पांच राज्यों में योगी होंगे भाजपा के सबसे बड़े प्रचारक 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की कमान वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों में ही रहेगी, लेकिन पार्टी के सबसे बड़े प्रचारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे। पांच राज्यों में सिर्फ  एक राज्य मध्य प्रदेश है, जहां भाजपा के स्थानीय नेता खास कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव की कमान संभालते दिख रहे हैं। बाकी सभी राज्यों में केंद्रीय नेतृत्व ही चुनाव लड़ रहा है यानि जीत-हार दोनों ही स्थितियों के लिए मोदी और शाह ने अपने को दांव पर लगाया है। लेकिन प्रचार में उनके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की बड़ी भूमिका होगी। बताया जा रहा है कि भाजपा की ओर से प्रचार की जो रणनीति बन रही है, उसमे योगी आदित्यनाथ की बड़ी भूमिका तय की जा रही है। उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश के इलाकों में तो वैसे भी उनकी भूमिका होनी ही थी। लेकिन उससे बाहर भी पूरे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और यहां तक कि तेलंगाना में भी उनकी सबसे ज्यादा सभाओं की तैयारी हो रही है, क्योंकि इन सभी चुनावी राज्यों से उनकी रैली की मांग पार्टी के पास लगातार आ रही है।
कोरोना प्रबंधन के बारे में क्या पढ़ाया जाएगा?
एक बहुत दिलचस्प खबर आई है कि अब स्कूलों में बच्चों को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन और कोरोना प्रबंधन के बारे में पढ़ाया जाएगा। निश्चित रूप से चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है, जिसके बारे में बच्चों को बताया जाना चाहिए। जी-20 शिखर सम्मेलन हर साल बारी-बारी से सदस्य देशों में आयोजित होता है। इसलिए मेगा इवेंट के रूप में प्रचारित करने के अलावा उसके आयोजन में उपलब्धि जैसा क्या है? सवाल यह भी है कि कोरोना के प्रबंधन के मामले में क्या पढ़ाया जाएगा? लगता है सरकार कोरोना प्रबंधन के नाम पर वैक्सीन कार्यक्रम को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी। पिछले दिनों एक फिल्म आई थी ‘द वैक्सीन वॉर’। 
प्रधानमंत्री मोदी ने भी फिल्म की तारीफ  की थी लेकिन चूंकि फिल्म में लॉकडाउन, चिलचिलाती गर्मी में लाखों लोगों का पलायन, ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों, बिस्तर नहीं मिलने की वजह से अस्पतालों के बाहर तड़प-तड़प कर मरते लोगों, गंगा में बहती या गंगा किनारे दफन कर दी गई लाशों के बारे में कुछ नहीं दिखाया गया था, इसलिए फिल्म बुरी तरह से पिट गई। दो साल पहले लोगों ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा है, इसलिए उस पर पर्दा डालना मुश्किल है। इसीलिए सवाल है कि क्या स्कूलों में बच्चों को कोरोना की त्रासदी के हर पहलू के बारे में पढ़ाया जाएगा या राजनीतिक भाषणों की तरह यह बताया जाएगा कि भारत ने सबसे शानदार तरीके से कोरोना का प्रबंधन किया।
भारत-पाक मैच में तमाशेबाजी क्यों?
