दिव्य कन्या ने किया था मुररा दैत्य का वध 

हिमाचल प्रदेश में छोटी काशी के नाम से सुशोभित मण्डी जनपद की सुन्दरनगर तहसील मुख्यालय से पश्चिम की ओर मुरारीधार की चोटी पर निर्मित मां मुरारी का प्राचीन भव्य मंदिर धार्मिक पर्यटकों की पहली पसन्द बनता जा रहा है। नवरात्रों, संक्रान्ति आदि त्योहारों पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां के चित्ताकर्षक व नयनाभिराम दृश्य से श्रद्धालुगण मानसिक, शारीरिक तौर पर नवीन ताज़गी व स्फूर्ति का अनुभव करते हैं। प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास के ग्यारह प्रविष्टे से यहां तीन दिवसीय मेले का विधिवत् आयोजन होता है। इस मंदिर प्रांगण में कभी कभी बर्फ  भी पड़ जाने से इसकी सुन्दरता को चार चांद लग जाते हैं। मंदिर प्रांगण में ठहरने, लंगर की उचित व्यवस्था है। रात्रि निवास हेतु वन विश्राम गृह, सराय की उचित व्यवस्था है। 19 अप्रैल 2005 से श्री श्री एक हजार आठ बाबा कल्याण दास काले बाबा के करकमलों द्वारा अन्नपूर्णां लंगर का शुभारम्भ किया बताया जाता है। लंगर भवन में बाबा कल्याण दास जी की प्रतिमा विद्यमान है। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूलों का भी विशेष प्रबन्ध है। जनश्रुति के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व इस निर्जन पहाड़ी के समीपवर्ती जंगल में रहने वाले राक्षस मुररा ने प्रजापिता ब्रह्मा की कठोर तपस्या से एक शर्त को छोड़कर अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया। प्रजापिता ब्रह्मा ने उसे एक कन्या से सावधान रहने व लोक कल्याण के कार्य करते रहने का निर्देश भी वरदान सहित दिया तथा मृत्यु को शाश्वत सत्य बताया। अहंकार वश अमर कहलाने को लालायित मुररा राक्षस के पाप व अत्यचार से धरती कांप उठी। देवलोक में भी त्राहि त्राहि मच गयी। देवराज इन्द्र भी उसके अत्यचारों से प्राणी जगत व देवलोक को बचाने में असमर्थ हो गये। उनकी पुकार सुनकर हरि  विष्णु ने मुररा राक्षस को युद्ध के लिए ललकारा। युद्ध में हरि विष्णु बहुत थक गये। तभी भगवान विष्णु ने अपना पसीना पोंछा। उस पसीने की एक बूंद धरती पर गिरने से एक दिव्य कन्या प्रकट हुई,  जिसने अहंकारी अत्याचारी मुररा राक्षस का वध किया। इस पापी राक्षस मुररा को मारने के कारण इस कन्या का नाम मुरारी माता प्रसिद्ध हुआ। कालांतर में मुरारी माता के नाम पर इस धार का नाम मुरारीधार प्रसिद्ध हो गया। मंदिर निर्माण व पिंडी स्थापना पांडव काल की बताई जाती है। मंदिर में प्रसिद्ध पंडितों द्वारा विधिवत् पूजा अर्चना व आरती होती है। भूकम्प से क्षतिग्रस्त हो जाने पर पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करके नया भव्य मंदिर बनाया गया है। सन्  1992 में मंदिर परिसर के कायाकल्प व समुचित रख-रखाव व्यवस्था हेतु श्री मुरारी माता मंदिर सेवा समिति रजिस्टर मुरारीधार बल्ह ज़िला मण्डी हि.प्र. के नाम से निर्मित कमेटी आम जनता व श्रद्धालुओं के सहयोग से समुचित प्रयासरत है। इस मंदिर में आने के लिए भक्तगण मंडी,सुन्दरनगर, बलद्वाड़ा, समैला,जाहू से कपाही, सिकन्दर धार होते हुये सड़क सम्पर्क मार्ग से समुचित आवागमन कर सकते हैं। जाहू सुन्दरनगर वाया तलेली चाय का डोहरा एसवाणे रा घाट सड़क मार्ग के सवाणे रा घाट बस ठहराव स्थल से भी पैदल करीब दो किलोमीटर घुमावदार पक्के पैदल रास्ते से भी दुधलाधार होते हुये निर्माणाधीन गुग्गा जाहरपीर मंदिर, बर्फानी बाबा मंदिर, प्राचीन शिव सति गुफा, सिद्ध गोदड़िया नाथ मंदिर, पांडवों व मुरारी मां चरण चिन्ह स्थान देखते हुये करीब एक घंटे में बारहमासा आवागमन सुलभ कर सकते हैं। लोकआस्था के अनुसार मुरारी माता मंदिर में सच्ची श्रद्धा से आने पर सर्व मनोकामना पूर्ण होती है। 

—रवि कुमार सांख्यान
मो. 98174-04571