पंजाब भाजपा के अगले अध्यक्ष संबंधी चर्चा आरंभ

कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया।
बात निकली तो हर बात पे रोना आया।

प्रसिद्ध शायर साहिर लुधियानवी का यह शे’अर उस समय याद आया जब मैंने पंजाब भाजपा के मौजूदा हालात पर तबसरा करने के बारे सोचा। वास्तव में पंजाब भाजपा की एक ताज़ा बैठक में जो कुछ घटित हुआ, उसने कई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दिया है। पंजाब भाजपा की अध्यक्षता को लेकर हवा में तरह-तरह की ‘सरगोशियां’ सुनाई देने लग पड़ी हैं। हालांकि भाजपा हाईकमान इस समय जिस स्थिति में से गुज़र रहा है, उससे नहीं प्रतीत होता कि भाजपा हाईकमान के पास पंजाब बारे कोई गम्भीर विचार-विमर्श करने का समय होगा। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व एक ओर उत्तर प्रदेश में पार्टी में आ रही दरारों को लेकर उलझा हुआ है, तथा दूसरी ओर उसके लिए विधानसभा के सिर पर खड़े उप-चुनाव तथा महाराष्ट्र, हरियाणा सहित कुछ राज्यों के आ रहे विधानसभा चुनाव, जो इसी वर्ष 2024 में ही होने हैं, के लिए रणनीति बनाना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इन राज्यों में ‘इंडिया’ गठंबधन का उभार पार्टी के लिए चिन्ता का कारण है। 
इससे भी पहले भाजपा के लिए तथा भाजपा सरकार के लिए बजट सत्र में बजट पेश करके उसे वोट रणनीति के लिए प्रभावशाली बनाने तथा बजट सत्र के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं को घेरने की रणनीति बनाना आवश्यक हो गया है। शायद इसी कारण भाजपा ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत होने के बावजूद अभी तक पार्टी का कोई कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बना सकी हालांकि पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा केन्द्रीय मंत्री भी बन चुके हैं। कार्यकारी अध्यक्ष इसलिए, क्योंकि भाजपा के विधिवत चुनाव का समय भी सिर पर खड़ा है। वैसे इसके पीछे एक और कारण भी चर्चा में है कि अभी तक भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उतना विश्वासपात्र अध्यक्ष बनने के योग्य कोई व्यक्ति नहीं मिला, जितने ‘विश्वासपात्र एवं आज्ञाकारी’ श्री जे.पी. नड्डा हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पंजाब भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सुनील जाखड़ अपनी पत्नी के इलाज के लिए स्विटज़रलैंड गए हुए हैं। पहले यह ही कहा गया था कि वह एक सप्ताह के लिए जा रहे हैं, परन्तु अब मिल रही सूचनाओं के अनुसार उन्हें वहां अधिक समय लग सकता है। 
अत: उल्लेखनीय है कि पंजाब भाजपा की ताज़ा बैठक में जो कुछ घटित हुआ है, उसकी रौशनी में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि पंजाब भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा? 
इस बैठक में पंजाब भाजपा के अध्यक्ष श्री जाखड़ ने जो भाषण दिया, उसके बारे कुछ भाजपा नेताओं का ही यह प्रभाव है कि यह भाषण तो विदायगी के समय दिये जाने वाले भाषण जैसा ही था, परन्तु यह काफी सख्त भी था। शायद यह पहली बार हो कि अध्यक्ष के भाषण पर भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं—भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ तथा पूर्व पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने काफी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की। पार्टी के सह प्रभारी नरेन्द्र राणा का भाषण भी चाहे चुघ तथा शर्मा जितना तीव्र नहीं था, परन्तु वह भी इशारों-इशारों में काफी कुछ उसी ही लाइन में कहते दिखाई दिए। 
कौन हो सकता है पंजाब भाजपा का नया अध्यक्ष?
