होने दें सामान्य शारीरिक क्रियाओं को

देह को ठीक रखने में कुछ सामान्य क्रि याएं स्वत: होती रहती हैं। हम प्राय: इन्हें बाधित करने का प्रयास करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इन शारीरिक क्रि याओं को सामान्य रूप से होने दें।
छींक:- नाक में अवांछित पदार्थ के घुसने पर नाक स्वाभाविक प्रतिक्रि या करती है जिससे हमें छींक आती है। छींक को रोकना खतरनाक है। छींक से नाक साफ होती है और अवांछित वस्तु के बाहर आने की पूरी संभावना होती है। यदि नाक में घुसा बाहरी पदार्थ शरीर में प्रवेश करे तो जुकाम, सिरदर्द, साइनस या सांस की तकलीफें पैदा कर सकता है।
मूत्र:- मूत्र आया हो तो उसे फौरन त्यागने का प्रयास करें। मूत्र अधिक देर तक रोकने से मूत्रशय में दर्द होने लगता है। मूत्र देर तक रोकने पर फिर मूत्र त्यागने में परेशानी होगी अर्थात दर्द के साथ-साथ रूक-रूक कर मूत्र निकलेगा। पेशाब रोकने से सिरदर्द, पथरी की समस्या या मूत्रशय में संक्र मण भी हो सकता है।
जम्हाई:- जम्हाई भी हमारी देह की सामान्य प्रवृत्ति है। जम्हाई रोकने से मांसपेशियों में अकड़न, नाक, आंख, गले और कान की बीमारियां हो सकती हैं। यही नहीं, जम्हाई को रोकने से हमारे शरीर में कंपन, थरथराहट या फिर मूर्छा की स्थिति भी आ सकती 
है।
नींद:- नींद भोजन से भी अधिक जरूरी है। अगर आप एक समय भोजन न करें तो आपके स्वास्थ्य पर कोई विशेष प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा मगर यदि आप एक रात सो न पाए तो आप दिन में सामान्य नहीं रह सकते। प्राचीन काल से आज तक सजा के तौर पर यह भी किया जाता रहा है कि जिसे सताया जाना है, उसे जबरदस्ती जगाए रखा जाए। सोने से पूरे शरीर को न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि शरीर नई ऊर्जा प्राप्त करता है। सोने पर ही हमारे शरीर की कोशिकाएं नवजीवन प्राप्त करती हैं जिससे शरीर अगले 12-14 घंटों के काम के लिए तैयार होता है। अनिद्रा की स्थिति में अनिद्रा रोग, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, मानसिक विकार, चिड़चिड़ापन, याददाश्त में कमी, बुद्धि हृस, दुर्बलता आदि का आप शिकार हो जाएंगे। 
प्यास:- जब हमें प्यास लगती है तो इसका मतलब यह होता है कि आपके शरीर को तरल पदार्थ की जरूरत है। हमारा शरीर पानी के बिना नहीं रह सकता। यदि हम प्यास की उपेक्षा करते हैं तो हमें गले और मुंह की खुश्की, बहरेपन, हांफने, बल की कमी, बेहोशी, डीहाइड्रेशन, कार्डिएक पेन और मृत्यु तक की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, अत: शरीर के सामान्य संचालन के लिए प्यास लगने पर पानी, जूस या लस्सी आदि कोई सामान्य तरल पदार्थ अवश्य पीना चाहिए।
आंसू:- आंसू में तमाम तरह के रसायन होते हैं। आंखों की बनावट ऐसी है कि अत्यधिक भावुक होने या बहुत दुखी होने पर आंखों से पानी (आंसू) निकलने लगता है। आंखों से जितना पानी निकले, उसे निकलने दें। इस प्रवृत्ति को दबाने से आंखों के रोग, मस्तिष्क रोग, सीने सिर में दर्द, चक्कर आना और पाचन तंत्र में गड़बड़ी हो सकती है।