भारत में क्रिकेट की नई राजधानी के तौर पर उभर रहे अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पिछले दिनों को क्रिकेट के विश्व कप मुकाबले में भारत और पाकिस्तान का मैच खेला गया। सबको पता है कि ज्यादातर भारतीयों के लिए पाकिस्तान को हराने का मतलब ही विश्व कप जीतना होता है। पाकिस्तान को हराने पर भारत में वैसा ही जश्न होता है, जैसा विश्व कप जीतने पर होता है। इसीलिए भारत और पाकिस्तान के मैच की बड़ी हाइप रहती है, लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि आतंकवाद के नाम पर भारतीय टीम को पाकिस्तान नहीं भेजने और पाकिस्तानी खिलाड़ियों को आईपीएल में नहीं शामिल करने वाले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अहमदाबाद के मैच में बड़ा भारी तमाशा किया। बहरहाल, तमाशे की शुरुआत पाकिस्तानी टीम के अहमदाबाद पहुंचने से हुई। हवाई अड्डे से लेकर होटल तक टीम का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। सभी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को केसरिया पटका पहनाया गया, उन पर फूलों की बारिश हुई और उनके स्वागत में युवतियों का पारम्परिक नृत्य हुआ। मैच से पहले स्टेडियम में गाने-बजाने का बड़ा कार्यक्रम हुआ। अमित शाह सहित राजनीति, फिल्म और खेल जगत की अनेक हस्तियां मैच देखने पहुंचीं। हैरानी की बात यह है कि उद्घाटन मैच भी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ही हुआ था, लेकिन उस दिन कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। सवाल है कि उद्घाटन मैच की बजाय भारत-पाकिस्तान मैच में इस किस्म के कार्यक्रम का क्या मतलब था? दूसरे मैंचों से पहले ऐसे कार्यक्रम क्यों नहीं हो रहे हैं? कारण जो हो, लेकिन बीसीसीआई ने एक गलत परम्परा शुरू की है।
आंध्र प्रदेश में होगी जातिगत जनगणना 
ऐसा लग रहा है कि भाजपा शासित राज्यों को छोड़ कर देश के बाकी सभी राज्यों की सरकारें अंतत: जातिगत जनगणना शुरू कराएंगी या कराने का ऐलान करेंगी। एकाध प्रादेशिक पार्टी को छोड़ कर कांग्रेस सहित सभी सत्तारूढ़ प्रादेशिक पार्टियां जातिगत जनगणना करवा रही हैं। बिहार के बाद ओडिशा ने अपने यहां हुई जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए और अब आंध्र प्रदेश सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में अगले साल लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव होने वाला हैं। उससे पहले जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने नवम्बर में जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है। संभव है कि अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए जाएं। अगर ऐसा नहीं भी होता है तब भी सरकार वायदा कर सकती है कि वह चुनाव के बाद आंकड़े जारी करेगी और उस हिसाब से आरक्षण का प्रावधान करेगी। कांग्रेस ने भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा किया है। छत्तीसगढ़ में भी उसने दोबारा सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने राज्य में वधानसभा चुनाव की घोषणा से दो दिन पहले जातिगत जनगणना कराने की अधिसूचना जारी की। मध्य प्रदेश में कांग्रेस विपक्ष में है तो उसने अपने चुनाव घोषणापत्र में वादा किया है कि उसकी सरकार बनी तो जातिगत जनगणना कराएगी।
आम आदमी पार्टी की संसदीय समस्या
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की एक फिल्म अभिनेत्री से शादी की खबरों पर विराम लगा तो उनके अदालती मुकद्दमों की खबरें आने लगी हैं। उन्होंने पंडारा रोड का टाइप सात का अपना बंगला बचाने के लिए जहां हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, वहीं राज्यसभा से अपने निलम्बन के सभापति के फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। असल में राघव चड्ढा को मॉनसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को कार्यवाही समाप्त होने से एक घंटे पहले सदन से निलम्बित कर दिया गया था। उनका निलम्बन अभी तक जारी है। वह विशेष सत्र में हिस्सा नहीं ले पाए और न समितियों की बैठक में शामिल हो पा रहे हैं। अब पार्टी की मुश्किल यह है कि राज्यसभा में उसके नेता संजय सिंह को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है और राघव चड्ढा अनिश्चितकाल के लिए निलम्बित हैं। कट्टर ईमानदार पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इन दो के अलावा किसी नेता को राज्यसभा में भेजा ही नहीं है। उन्होंने सिर्फ कारोबारियों, खिलाड़ियों, चुनाव प्रबंधकों आदि को राज्यसभा भेजा है, जो सदन में बोलना तो दूर दिखते भी कम ही हैं। उधर लोकसभा में उनकी पार्टी के सिर्फ  एक सांसद हैं, जो कुछ दिन पहले ही उप-चुनाव जीत कर आए हैं और बोलते बिल्कुल नहीं हैं। सो, अगर यही स्थिति रही तो शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में पार्टी के पास बोलने वाला कोई नेता नहीं होगा।