विरोधी दलों की संयुक्त बैठक ‘आप’ सरकार के प्रैस तथा पंजाब विरोधी चेहरे को बेनकाब करने में सफल रही

एक जून को ‘अजीत भवन’ में सम्पन्न हुई विरोधी पार्टियों की संयुक्त बैठक की देश-विदेश में बहुत चर्चा हो रही है। पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत से प्रतिबद्धता रखने वाले और पंजाब की आवाज़ ‘अजीत’ को प्यार करने वाले लोग डटकर विरोधी पार्टियों की इस पहलकदमी का स्वागत कर रहे हैं और इस संयुक्त बैठक में उठे मुद्दों पर भी गम्भीरता से चर्चा कर रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनका समर्थक गोदी मीडिया ऊल-जलूल दलीलें देकर इस बैठक के महत्व को घटाने की कोशिश कर रहा है। हम समझते हैं कि विरोधी पार्टियों ने इस संयुक्त बैठक के रूप में जो पहलकदमी की है, उससे न केवल मौजूदा सरकार द्वारा अदारा ‘अजीत’ और इसके मुख्य सम्पादक डा. बरजिन्दर सिंह हमदर्द के खिलाफ शुरू की गई दमनकारी नीतियों का सच सामने आया है, बल्कि इसके साथ यह भी तथ्य सामने आये हैं कि मौजूदा भगवंत मान सरकार किस प्रकार से एक तरफ आज़ाद और निष्पक्ष मीडिया की विज्ञापन-बंदी करके उसका गला घोंट रही है, दूसरी ओर एक तरह से दीवालिया हो चुके पंजाब के स्रोतों का अंधाधुंध उपयोग करके पंजाब और देश भर के मीडिया में करोड़ों रुपये के विज्ञापन देकर अपनी झूठी पहचान बनाने की कोशिश में लगी हुई है। इस संयुक्त बैठक के साथ पंजाब के वे ज्वलंत मुद्दे भी सामने आए हैं, जिन्हें विरोधी पार्टियों को विधानसभा के अधिवेशनों में अक्सर उठाने का अवसर नहीं दिया जाता। इस कारण ये मुद्दे हाशिये पर ही पड़े रहते हैं, चाहे इनके साथ पंजाब के अस्तित्व के सवाल जुड़े हुए हैं। इस संयुक्त बैठक को पंजाब विधानसभा में विरोधी पक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस प्रधान अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, पंजाब भाजपा के प्रधान अश्विनी शर्मा, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, अकाली दल संयुक्त के नेता सुखदेव सिंह ढींढसा, शिरोमणि कमेटी के प्रधान हरजिन्दर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू, बिक्रम सिंह मजीठिया, बसपा प्रधान जसबीर सिंह गढ़ी, सी.पी.आई.एम. के सचिव कामरेड सुखविन्दर सिंह सेखों, लोक भलाई पार्टी के नेता बलवंत सिंह रामूवालिया आदि नेताओं ने संबोधित किया। इन कालमों में हम उन सभी मुद्दों को सामने लाने की कोशिश करेंगे, जो विरोधी पार्टियों की उक्त एकत्रता में उभर कर सामने आए हैं।
1. विरोधी पार्टियों की संयुक्त बैठक की शुरुआत ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के मुख्य सम्पादक डा. बरजिन्दर सिंह हमदर्द के संबोधन से हुई। उन्होंने पंजाब के प्रसिद्ध शायरों धनी राम चात्रिक और फिरोज़दीन शरफ की कविताओं के हवाले से बताया कि किस प्रकार लगभग 100 वर्ष पहले पंजाब खुशहाली की चरम सीमा पर था और दरियाओं सहित प्रकृति की नेहमतों से मालमाल था। देश में पंजाब का बोलबाला था और पंजाबियों का खान-पान और रहन-सहन, स्वस्थ और उच्च स्तर का था। पंजाबियों की बहादुरी का लोहा भी देश-विदेश में माना जाता था। उन्होंने दु:ख प्रकट किया कि आज पंजाब बहुत पिछड़ गया है। धरती के नीचे का पानी बहुत नीचे जा चुका है और इसके 15-20 वर्षों में पूरी तरह खत्म हो जाने की भविष्यवाणी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य का वातावरण बहुत प्रदूषित हो चुका है। हवा, पानी और ज़मीन अभिप्राय यह, कि समूचे प्राकृतिक स्रोत प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और नई पीढ़ी को अपना यहां कोई भविष्य दिखाई नहीं दे रहा। नौजवानों का एक बड़ा वर्ग नशों की भेंट चढ़ चुका है तथा एक और बड़ा वर्ग अपराध की दुनिया में प्रवेश करके गैंगस्टरों और अपराधियों का रूप ले चुका है, जिससे राज्य में बड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने सभी विरोधी पार्टियों को अपील की कि हमें पंजाब के इन ज्वलंत मुद्दों को हल करने के लिए और पंजाब को दोबारा खुशहाल राज्य बनाने के लिए पार्टियों की संक्रीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर आम सहमति बनाने हेतु संयुक्त उपाय करने चाहिए।
