वक्त बीत जाएगा.... स. भगवंत सिंह मान जी !

पंजाब इस समय एक नहीं, अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। कुछ चुनौतियां जन-समस्याओं की हैं, कुछ प्राकृतिक हैं तथा कुछ पंजाब के मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान ने अपनी ज़िदबाज़ी से अथवा ़गलत सहालकारों के प्रभाव में आकर खड़ी कर ली हैं। इनमें से ही एक प्रमुख चुनौती ‘अजीत’ अ़खबार तथा इसके मुख्य सम्पादक स. बरजिन्दर सिंह हमदर्द के साथ पैदा हुए टकराव की है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पंजाब, पंजाबी, पंजाबियत को समर्पित शख्सियत हैं। उन्होंने एक सम्मानजनक अध्यापक के घर जन्म लेकर करियर के रूप में जिस मार्ग को चुना, उसके माध्यम से उन्होंने एक समाज-सुधारक कलाकार के रूप में विचरण करते हुए पंजाब की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक समस्यओं के समाधान के लिए अनेक कार्य किये हैं। 
राजनीतिक क्षेत्र में आकर भी उन्होंने अपने पारिवारिक हितों की परवाह न करते हुए पंजाबियों के भले के लिए बड़े कार्य किये। पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद उम्मीद थी कि स. भगवंत सिंह मान मातृ-भाषा पंजाबी का मेधावी बेटा होते हुए पंजाब, पंजाबी तथा पंजाबियत की खुशहाली, मज़बूती के लिए ऐसे कार्य करेंगे कि जिनसे उनका नाम मातृ-भाषा को प्रत्येक पक्ष से अमीर बनाने के क्षेत्र में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। दुख की बात है कि हो इसके विपरीत रहा है। स. भगवंत सिंह मान ने पंजाब में पंजाबी भाषा का मान-सम्मान बढ़ाने की कई योजनाएं घोषित कीं, परन्तु उन पर क्रियान्वयन होने से पहले ही मुख्यमंत्री ने पंजाब तथा सिख विरसे को उभारने, प्रचार करने में योगदान डाल रही पंजाबी अखबारों के साथ ही व्यापक स्तर पर भेदभाव शुरू कर दिया। एक कलाकार, एक राजनीतिक नेता, प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में स. भगवंत सिंह मान की पंजाबी भाषा तथा पंजाब के प्रति जो ज़िम्मेदारी थी, पंजाबी अ़खबारों के साथ भेदभाव तथा ‘अजीत’ के साथ टकराव के कारण उस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। जिस ढंग से उन्होंने ‘अजीत’ के साथ बड़ा टकराव पैदा कर लिया है, उससे नहीं लगता कि भगवंत सिंह मान पंजाबी मातृ-भाषा के लिए वह कुछ कर सकेंगे, जिसकी उनसे पंजाबी शुभचिन्तकों, लेखकों, साहित्यकारों तथा अन्य संस्थानों ने उम्मीदें लगाई हुई हैं। हम समझते हैं कि स. भगवंत सिंह मान को ‘अजीत’ अ़खबार के मुख्य सम्पादक स. बरजिन्दर सिंह हमदर्द से पंजाब को प्रत्येक पक्ष से अमीर बनाने के लिए, दूसरे राज्यों से इस राज्य को प्रत्येक क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए मार्ग-दर्शन मिल सकता है, क्योंकि स. बरजिन्दर सिंह हमदर्द का इस क्षेत्र में लम्बा अनुभव है और वह इस संबंध में भिन्न-भिन्न समस्याओं पर भी समय-समय पर प्रगतिशील सम्पादकीय भी लिखते रहे हैं। इसका विगत समय में रही केन्द्र तथा पंजाब की सरकारों ने भरपूर लाभ भी उठाया है। 
स. बरजिन्दर सिंह हमदर्द के साथ टकराव के कारण पंजाब सरकार अनेक नये विवादों में फंस रही है। समय की ज़रूरत है कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पंजाबी अ़खबारों के साथ टकराव तथा भेदभाव की नीति छोड़ें। उनके ‘अजीत’ के साथ टकराव का मामला बहुत बड़ा नहीं है, परन्तु कई बार छोटे टकराव बड़ी उलझनों का रूप धारण कर जाते हैं। इसलिए इस टकराव के मुद्दे को जितनी जल्दी हो सके, हल कर लेना चाहिए। हम कहना चाहते हैं कि वक्त बीत जाएगा परन्तु इस वक्त में जो कुछ चूक जाएगा, उसकी भरपाई किसी भी स्थिति में नहीं की जा सकेगी। मुख्यमंत्री के रूप में भगवंत सिंह मान के पांच वर्ष कब बीत जाएंगे, इसका उन्हें भी पता नहीं चलेगा। इसके बाद बीत चुके समय को वापिस लाना भगवंत सिंह मान के बस में नहीं रहेगा। इसलिए समय की आवश्यकता है कि जिन ़गलतियों का बाद में इतिहास ने जवाब मांगना है, उन ़गलतियों को समय रहते ही सुधार लिया जाए। यही समय की मांग है।