क्या एक दिन टेस्ट क्रिकेट मर जायेगा ?

इस साल जुलाई-अगस्त में आपको एक नई किस्म की क्रिकेट लीग अपने टीवी पर देखने को मिलेगी, जिसका नाम है फेरिट क्रिकेट बैश (एफसीबी) और यह चेन्नई में आयोजित की जायेगी। 26 केन्द्रों से 16 टीमें इसमें भाग लेंगी। इसमें विशेष या नयापन यह है कि यह 15 वर्ष से ऊपर के गैर-पेशेवर खिलाड़ियों के लिए है। प्रत्येक पारी 15 ओवर की होगी और मैच सिंथेटिक गेंद से खेला जायेगा। श्रीलंका के महान ऑफ  स्पिनर मुथैया मुरलीधरन, जो खिलाड़ियों के मेंटर होंगे, का कहना है, ‘हर प्रशंसक या फैन का सपना व महत्वकांक्षा होती है कि वह किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धात्मक क्रिकेट खेले। एफसीबी इसे ही संभव बनायेगी।’ बैश के अन्य मेंटर हैं क्रिस गेल, जहीर खान व प्रवीण कुमार। अगर मुथैया मुरलीधरन का टेस्ट रिकॉर्ड देखें (133 मैच, 22.27 की औसत से 800 विकेट, एक पारी में पांच विकेट 67 बार और मैच में दस विकेट 22 बार) तो वह बहुत शानदार है। इसके बावजूद वह शोर्ट फॉर्मेट क्रिकेट को प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि धीरे-धीरे टेस्ट क्रिकेट मर जायेगा। उनका कहना है, ‘समाज बदल रहा है और क्रिकेट व क्रिकेटर भी बदल रहे हैं। आज के क्रिकेटर बहुत कमर्शियल हो गये हैं। मुथैया मुरलीधरन से अधिक टेस्ट क्रिकेट में किसी के विकेट नहीं हैं। कोई दूसरा उनके रिकॉर्ड के आसपास पहुंचने की स्थिति में भी नहीं है। चूंकि टेस्ट क्रिकेट में लोगों की दिलचस्पी कम हो रही है इसलिए लगता नहीं कि उनका कोई रिकॉर्ड तोड़ पायेगा, कम से कम निकट भविष्य में तो नहीं। मुथैया मुरलीधरन की परवरिश उस दौर में हुई जब श्रीलंका बहुत कठिन समय से गुजर रहा था। लेकिन मुथैया मुरलीधरन की आंखें हमेशा खुशी व उम्मीद से भरी रहीं, उन्होंने कभी मुस्कुराना बंद नहीं किया, जो उनकी इच्छा-शक्ति व दया के बारे में बहुत कुछ कह देता है। मुथैया मुरलीधरन महान हैं, लेकिन इसका उनमें कोई घमंड नहीं है। उनके पैर जमीन पर ही हैं और उनकी सादगी आकर्षित करती है। श्रीलंका का यह तमिल उन व्यक्तियों में से नहीं है जो उच्च स्तर पर कम सफलता प्राप्त गेंदबाजों को कोई महत्व न दे। मुथैया मुरलीधरन की परवरिश उन्हें किसी को नकार की अनुमति नहीं देती है। वह बताते हैं, ‘मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा चयन सही समय पर हुआ और मैं लगभग 20 वर्ष तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल सका। कुछ अति प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को शायद यह अवसर न मिला हो।’ अपनी ऑफ-स्पिन के साथ मुथैया मुरलीधरन किसी चतुर शिकारी से कम न थे। वह बल्लेबाजों को अपनी फ्लाइट, ड्रिफ्ट या डिप और टर्न व विविधता से परेशान करते, और अपनी निरंतरता से कभी दबाव को कम न होने देते। उनका सामना करते हुए बल्लेबाज की तकनीक व टेम्परामेंट की पूर्ण परीक्षा हो जाती थी। उन्हें सिर्फ  एक बल्लेबाज से डर लगता था, ‘वीरेंद्र सहवाग आपको अटैक करता था और यह प्रयास भी कि आप सेटल न हो पायें। मुझे उनसे डर लगता था और वह मुझसे डरते थे।’अब 46 वर्ष के हो चुके मुथैया मुरलीधरन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आये उतार चढ़ाव पर पैनी नजर रखे हुए हैं और स्ट्रांग माइंड की आवश्यकता पर बल देते हैं, ‘मैंने सहवाग से बहुत सीखा, वह कहा करते थे कि ‘हमेशा अगली गेंद आपकी प्रतीक्षा में रहती है’। हर दिन अलग दिन होता है। वह दिन या तो आपका है या नहीं है । लेकिन इस बात को आप अपने माइंड पर हावी न होने दें।’ जसप्रीत बुमराह अन्यों से अलग हैं और यह उनकी सबसे बड़ी ताकत है, ऐसा मुथैया मुरलीधरन का कहना है। उनके अनुसार, ‘बुमराह मुझे लसिथ मलिंगा की याद दिलाते हैं।  मुथैया मुरलीधरन के मुताबिक भारतीय कप्तान विराट कोहली अब अपने खेल पर चरम पर हैं। ’29 व 34 के बीच आप अपनी पॉवर के शिखर पर होते हैं, फिर आपका शरीर धीरे धीरे आपकी सुनना बंद कर देता है’। मुथैया मुरलीधरन फिटनेस पर बहुत बल देते हैं और कहते हैं, ‘एंजिलो मैथ्यू बहुत शानदार खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें हमेशा फिटनेस की समस्या रहती है। मैं समझता हूं कि यह जेनेटिक है। दो मैच खेलने के बाद उन्हें तीसरा छोड़ना पड़ता है, जिससे टीम का संतुलन बिगड़ जाता है।’ फिलहाल श्रीलंका की टीम बहुत कमजोर है। इसके लिए मुथैया मुरलीधरन स्कूल क्रिकेट के गिरते स्तर को दोषी मानते हैं, जबकि श्रीलंका के अच्छे खिलाड़ी इसी क्षेत्र से निकलते थे।

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