उन्होंने पंजाब सरकार की अदारा ‘अजीत’ और निजी तौर पर उनके खिलाफ शुरू की गई दमनकारी नीतियों की चर्चा करते हुए बताया कि मौजूदा भगवंत मान सरकार को ‘अजीत’ की स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता हज़्म नहीं हो रही। इसी कारण उन्होंने जंग-ए-आज़ादी यादगार करतारपुर के निर्माण में हुई कथित अनियमितताओं को मुद्दा बना कर अदारा ‘अजीत’ को ब्लैकमेल करने की कोशिश की है क्योंकि उन्होंने जंग-ए-आज़ादी यादगार के निर्माण की ज़िम्मेदारी 2013 में उस समय के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल के ज़ोर देने पर संभाली थी, क्योंकि वह देश की आज़ादी के संघर्ष में पंजाबियों द्वारा डाले गये अभूतपूर्व योगदान की याद में एक बेमिसाल यादगार बनाना चाहते थे, जोकि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे सके। यह काम उन्होंने (डा. बरजिन्दर सिंह हमदर्द ने) 10 वर्ष तक सख्त मेहनत करके और प्रदेश के इतिहासकारों, राजनीतिज्ञों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों के सहयोग से पूरा किया। पिछली सभी सरकारों ने इस प्रोजैक्ट की भरपूर प्रशंसा की, परन्तु मौजूदा सरकार ने इस प्रोजैक्ट के प्रति नकारात्मक रुख अपना कर इस संबंध विजीलैंस जांच के बहाने विवाद खड़ा करके अदारा ‘अजीत’ और निजी रूप में उनकी छवि खराब करने की कोशिश की, जिसका उनको बहुत दु:ख है। उन्होंने कहा कि विज्ञापन बंद करके भी अदारा ‘अजीत’ को झुकाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
2. संयुक्त बैठक में यह मुद्दा भी विशेष तौर पर चर्चा का विषय बना कि 2022 के विधानसभा चुनावों में राज्य के लोगों ने बड़ी आशाओं और उम्मीदों के साथ आम आदमी पार्टी को वोट डाले थे, लेकिन अब बहुत तेज़ी के साथ यह आशा और उम्मीदें टूटती जा रही हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी ठोस रूप में कुछ करने के स्थान पर विज्ञापनबाज़ी द्वारा ही राज्य के और समूचे देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। बैठक में बोलने वाले वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि बनाए गये मुहल्ला कलीनिकों में दूसरे स्थानों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के डाक्टरों और अन्य कर्मचारियों को लाकर नियुक्त कर दिया गया है, जबकि राज्य के अलग-अलग गांवों में इस कारण बहुत से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बंद होने के कगार पर पहुंच गये हैं। यह बात भी उभर कर सामने आई है कि मुहल्ला क्लीनिक पर अपनी फोटो लगवाने के शौक में अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहले लगी धार्मिक और राजनीतिक शख्सियतों की तस्वीरों और उनके नामों को हटाने से भी मुख्यमंत्री ने गुरेज़ नहीं किया। अमृतसर में पांच प्यारों के नाम पर बने स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी मुख्यमंत्री ने अपनी तस्वीरें लगवा ली थीं।
3. 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए वायदों के संबंध में भी संयुक्त बैठक में खूब चर्चा हुई। राजनीतिक नेताओं ने अपने भाषणों में तीखे व्यंग्य करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान से पूछा कि उस समय उनके नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अकेले रेत से वह प्रदेश के खज़ाने में 20 हज़ार करोड़ की आय ले आएंगे। आज उनके किए हुए वायदे कहां गए? नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदेश में वित्तीय स्रोतों का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग कर रही है और इस कारण एक वर्ष में ही उसने लगभग 45 हज़ार करोड़ रुपये का और ऋण प्रदेश के सिर चढ़ा दिया है। एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा मुफ्त बिजली देकर लोगों को वोट प्राप्त करने के लिए लुभाया जा रहा है, तथा दूसरी ओर कई प्रकार से टैक्स तथा फीसें बढ़ा कर करोड़ों रुपये लोगों की जेबों से निकाले जा रहे हैं। सरकार के सब तरह के यत्नों के बावजूद प्रदेश में औद्योगीकरण की गति तेज़ नहीं हुई, अपितु पहले लगे उद्योग भी दूसरे प्रदेशों में पलायन करते जा रहे हैं। पंजाब के किसानों के साथ भी अनेक प्रकार के वायदे किए गये, परन्तु सरकार किए गए वायदों को पूरा करने में विफल रही है, जिस कारण ऋण में डूबे किसान आज भी आत्महत्याएं कर रहे हैं। 

(शेष कल)