हालांकि इस बात की सम्भावना अधिक है कि भाजपा हाईकमान के बेहद व्यस्त होने के कारण यदि श्री जाखड़ स्वयं ही पंजाब भाजपा की अध्यक्षता से अलग नहीं हो जाते तो अभी वही काम करते रहेंगे, परन्तु फिर भी पंजाब भाजपा की अध्यक्षता के लिए भीतर से दौड़ शुरू हो चुकी है। इस दौड़ में सबसे प्रमुख नाम भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ का ही लिया जा रहा है। वह पंजाब में इस समय पार्टी का एक बड़ा चेहरा हैं, परन्तु पार्टी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी आर.एस.एस. से संबंधित एक नेता तथा कांग्रेस से आए केवल सिंह ढिल्लों के नामों पर भी विचार कर सकती है जबकि बताया जा रहा है कि पार्टी में अभी भी काफी प्रभावशाली पूर्व पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले तथा दानिशवर माने जाते डा. सुभाष शर्मा के पक्ष में हैं। ऐसी स्थिति में साफ समझा जा सकता है कि यदि श्री चुघ पंजाब की अध्यक्षता के लिए उम्मीदवार न बने तो श्री शर्मा का दावा सबसे अधिक मज़बूत हो जाएगा, क्योंकि पंजाब में इस समय सबसे मज़बूत गुट अश्विनी शर्मा का ही है और सुभाष शर्मा को स्वर्गीय कमल शर्मा के गुट का भी समर्थन मिल जाएगा। 
इसके अतिरिक्त पार्टी के पहले पंजाब अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे अविनाश राय खन्ना का नाम भी चर्चा में है, जबकि बहुत कम मतों से लोकसभा का चुनाव हारे तथा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के करीबी राणा गुरमीत सिंह सोढी भी अध्यक्ष-पद की दौड़ में शामिल बताए जाते हैं। 
उल्लेखनीय है कि इस समय पंजाब भाजपा में दो तरह की विचारधारा तथा गुटबंदी दिखाई दो रही है। एक तरफ तो पार्टी में बाहर से आए लोग तथा पार्टी के पुराने नेताओं के बीच वैचारिक गुटबंदी है जबकि दूसरी तरफ पार्टी के कई हिन्दू नेता इस बात को भी उभार रहे हैं कि चाहे भाजपा पंजाब में कोई सीट नहीं जीती, परन्तु पंजाब में भाजपा का वोट प्रतिशत सम्मानजनक सीमा तक बढ़ने में हिन्दू वोट बैंक का बड़ा हाथ है। इसलिए ये लोग चाहते हैं कि पार्टी का पंजाब अध्यक्ष किसी हिन्दू चेहरे को ही बनाया जाए। इस गुट तथा सोच के नेताओं का कहना है कि पार्टी द्वारा अपने कोर वोट बैंक को दृष्टिविगत किया जाना पार्टी को महंगा भी पड़ सकता है। पार्टी के कुछ हिन्दू नेता यह भी कह रहे हैं कि भाजपा ने एक जट्ट (रवनीत सिंह बिट्टू) को हारने के बावजूद केन्द्र में मंत्री बना कर प्रतिनिधित्व दे दिया है। इसलिए पार्टी अध्यक्ष किसी हिन्दू को ही बनाया जाना चाहिए।
पंजाब के सांसद अभी तक विफल
बजट सत्र शुरू होने में सिर्फ तीन दिन शेष हैं। 22 जुलाई को सत्र शुरू हो रहा है और नये सरकार 23 जुलाई, 2024 को अपना पहला बजट पेश करेगी। इसका साफ अर्थ है कि बजट बन चुका होगा। जिस प्रकार की सूचनाएं हैं, अभी तक पंजाब के लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों ने न तो पंजाब के लिए कुछ विशेष लेने के लिए सक्रियता दिखाई है और न ही अपनी पार्टियों के माध्यम से गृह मंत्री, वित्त मंत्री तथा प्रधानमंत्री से कोई बातचीत ही की है जबकि पंजाब आर्थिक रूप में दिवालिया होने के कगार पर है। चाहिए तो यह था कि पंजाब के सभी लोकसभा तथा राज्यसभा सदस्य, जो कि कुल 19 हैं (एक अमृतपाल सिंह जेल में हैं), ही पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर पंजाब की आर्थिक मांगों का एक संयुक्त चार्टर बना कर प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री से समय लेकर बजट में पंजाब के लिए कुछ विशेष व्यवस्था करने के लिए कहते। चलो, यदि शेष तीन सांसदों से सहमति नहीं भी हो सकती तो भी कांग्रेस तथा ‘आप’ के 17 सांसद तो सहमति बना ही सकते हैं, क्योंकि वे अभी भी लोकसभा तथा राज्यसभा में ‘इंडिया’ गठबंधन में एकजुट हैं, परन्तु ऐसा भी नहीं हुआ। हालांकि मुख्यमंत्री ने वित्त आयुक्त को मिल कर पंजाब के लिए किसी विशेष पैकेज की मांग अवश्य की है, परन्तु सबको पता है कि इस प्रकार कुछ अलग नहीं मिलेगा। केन्द्र सरकार तो टी.डी.पी. तथा जनता दल (यू) को विशेष पैकेज देने या विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए भी अभी सहमत नहीं हो रही। हालांकि केन्द्र की भाजपा सरकार टिकी ही उनके सहारे हुई है। इसलिए यह स्पष्ट है कि यदि केन्द्र से पंजाब के लिए कुछ लेना है तो एकजुट हेकर आवाज़ बुलंद करनी पड़ेगी, जो इनका फज़र् भी है। हम समझते हैं कि पंजाब के सांसद अभी तो विफल ही सिद्ध हो रहे हैं, परन्तु अब देखने वाली बात यह होगी कि वे बजट पर चर्चा के दौरान पंजाब की बात कैसे उठाते हैं। 
मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहां होगा,
परिंदा आसमां छूने में जब नाकाम हो जाए।
(बशीर बदर)

-1044, गुरु-मो. 92168-60000 नानक स्ट्रीट, समराला रोड, खन्ना-141401