पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अपने मुख्यमंत्रियों का भविष्य बाद में तय करेगी भाजपा

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका के बारे में चुनाव के बाद फैसला किया जाएगा। उनसे पूछा गया था कि क्या भाजपा ने इन दोनों का विकल्प खोज लिया है। इस पर उन्होंने कहा था कि दोनों नेता अपने-अपने राज्य में खूब मेहनत कर रहे हैं और इनके बारे में फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा। इन दोनों के साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी नाम जोड़ा जा सकता है। अभी तीनों की भूमिका स्पष्ट नहीं है। अगर चुनाव नतीजे ऐसे आते हैं, जिनमें आज़माए हुए नेता को ही कमान देने की ज़रूरत पड़ी तो ही ये लोग मुख्यमंत्री बन सकते हैं, जैसे 2019 में कर्नाटक में बी.एस. येदियुरप्पा और 2020 में मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। अगर हालात वैसे बनते हैं तब तो पुराने क्षत्रपों के लिए मौका बनेगा अन्यथा राज्य की राजनीति में उनकी पारी समाप्त होगी। तीनों क्षत्रपों को लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा जा सकता है। कहा जा रहा है कि जिस राज्य में भाजपा बड़ी जीत हासिल करेगी, वहां कोई नया नेता मुख्यमंत्री होगा और पुराने क्षत्रप को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। जहां भाजपा हारेगी वहां के क्षत्रप भी केंद्र में मंत्री बनाए जा सकते हैं, क्योंकि पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव में सभी बड़े क्षत्रपों की ज़रूरत है। 
प्रधानमंत्री की चिंता 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक को लेकर बड़ी चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि यह बहुत गंभीर खतरा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि उनका भी एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह गरबा कर रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज से कहा कि वह इस तरह के वीडियो के साथ चेतावनी जारी करे। लेकिन सवाल है कि अगर केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दलों की ओर से ऐसी फर्जी खबरों को फैलाने का काम होगा तो उसे कौन रोकेगा? प्रधानमंत्री के चिंता जताने के एक दिन बाद ही एक ऐसी फर्जी खबर फैली जिससे यह सवाल उठा कि इसे कौन रोकेगा? अचानक पूरे देश में सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हुई कि भारत की अर्थव्यवस्था चार खरब डॉलर की हो गई। इसका एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा था। केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और देश के शीर्षस्थ उद्योगपति गौतम अडानी ने भी उसे ट्वीट किया। हालांकि बाद में उन्होंने उसे डिलीट भी कर दिया। ऐसी खबरों पर रोक लगाने का तंत्र विकसित करना होगा।
एक और तजुर्बा!
अलवर लोकसभा सीट के भाजपा सांसद मंहत बालकनाथ को विधानसभा चुनाव में उतारने से इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या राजस्थान में उत्तर प्रदेश का प्रयोग दोहराया जा सकता है? भाजपा ने जिस तरह भगवा पहनने वाले और गोरखपुर की गोरक्षा पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ को देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनाया, उसी तरह क्या महंत बालकनाथ को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है? 
बालकनाथ नाथ सम्प्रदाय के आठवें महंत हैं। महंत चांदनाथ ने 2016 में एक बड़े आयोजन में महंत बालकनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। उस कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे। तब वह मुख्यमंत्री नहीं बने थे। बताया जा रहा है कि महंत बालकनाथ को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा ने बहुत सावधानी से हिन्दू मतदाताओं को यह संदेश दिया है कि बालकनाथ को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वह लगातार साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराने वाले बयान भी दे रहे हैं। उनके साथ एक खास बात यह भी है कि वह पिछड़ी जाति से आते हैं तो विपक्षी गठबंधन की जाति राजनीति के जवाब में भाजपा महंत बालकनाथ का चेहरा आगे कर सकती है। उनसे हिंदुत्व और ओबीसी दोनों का नैरेटिव साधने में मदद मिलेगी। वह अपने लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
दिल्ली में किसकी सरकार?
दिल्ली की चुनी हुई अरविंद केजरीवाल सरकार और उप-राज्यपाल के बीच ऐसी ठनी है कि किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार कौन चल रहा है। दोनों के बीच विवाद का नतीजा यह है कि छोटी-छोटी बातों के लिए लोग अदालत जा रहे हैं और अदालती फैसलों से सरकार चलती दिख रही है। रोजमर्रा के प्रशासन से जुड़े छोटे-छोटे मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले आ रहे हैं। गत सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मथुरा रोड पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के पास फ्लाई ओवर के ऊपर यू-टर्न को चालू किया जाए। सवाल है कि क्या यह मामला हाईकोर्ट के विचार के लायक है? इसी तरह सोमवार को ही हाईकोर्ट ने एक अन्य फैसले में इस बात पर नाराज़गी जताई कि छह स्कूलों की इमारतें बन कर तैयार हैं लेकिन पैसे बकाया होने की वजह से उनका कब्ज़ा नहीं लिया जा सका है। अदालत ने स्कूलों का कब्जा लेकर उनमें पढ़ाई शुरू कराने का आदेश दिया। इसी तरह एक मृत पुलिसकर्मी के परिजनों को एक करोड़ रुपये देने का आदेश भी हाईकोर्ट ने दिया है। दिल्ली में रोजमर्रा के कामकाज को लेकर दिए जा रहे अदालत के आदेशों की लम्बी सूची बन सकती है। दिल्ली में प्रशासन के कई ढांचे हैं। एक दिल्ली सरकार है, दिल्ली नगर निगम है, उप-राज्यपाल के जरिए केन्द्र का शासन है और सेना का प्रशासन है। इसके बावजूद अदालत को सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी निभानी पड़ रही है?
वरुण गांधी की कविता
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपने चुनाव क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में एक तुकबंदी पढ़ी। उन्होंने कहा, ‘तुम्हारी मोहब्बत में हो गए फना, मांगी थी नौकरी मिला आटा, दाल, चना।’ उनका इस तरह तंज़ करना मामूली बात नहीं है। उन्होंने सीधे तौर पर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हर साल दो करोड़ रोज़गार देने का वादा किया था, लेकिन बेरोज़गारी की दर देश में बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर मोदी ही देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में पांच किलो अनाज बांट रहे हैं। पिछले साल चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार एक-एक किलो दाल भी बांट रही थी। इन दोनों बातों का वरुण ने मज़ाक उड़ाया। सवाल है कि इसका राजनीतिक मतलब क्या है? यह सही है कि भाजपा के प्रवक्ता अभी उनका नाम लेकर उनकी आलोचना नहीं कर रहे हैं, लेकिन सबको पता है कि वह जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वह रास्ता उनको भाजपा से दूर ले जा रहा है।