बढ़े हुए नाखुन 

प्रतीक्षा कई दिनों से अच्छी तरह खाना नहीं खा रही थी। उसके मम्मी यह देखकर बहुत हैरान थी कि वह स्कूल से खाने वाला डिब्बा बिना खाए ही ले आती थी। वह घर आकर भी अपनी मम्मी की डांट से डरकर ही थोड़ा बहुत खाकर खाना छोड़ देती थी। उसके मम्मी ने उसे प्यार से और डांटकर पूछा भी कि वह खाना क्यों नहीं खाती लेकिन वह असलियत बताने की बजाए कोई ना कोई बहाना लगाकर बात को टाल देती थीं। दो महीने के बाद उसकी दसवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा भी आने वाली थी। उसकी बीमारी को लेकर उसकी मम्मी की चिन्ता बढ़ती जा रही थी। उसकी मम्मी ने उसके पापा के साथ भी उसके खाना ना खाने और पेट में दर्द होने की बात की। उसके पापा ने भी उसे खाना ना खाने के बारे में पूछा। परन्तु प्रतीक्षा ने अपने पापा को भी सच्चाई बताने की बजाए बात टाल दी। 
एक दिन उसके स्कूल से उसकी कक्षा अध्यापिका का फोन आया कि प्रतीक्षा के पेट में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है, उसे आकर ले जाओ। उसके पापा उसके पेट में ज्यादा दर्द होते देख उसे तुरंत अस्पताल ले गए। डाक्टर ने उसकी हालत देखकर अस्पताल में भर्ती करने को कहा। डाक्टर ने उसके पेट का एक्सरे तथा अल्ट्रा साउंड भी किया लेकिन बीमारी का पता ना चल सका। डाक्टर तथ्य प्रतीक्षा के पापा हैरान थे कि उसको आराम क्यों नहीं आ रहा तथा उसकी बीमारी का पता क्यों नहीं चल रहा।
प्रतीक्षा के इंजेक्शन लगाते हुए डाक्टर की नज़र अचानक उसके हाथों की ओर गई। उसकी अंगुलियों के बढ़े हुए नाखुन देखकर डाक्टर हैरान रह गया और उसे उसकी बीमारी की समझ भी आ गई। उसने प्रतीक्षा के खून के टेस्ट करवा कर उसे दवाई दे दी। कुछ दिनों के बाद प्रतीक्षा का दर्द ठीक हो गया और उसने खाना खाना शुरू कर दिया। डाक्टर ने उसे घर भेजते हुए कहा, बेटा- यदि तुम भविष्य में स्वस्थ रहना चाहते हो तो घर जाकर सबसे पहले अपने बढ़े हुए नाखुन काटना नहीं तो तुम्हारे पेट में फिर दर्द हो सकता है। तुम्हारे पेट में दर्द होने तथा भूख ना लगने का कारण तुम्हारे ये नाखुन ही हैं। 
प्रतीक्षा ने डाक्टर को प्रश्न किया, डाक्टर साहिब, वह कैसे? डाक्टर बोला, बेटा, इन नाखुनों के द्वारा तुम्हारे पेट में गंदगी गई थी और उस गंदगी ने तुम्हारे पेट में इन्फेक्शन पैदा कर दी थी। इन्फेक्शन के कारण ही आपके पेट में दर्द हो रहा था और तुझे भूख नहीं लग रही थी। 
प्रतीक्षा ने डाक्टर को फिर प्रश्न किया, डाक्टर साहिब, नाखुन तो मेरी कक्षा की अन्य लड़रिकयों ने भी बढ़ाए हुए हैं, उनके पेट दर्द क्यों नहीं हुआ? डाक्टर ने उत्तर दिया, बेटा, बाहर की गंदगी का सबके पेट पर असर पड़ता है, लेकिन जिन बच्चों को शरीर की बीमारी के प्रभाव का पता नहीं चलता, उनको भी कभी ना कभी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होना ही पड़ता है। घर जाकर सबसे पहले आपको अपने नाखुन काटने होंगे और हर रोज़ अपने हाथ धोकर खाना खाना होगा। 
डाक्टर की नसीहत सुनकर प्रतीक्षा को अपने अध्यापक अध्यापिकाओं की नाखुन काटने की नसीहत याद आ रही थी, लेकिन उसने उनकी नसीहत को माना नहीं था। उसने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह अपने नाखुन नहीं रखेगी। कुछ दिनों के बाद जब वह अपने स्कूल गई तो उसे पता चला कि उसको सहेली के पेट में भी दर्द हो गया है जिसने नाखुन बढ़ाए हुए थे।
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