अच्छी सम्भावनाएं रखता है भारत-न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता

भारत और न्यूज़ीलैंड में मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा बड़ी सम्भावनाएं रखती है। इससे पहले भारत ने आस्ट्रेलिया के साथ भी बहुत ही सुखद और अच्छे व्यापारिक संबंध बनाने की घोषणा की थी। इसके साथ-साथ ही उसने ब्रिटेन के साथ भी द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समाचार भारत के लिए विशेष रूप से उत्साह देने वाले और इसके अच्छे भविष्य की ओर संकेत करने वाले हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश को दूसरे देशों द्वारा भेजी जाने वाली चीज़ों-वस्तुओं पर जो बड़े टैक्सों की घोषणा की थी, उससे एक बार तो अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय डावांडोल दिखाई दिया था, परन्तु भारत, चीन और जापान जैसे देशों ने अपनी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक नीतियों को नई दिशा देने का जो यत्न किया है, भारत के समझौते भी उसी क्रम के अधीन आते हैं।
आज भी भारत द्वारा अमरीका से साथ व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए गहन और विस्तारपूर्वक बातचीत हो रही है परन्तु वह अभी तक किसी किनारे नहीं पहुंची। ट्रम्प की नीतियों के दृष्टिगत वहां के प्रशासन की ठोस और स्पष्ट नीतियों संबंधी सन्देह ज़रूर पैदा हो गए हैं। न्यूज़ीलैंड में भारी संख्या में भारतीय लोग बसे हुए हैं। किसी समय ये दोनों देश ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे परन्तु हालात के बदलने से दोनों देशों के आपसी संबंध लगभग पिछले 7 दशकों से अच्छे बने हुए हैं, जिनका लगातार विस्तार किया जाता रहा है। दोनों देशों ने वर्ष 1983 में आपसी व्यापारिक छूट को बढ़ाने के लिए कई समझौते किए थे परन्तु भारत उस समय भी और अब तक भी इस बात पर ज़रूर बज़िद रहा है कि ऐसे समझौतों में उसकी कृषि फसलें प्रभावित नहीं होनी चाहिएं।  नए समझौते में भी भारत ने इस पक्ष की ओर विशेष ध्यान दिया है, जिस कारण यह समझौता लटकता भी रहा है और न्यूज़ीलैंड द्वारा भारत की इस नीति की आलोचना भी होती रही है परन्तु देश की ज़मीनी हकीकत को समझते हुए भारत इस मामले पर हमेशा सुचेत होकर ही चलने का यत्न करता रहा है। न्यूज़ीलैंड भारत का हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भी सहयोगी बना रहा है। दोनों देशों के प्रमुखों की इस संबंध में भेंटवार्ता भी होती रही है। 
इस समझौते में आगामी 15 वर्षों के दौरान 20 अरब अमरीकी डॉलर का सीधा निवेश करना भी शामिल है। अब नई दिल्ली में दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों ने 5 वर्षों में द्विपक्षीय आदान-प्रदान को दोगुना करके 5 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अतिरिक्त न्यूज़ीलैंड भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिभावान लोगों के लिए भी अस्थायी रूप से वीज़ा शर्तें नरम कर रहा है। नि:संदेह यह दोनों देशों के मध्य जहां रणनीतिक साझ को बढ़ाएगा, वहीं भारत के प्रत्येक क्षेत्र के व्यापारियों, विद्यार्थियों और युवाओं को भी अवसर प्रदान करने में सहायक होगा। न्यूज़ीलैंड द्वारा भारत में बड़ा निवेश दोनों देशों में प्रत्येक तरह के आपसी तालमेल को बढ़ाने में सहायक होगा। इसके साथ ही राजनीतिक रूप में भी दोनों देशों को आपसी समझ बढ़ाने के लिए एक साझा मंच ज़रूर तैयार करना होगा।
पिछले नवम्बर, 2024 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूज़ीलैंड के अपने समकक्ष से शिकायत की थी कि अमरीका में रह रहे गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा बनाया गया संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ न्यूज़ीलैंड में भी सक्रिय है, जिसने इसके बड़े शहर ऑकलैंड में ़खालिस्तान संबंधी रिफरैंडम भी करवाया था। विगत दिवस न्यूज़ीलैंड के शहर मुनरेवा में सजाये गए नगर कीर्तन में वहां के एक गोरे कट्टरपंथी ग्रुप ने भी अवरोध डालने का यत्न किया था, जिस पर सिख जगत द्वारा बड़ी प्रतिक्रियाएं दी गई थीं। दोनों सरकारों के लिए यह ज़रूरी है कि वे ऐसे मामलों पर एक दूसरे से विचार-विमर्श करके पैदा हुए ऐसे घटनाक्रम के प्रति अपनी ठोस नीति धारण करें ताकि प्रत्येक तरह के पाए जा रहे भ्रम को दूर किया जा सके और आपसी संबंधों को और भी मज़बूत किया जा सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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