होंद चिल्लड़ में 79 सिखों का कत्लेआम पुलिस की मिलीभगत से हुआ था, आर.टी.आई. में खुलासा

जालन्धर, 28 जनवरी (जसपाल सिंह): पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद नवम्बर 1984 में हरियाणा के होंद चिल्लड़, गुड़गांव व पटौदी में 79 सिखों के हुए कत्लेआम में पुलिस की मिलीभगत सामने आई है। यह खुलासा एक आर.टी.आई. में होने के बाद कत्लेआम पीड़ितों व समूह सिख भाईचारे के ज़ख्म एक बार फिर ताज़ा हो गए हैं। आर.टी.आई. में सामने आया है कि जहां निर्दोष सिख मारे गए वहीं पुलिस का पहरा था जबकि मामले को हैरान करने का पहलू यह सामने आया है कि जिन क्षेत्रों में पुलिस मौजूद नहीं थी वहां लोग सुरक्षित रहे। यह लोगों की रक्षा करने वाली पुलिस की मौजूदगी में सिखों को चुन-चुन कर मारने का अपने आप में एक दिल को हिला देने वाला मामला है। इस संबंधी होंद चिल्लड़ तालमेल कमेटी के प्रधान इंजीनियर मनविन्द्र सिंह ज्ञासपुरा ने आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन में 1 व 2 नवम्बर 1984 को घटना वाली जगहों पर तैनात पुलिस कर्मचारियों की सूची दिखाते हुए कहा कि पुलिस की मौजूदगी में ही 79 सिखों को बेरहमी से जीवित जलाकर मौत के घाट उतार दिया गया। यहीं बस नहीं गुड़गांव में 297 घरों-फैक्टरियों व पटौदी में 47 घरों व फैक्टरियों के अतिरिक्त होंद चिल्लड़ के पूरे गांव को ही जलाकर राख कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि आर.टी.आई. से हासिल की जानकारी से पता चला है कि उस समय गुड़गांव में 121 हैड कांस्टेबल व 697 सिपाही तैनात थे तथा इन सभी की ड्यूटी सिखों को बचाने की थी परन्तु उन्होंने सिख कत्लेआम में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि 1 नवम्बर 1984 को सिखों को मारने के लिए तत्कालीन एस.पी. सिन्हा ने अपने कार्यालय के सामने वाले पैट्रोल पम्प से एक हैड कांस्टेबल व 2 सिपाहियों की उपस्थिति में कातिल भीड़ को पैट्रोल मुहैया करवाया था तथा उनकी टोलियां बनाकर सिखों को मारने के लिए भेजा गया था। तत्कालीन डी.सी. भगती प्रसाद ने पीड़ितों की रक्षा नहीं की, उल्टा भीड़ को उकसाया, यहां तक कि उसने कत्लेआम पीड़ितों के लिए बने अस्थाई कैम्पों में पीड़ितों को पानी तक मुहैया नहीं करने दिया। ज्ञासपुरा ने बताया कि आर.टी.आई. द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि जहां पुलिस बल था उस क्षेत्र में सिख बेरहमी से कत्ल किए गए। आर.टी.आई. की रिपोर्ट के  अनुसार गुरुद्वारा सिंह सभा में एक अधिकारी, एक हैड कांस्टेबल व 11 सिपाहियों को मिलाकर 13 कर्मचारी मौजूद थे तथा इनकी मौजूदगी व संरक्षण में गुरु घर को आग लगाकर जलाया गया तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की गई। इसी तरह सेठी चौक में हैड कांस्टेबल व 5 कांस्टेबल मौजूद थे, जबकि जय सिनेमा के पास एक हैड कांस्टेबल व 3 कांस्टेबल तैनात थे। सोहना चौक में एक अधिकारी, 2 हैड कांस्टेबल व 18 कांस्टेबल मौजूद थे तथा सबसे अधिक कत्लेआम भी सोहना चौक में हुआ। यहां जोगिन्द्र सिंह पति श्रीमती हरबंस कौर, हरमिन्द्र सिंह, पति सुदेश कौर के अतिरिक्त 6 अन्यों को जीवित जला दिया गया था। आस-पास पूरे क्षेत्र में सिखों की दुकानों को आग लगा दी गई तथा घर-बार बर्बाद कर दिए गए। पोस्ट आफिस के पास एक अधिकारी, 2 हैड कांस्टेबल व 18 कांस्टेबल मौजूद थे तथा इसके साथ लगते क्षेत्र में 10 सिखों को जीवित जला दिया गया। फव्वारा चौक में एक अधिकारी, एक हैड कांस्टेबल व 8 कांस्टेबल मौजूद थे। बुतेश्वर मंदिर के पास 2 हैड कांस्टेबल व 6 कांस्टेबल मौजूद थे। यहां मंदिर के पास दो सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया। मिनी सचिवालय में 1 हैड कांस्टेबल व 3 कांस्टेबल मौजूद थे। गुरुद्वारा न्यू कालोनी में एक हैड कांस्टेबल व 8 कांस्टेबल मौजूद थे। गुरुद्वारा माडल टाऊन में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की गई तथा ग्रंथी सिंह सहित गुरु घर को अग्नि भेंट कर दी गई। इस तरह भीड़ के साथ मिल कर पुलिस ने किसी भी गुरु घर को न बख्शा तथा सभी गुरु घर जलाकर राख कर दिए। इसके अतिरिक्त रेलवे स्टेशन पर 4, बस स्टैंड गुड़गांव 8 पुलिस कर्मचारी, अजीत सिनेमा 5, दिलबहार होटल के पास 5, पिंडी सिल्क स्टोर के पास 5, गुड़गांव गांव के पास 11, बादशाहपुर के पास 6 व धारूहेड़ा के पास 8 पुलिस कर्मचारी तैनात थे। चौकों में ड्यूटियों के अतिरिक्त सोहना चौक से कबीर भवन तक एक हैड कांस्टेबल व 2 कांस्टेबल गश्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भजन लाल सिखों के साथ नफरत करते थे तथा एस.पी. सिन्हा व डी.सी. भगती प्रसाद ने भजन लाल को खुश करने के लिए ही इतने बड़े कत्लेआम को अंजाम दिया तथा इस बात को बाहर भी नहीं निकलने दिया जिससे 26 वर्ष तक यह सारा कत्लेआम किसी के नज़र नहीं पड़ा। इसके साथ ही ज्ञासपुरा ने बताया कि इस कत्लेआम की 18 एफ.आई.आर. दर्ज हुईं परन्तु पुलिस ने बड़ी सफाई से इन मामलों को 6 माह के अंतराल के बाद ही कलोज़िंग रिपोर्ट डाल कर 79 सिखों के कत्लों की फाइलों को सदा के लिए बंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि वह होंद चिल्लड़ की तरह गुड़गांव व पटौदी के मामलों में भी पुलिस के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में शीघ्र ही रिट दायर करेंगे तथा कातिलों को सज़ाएं दिलाकर रहेंगे।