गैर-कानूनी माइनिंग से पठानकोट के कई क्षेत्रों को खतरा 

पठानकोट, 6 जनवरी (संधू) : ज़िला पठानकोट के रावी और चक्की दरियाओं पर माइनिंग माफिया की नज़र के कारण गैर-कानूनी तौर पर हो रहे माइनिंग से पठानकोट के कई क्षेत्रों को खतरा पैदा हो चुका है और यदि गैर-कानूनी माइनिंग न रुकी तो हो सकता है कि पठानकोट के कई क्षेत्र इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएंगे। चक्की दरिया में गैर-कानूनी हो रही माइनिंग के कारण चक्की दरिया के नज़दीक पड़ते क्षेत्र प्रभावित है। उनमें ग्रामीण क्षेत्रों में गांव हरियाल, नारायणपुर, ढाका, तरेटी, हाड़ा, तरेटी नरंगपुर, बघार, सुखनियाल, खुखियाल, बासा, लधेटी शामिल है और शहरी क्षेत्र में नगर निगम पठानकोट के वार्ड नं. 20 में स्थित आधुनिक विहार, मोहल्ला सैली कुलिया कई क्षेत्र, उदासीन आश्रम, हिमाचल का बदरोया क्षेत्र, माजरा शामिल है। बरसातों के दिनों में होती बारिश और पहाड़ी क्षेत्र में बर्फ पिघलने के कारण दरिया में आम समय से पानी की आमद बढ़ जाती है। जिससे खतरा और भी बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में पहले ही चक्की दरिया के साथ लगते हिमाचल के गांव भदरोया में डेरा स्वामी जगत गिरी को जाती सड़क, पठानकोट-जालन्धर राष्ट्रीय शाह मार्ग पर स्थित चक्की दरिया में बने पुल के पैदल चलने वाले लोगों के लिए बना रास्ता, पठानकोट हवाई अड्डे को जाती सड़क, गांव चक्की पड़ाव में बना रेलवे पुल इसकी चपेट में आ चुके हैं। माइनिंग के कारण पहले भी एक बार पठानकोट से हिमाचल के जोगिंदर नगर तक चलने वाली रेल लाइन  और पठानकोट हवाई अड्डे का मार्ग प्रभावित हो चुका है। पठानकोट के गांव चक्की पड़ाव पर चक्की दरिया पर बने रेल पुल पर हर वर्ष लाखों रुपए खर्चे जा रहे हैं, परंतु गैर-कानूनी माइनिंग के कारण दरिया के गहरा होने के कारण इस पुल को खतरा बना हुआ है। जहां गैर-कानूनी माइनिंग से पठानकोट के कई क्षेत्रों पर लगातार खतरा बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर कहीं न कहीं हिमाचल प्रदेश की माइनिंग पालिसी भी इसकी ज़िम्मेवार है, क्योंकि हिमाचल की माइनिंग पालिसी के अनुसार दरिया के नज़दीकी ज़मीन लीज़ पर लेकर नियमों को पूरा करते हुए माइनिंग कारोबारियों द्वारा बड़े स्तर पर माइनिंग की जाती है और वहीं दूसरी ओर राज्यों में रेता, बजरी सप्लाई किया जाता है। गैर-कानूनी माइनिंग  के कारण चक्की दरिया बहुत गहरा हो चुका है और चक्की दरिया  के साथ लगते कृषि वाली ज़मीन बंजर होने के कगार पर पहुंच चुकी है। यहां तक कि पीने वाला साफ पानी भी लगभग 200 फीट नीचे जा चुका है और यदि समय रहते इस गैर-कानूनी माइनिंग को लेकर प्रशासन द्वारा कड़े कदम न उठाए गए तो इसके भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। चक्की दरिया में गैर-कानूनी तौर पर हो रही माइनिंग के कारण इस के नज़दीकी क्षेत्रों में रहते प्रभावित लोग लगातार लामबंद हो रहे हैं और लोगों  द्वारा जल तथा पर्यावरण संघर्ष कमेटी का गठन भी किया गया है। कमेटी प्रधान विनय रघुवंशी और उप-प्रधान मोहिंदर सिंह ने बताया कि चक्की दरिया में लगातार मिलीभगत से माइनिंग का काम जारी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कई बार प्रशासन को इसके बारे बताया गया है, परंतु प्र्रशासन द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही।