प्रेरक प्रसंग
छूत-अछूत
यह बात उन दिनों की है जब महात्मा गांधी जी के पिता जी का तबादला पोरबंदर से राजकोट हो गया था। जहां गांधी जी रहते थे वही उनके पड़ोस में एक सफाई कर्मी भी रहता था।
गांधी जी उसे बहुत पसंद करते थे। एक बार किसी समारोह के मौके पर गांधी जी को मिठाई बांटने का काम सौंपा गया। गांधी जी सबसे पहले मिठाई पड़ोस में रहने वाले सफाई कर्मी को देने लगे।
जैसे ही गांधी जी ने उसे मिठाई दी वह गांधी जी से दूर हटते हुए बोला कि ‘मैं अछूत हूँ इसलिए मुझे मत छुएं।’
गांधी जी को यह बात बुरी लगी और उन्होंने उस सफाई वाले का हाथ पकड़कर मिठाई पकड़ा दी और उससे बोले कि ‘हम सब इंसान है, छूत-अछूत कुछ भी नहीं होता। गांधी जी बात सुनकर सफाई कर्मी के आँसू निकल गये।
(सुमन सागर)
-गोवर्धन यादव
ईश्वर का निवास
विशप फेरलेन एक बहुत बड़े धर्म प्रचारक थे किन्तु लोग उनके धर्मोपदेशों से अधिक उनकी सज्जनता से प्रभावित थे। एक बार उनका जिक्र आने पर किसी ने कहा, ‘वह जिस गिरजा के पादरी हैं, वहां सचमुच ही ईश्वर का निवास होगा, क्योंकि ऐसा संत पुरुष जहां भी रहेगा, वहां ईश्वर के अस्तित्व का आभास होगा।’
-पुष्पेश कुमार पुष्प
-विनीता भवन, निकट-बैंक ऑफ इंडिया,
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