क्या कमला हैरिस बन सकेंगी अमरीका की पहली महिला राष्ट्रपति ?

अंडरग्रेजुएट डिग्री के लिए जब श्यामला ने दिल्ली में होम साइंस विषय का चयन किया था, तो सबने उनका मज़ाक बनाया था- होम साइंस की डिग्री लेकर कोई क्या करता है? लेकिन श्यामला ने सबको गलत साबित किया, उन्होंने इसी डिग्री के बल पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के लिए स्कॉलरशिप हासिल की और मात्र 19 वर्ष की आयु में अकेली अमरीका पहुंचीं ताकि बायोकेमिस्ट्री व एंड्रोक्रिनोलोजी का अध्ययन कर सकें। वह अमरीका के नागरिक अधिकार आंदोलन में उस समय शामिल हुईं, जब भारतीय प्रवासी ऐसी बातों से दूर भागते थे। श्यामला की यह संवेदनशीलता और दृढ़संकल्प उनकी दोनों बेटियों कमला व माया में भी आयी है। अब कमला हैरिस अमरीका की राष्ट्रपति बनने की कगार पर हैं; क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद को आगामी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अलग कर लिया है और अपनी जगह कमला हैरिस के नाम का प्रस्ताव रखा है। हैरिस ने कहा है कि वह अपनी पार्टी (डेमोक्रेटिक) का नामांकन ‘हासिल करने व जीतने’ का इरादा रखती हैं उनके मुताबिक ‘अपनी हर संभव कोशिश से डोनाल्ड ट्रम्प को हराने के लिए अपने देश को एकजुट करूंगी’। 
चूंकि अनेक वरिष्ठ डेमोक्रेट्स जिनमें गेविन न्यूसम व पीट बुट्टीगीग भी शामिल हैं, जिन्हें बाइडेन का संभावित रिप्लेसमेंट समझा जा रहा था। इसलिए प्रबल अनुमान यही है कि कमला हैरिस ही डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति प्रत्याशी होंगी। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और कुछ दूसरे डेमोक्रेट्स उम्मीद के विपरीत कमला की दावेदारी का विरोध किया है। ऐसे में सवाल है कि क्या कमला हैरिस अमरीका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने में सफल हो जायेंगी यानी वह सफलता हासिल कर सकेंगी, जिसे पाने में उनसे पहले हिलेरी क्लिंटन असफल रही थीं? अमरीका के अब तक के 46 राष्ट्रपतियों में से कोई भी महिला नहीं है। हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति बनने के लिए कड़ा संघर्ष अवश्य किया था, लेकिन वह डोनाल्ड ट्रम्प से हार गईं थीं। 
अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 21 जुलाई, 2024 को घोषणा की कि वह अपने पुन: चुनाव की दौड़ से अलग हट रहे हैं। हालांकि उनकी यह घोषणा से पूरे अमरीका में सनसनी फैल गई, लेकिन इसका अनुमान उसी समय से लगाया जा रहा था, जब डिबेट में डोनाल्ड ट्रम्प के विरुद्ध बाइडेन खराब प्रदर्शन कर रहे थे, फलस्वरूप डेमोक्रेट्स ही उन पर दौड़ से अलग हटने का दबाव बना रहे थे। वैसे तो बाइडेन व ट्रम्प लगभग समान आयु के ही हैं, लेकिन 81 वर्षीय बाइडेन भूलने की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिससे वह कुछ का कुछ कह रहे थे, जिसका न सिर्फ मज़ाक बन रहा था बल्कि वह डिबेट व अपने चुनाव प्रचार में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे। डेमोक्रेटिक पार्टी की चुनावी स्थिति निरंतर कमज़ोर होती जा रही थी। इसलिए राष्ट्रपति, उनके परिवार व नज़दीकी सलाहकारों ने उनकी एग्जिट की योजना तैयार की। 21 जुलाई की बैठक के बाद कमला हैरिस को सबसे पहले फोन किया गया कि बाइडेन चुनावी दौड़ से हट रहे हैं और अपनी जगह कमला हैरिस के नाम का समर्थन कर रहे हैं। बाइडेन चुनावी दौड़ से अवश्य अलग हुए हैं, लेकिन अपना वर्तमान कार्यकाल अवश्य पूरा करेंगे। 
