात से क्यों डरा जाए कि मैं मर जाऊँगा और इस चक्कर में जीवन का आनंद लेना ही भूल जाएँ। बहुत से लोग इस बात का मातम मनाते रहते हैं कि वे गरीब हैं और इस कारण वे अमीर से नफरत तक करने लगते हैं। हकीकत यह कि वे स्वयं बहुत अमीर हैं लेकिन इस बात को स्वीकार करना भूल जाते हैं कि उन्हें भी उतने ही अंग-प्रत्यंग मिले हैं जितने दूसरों को और वे भी उसी दौलत से मालामाल है जो उनके जैसे ही किसी अन्य को जिसे अपनी ही गलतफहमी के कारण अमीर समझ लेते हैं। जिंदगी को एक उत्सव, एक त्योहार, एक अनमोल खुशी की तरह जीने वालों के लिए मानो मृत्यु का कोई वजूद नहीं होता। अभिवादन अक्सर सुबह की सैर करते हुए या बाजार में खरीदारी करते या घूमते-फिरते अचानक कोई अनजान व्यक्ति सामने आ जाने पर आप से नमस्ते, गुड मॉर्निंग कहता हुआ आपके पास से गुजर जाए और आपकी नजर पड़ते ही वह मुस्कराता हुआ आगे निकल जाए तो क्या आपके मन में एक राहत की भावना नहीं आती कि एक व्यक्ति जो आपसे अनजान है उसने पल भर के लिए आपको खुश महसूस करा दिया जबकि कुछ लोग हर वक्त साथ रहने या अक्सर आमना-सामना होने पर भी अनजानेपन का अहसास कराते रहते हैं। इसका क्या यह मतलब नहीं कि जिसने आपका अभिवादन किया उसके लिए जीवन का हरेक क्षण खुशनुमा है और वह आपको भी इसमें हिस्सेदार बना रहा है? आप ही एक बार अनजान व्यक्ति से अनजान जगह में बिना किसी प्रयोजन के मुस्करा कर अभिवादन कर दीजिए और फिर देखिए आप कैसा महसूस करते हैं। इसी तरह अपने दफ्तर या काम करने के स्थान पर अपने साथ काम करने वालों का अभिवादन करके देखिए और फिर उसके परिणाम स्वरूप उनकी प्रतिक्रिया को स्वीकार कीजिए। आपको लगेगा कि न केवल आप तनाव रहित हैं बल्कि आपके आसपास भी वातावरण कितना खुशनुमा है। अगर उस जगह कोई दिक्कत है भी तो वह आपके लिए आसानी का सबब हो जाएगी। अनुभव बाँटिए और सैर कीजिए जिंदगी को उत्सव की तरह जीने का एक बेहतरीन तरीका यह है कि आप अपने अनुभव दूसरों के साथ बिना यह सोचे शेयर कीजिए कि अगला क्या सोचेगा। आपको लगेगा कि आप अपने अगर कड़वे अनुभव भी बाँट रहे हैं तो आप तनाव रहित हो रहे हैं और आपके सामने अपनी कठिनाई से निकलने का रास्ता भी अपने आप खुल रहा है। जीवन में अच्छा-बुरा दौर हरेक के हिस्से में आता है। इस दौर से अपने आप को घुटन में मत रखिए बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति से शेयर कीजिए जो आपको समझता हो। जरूरी नहीं कि वह आपकी कोई मदद कर सके पर आपको इससे अपने मन पर पड़ा हुआ बोझ अवश्य कम होता हुआ लगेगा। तनाव रहित जीवन का अन्दाज बनाए रखने के लिए और अपने आपको तरोताजा या यूँ कहें कि जवान बनाए रखने के लिए जब भी मौका मिले या ऐसे अवसरों की तलाश कर उन्हें हाथ से जाने मत दीजिए जिसमें कहीं घूमने, नई जगह देखने की तनिक भी सम्भावना हो। यह खास तौर से उन लोगों के लिए रामबाण है जो रिटायर हो चुके हों, उनका वक्त नहीं कटता हो और घर परिवार होते हुए भी अकेलापन महसूस करते हों। इसलिए ऐसे मौकों को तलाशते रहिए और अगर कोई साथ न भी मिले तो अकेले ही निकल जाइए। इस सोच को दूर से प्रणाम कर दीजिए कि बाहर चले गए तो कौन देखभाल करेगा। कुछ हो गया तो क्या होगा। इस कौन, कुछ और क्या के दायरे से बाहर निकल कर जिंदगी का जश्न मनाते चलिए। ऐसी सोच बनने पर होगा यह कि जब चला चली का समय आएगा तो आप उसका भी स्वागत इस तरह करेंगे जैसे किसी मेहमान के आने पर करते हैं। जीवन को उत्सव की तरह जीने का अर्थ यही है कि जीवन की आपाधापी में संघर्ष की रेलमपेल में और रोजाना किसी न किसी तरह के उतार-चढ़ाव में अपना मानसिक संतुलन और शारीरिक बल बनाए रखते हुए भरपूर उसे जिया जाए। जिस तरह जिंदगी दोबारा नहीं मिलेगी उसी तरह मौत भी दो बार नहीं आने वाली, यह शाश्वत सत्य है।