आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस : फायदे भी, नुकसान भी

अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नब्ज़ पढ़कर आपके मस्तिष्क की बात तुरंत पकड़कर उस पर क्रियान्वयन करने लगेगा। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) पल्स रेट द्वारा आपके मन की हर बात जानने में सक्षम हो सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आविष्कार वैज्ञानिकों ने मानव की सहायता के लिए और देश की बेहतरी के लिए किया है।
अभी तक तो अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इजरायल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में काफी आगे रहे हैं, परन्तु अब खाड़ी के देशों ने विगत 5 साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाकर केवल तेल के कुओं पर न निर्भर रह कर अन्य योजनाओं पर भी काम करना शुरू कर दिया है और आश्चर्यजनक रूप से यूएई, सऊदी अरबिया, कतर, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और अन्य देशों में यूरोप की तुलना में अब और ज्यादा खर्च करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक को अपने देश में बहुत मजबूत बना लिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जितने फायदे हैं, उससे ज्यादा विकासशील देशों के लिए यह हानिकारक भी हो सकता है। आपकी पल्स रीडिंग और मानसिक विचारधारा को केवल थंब इंप्रेशन में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डिवाइस पढ़ कर उस पर क्रियान्वयन कर सकता है। इस टेक्नोलॉजी से अमरीका तथा यूरोपीय देश अब तक दुश्मन की अनेक सूचनाएं बड़ी आसानी से प्राप्त कर उसका सामरिक उपयोग करने में लगे हुए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग रूस यूक्रेन के विरुद्ध मिसाइल दागने में कर रहा है यूक्रेन यूरोपीय तथा नाटो देश की मदद से इसी तकनीक के सहारे रूस के विरुद्ध अब तक टिका हुआ है। वैसे तो यूक्रेन और रूस का युद्ध में काफी नुकसान हुआ है, परन्तु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भरपूर उपयोग दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ कर रहे हैं।
विकासशील देशों में इस टेक्नोलॉजी का विकास अभी ज़्यादा एडवांस नहीं है। इन परिस्थितियों में उनके लिए उनके सामरिक महत्व की चीजें छुपाना दुश्मन देशों के सामने कठिन हो जाएगा और उनकी खुफिया जानकारी शक्तिशाली देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से केवल एक सूत्र मिलने के बाद पूरी तरह प्राप्त कर सकते हैं।
खाड़ी के देश जिनमें सऊदी अरब, कतर, मिस्र, जॉर्डन व यूएई शामिल है, अपने बजट का 34 प्रतिशत बढ़ा हुआ हिस्सा एआई तकनीक पर लगातार खर्च कर रहे हैं। खाड़ी के देश इस टेक्नोलॉजी का उपयोग इस वजह से कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी भविष्य की योजनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे वे तेल की कमाई से हटकर अन्य साधनों से अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकें। यूएई पहला देश है जिसने 2017 ने इस तकनीक को अपनाया था। इसके बाद खाड़ी के देशों में अब इस टेक्नोलॉजी को अपनाने में होड़ लग गई है। यह सभी देश एआई टेक्नोलॉजी पर लगभग 3 अरब डॉलर खर्च कर चुके हैं। दूसरी तरफ  यदि इसका इस्तेमाल अति विशेषज्ञों द्वारा नहीं किया गया तो इसका दुरुपयोग हो सकता है। जिन देशों के पास एडवांस टेक्नोलॉजी है, वह पूरी जानकारी निकालने में सक्षम होंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल यूरोपीय देश न सिर्फ सामरिक महत्व की चीजों में कर रहे हैं, बल्कि मेडिकल साइंस और अंतरिक्ष विज्ञान में भी पूरी तरह इसका इस्तेमाल हो रहा है और इससे बहुत फायदे भी मिल रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव प्रजाति के लिए जितना फायदेमंद है दूसरी तरफ  उतना ही हानिकारक भी है। इससे वैश्विक शांति को भी खतरा हो सकता है। यह भी माना जा रहा है कि रोबोट की तरह इस तरह की विज्ञान पर आधारित चीजें मानवता को खत्म कर सकती हैं। खाड़ी के देशों ने एआई के इस्तेमाल पर दिशा निर्देश तय कर उसे जारी किया है, हालांकि इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, फिर भी इसका दुरुपयोग होने से मानव को खतरा भी हो सकता है। यह एक चिंता का विषय है।

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