उषा जेडी वेंस की पत्नी हैं। उनका संबंध भारत के आंध्र प्रदेश से है यानी वह भारतीय मूल की हैं और हिंदू धर्म का पालन करती हैं। इसलिए अमरीका में भारतीय मूल के अधिकांश मतदाता उत्साहित हो गये थे कि उनकी अपनी अमरीका की सैकेंड लेडी होंगी और यह अनुमान लगाया जाने लगा था कि भारतीय मूल के अधिकतर अमरीकी मत डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के खाते में चले जायेंगे, जिससे उसकी जीत की संभावना बढ़ जायेगी। लेकिन अब जब कमला हैरिस के राष्ट्रपति बनने की संभावना है, तो भारतीय मूल के अमरीकी असमंजस में पड़ गये हैं कि वे संभावित सैकेंड लेडी उषा का समर्थन करें या संभावित राष्ट्रपति कमला का। 
ज़ाहिर है कि हर भारतीय वाइट हाउस में कमला को ही देखना चाहेगा। इसलिए अनुमान यह है कि बदली परिस्थिति में भारतीय मूल के अधिकांश अमरीकी मतदाताओं का झुकाव कमला की डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर होगा। बहरहाल, बाइडेन को दौड़ से हटने के लिए मनाना आसान न था। वह चुनाव लड़ने की ज़िद पर अड़े हुए थे। फिर उनकी कोर टीम उनके साथ बैठी और तनावपूर्ण 48 घंटों के दौरान चुनावी डाटा की समीक्षा की। बाइडेन को बताया गया कि वह न सिर्फ सभी महत्वपूर्ण स्विंग राज्यों में पीछे चल रहे हैं बल्कि उनकी स्थिति वर्जीनिया व मिन्नेसोटा राज्यों में भी चिंताजनक है, जहां डेमोक्रेट्स ने विशाल संसाधन खर्च न करने की योजना बनायी थी क्योंकि यह उनके परम्परागत गढ़ हैं। डाटा को हज़म करने के बाद बाइडेन ने अपना मन बदल दिया। उन्होंने अपनी सीनियर वाइट हाउस व अभियान टीम को बुलाया और पहले कमला हैरिस को फोन से बताने के बाद सभी अमरीकियों के नाम पत्र लिखकर अपनी घोषणा को सार्वजनिक कर दिया। 
कमला कोई जीनियस नहीं हैं, लेकिन इरादों की पुख्तगी व मानवीय मूल्य उन्होंने विरासत में अपनी मां से पाए हैं। इसलिए वह परम्परागत उप-राष्ट्रपति की बजाय अति सक्रिय उप-राष्ट्रपति रहीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह लोटस से पोटस बन सकेंगी यानी उप-राष्ट्रपति से राष्ट्रपति बन सकेंगी? गौरतलब है कि लोटस कमल को कहते हैं और ‘पोट-अस’ अमरीका के राष्ट्रपति के लिए संक्षिप्तीकरण है। यहां यह बताना ज़रूरी है कि अमरीका के 14 उप-राष्ट्रपति बाद में राष्ट्रपति बने, जिनमें से सात तो पिछली शताब्दी में ही बने, लेकिन पिछले तीन दशक में कोई यह कारनामा नहीं कर सका है यानी जॉर्ज एचडब्लू बुश (उप-राष्ट्रपति 1981-89 व राष्ट्रपति 1989-93) के बाद से कोई उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति नहीं बन सका है। अमरीका में आज तक कोई महिला भी राष्ट्रपति नहीं बन सकी है; हिलेरी क्लिंटन ने 2016 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अवश्य लड़ा था और ऐसा करने वाली वह पहली अमरीकी महिला भी बनीं, लेकिन जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, वह ट्रम्प से पराजित हो गईं थीं। जिस तेज़ी से कमला को डेमोक्रेटिक पार्टी में समर्थन मिल रहा है उससे यह अनुमान प्रबल होता जा रहा है कि वह ही राष्ट्रपति प्रत्याशी होंगीं। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर