सेवा और समर्पण का उदाहरण है नर्स

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष

प्रत्येक वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन आधुनिक नर्सिंग की जननी मानी जाने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती के रूप में चुना गया है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने सेवा, समर्पण और नारी शक्ति का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसने न केवल नर्सिंग को एक उच्च दर्जा दिलाया, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में मानवीय मूल्यों की एक नई परिभाषा रची। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची सेवा सीमाओं और पेशागत सीमाओं से परे होती है। वह सीधे हृदय से निकलती है और मानवता के उत्थान की दिशा में अग्रसर होती है। इस विशेष दिन का उद्देश्य केवल एक औपचारिक स्मरण नहीं है, बल्कि यह उन अनगिनत नर्सों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का अवसर है, जो दिन-रात बिना थके, बिना रुके मानव सेवा में रत रहती हैं। वे न केवल रोगियों की देखभाल करती हैं बल्कि उनके जीवन में आशा का संचार भी करती हैं। किसी भी अस्पताल की कार्यप्रणाली की सफलता में यदि कोई सबसे स्थायी और संवेदनशील स्तंभ है, तो वह नर्स ही है।
नर्स केवल एक पेशेवर नहीं होती। वह कई रूपों में सेवा करती है। वह रोगी का दर्द महसूस करती है। नर्स का यह योगदान किसी पद या पैसे से नहीं मापा जा सकता। यह एक आंतरिक प्रेरणा है जो उसे हर दिन दूसरों के लिए जीने की शक्ति देती है। नर्सें अक्सर ऐसे कठिन हालातों में कार्य करती हैं जहां न केवल शारीरिक श्रम की ज़रूरत होती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी अत्यंत आवश्यक होता है। बावजूद इसके, वे मुस्करा कर अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करती हैं, यही उन्हें विशेष बनाता है।
अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं में चर्चा का केंद्र चिकित्सक होते हैं, उनके निर्णय, शल्य.क्त्रिया या इलाज की विधियां। परंतु चिकित्सा प्रक्रिया की आत्मा नर्सिंग है। डॉक्टर भले ही जीवन बचाने का विज्ञान जानता हो, परन्तु नर्स वह है जो उस जीवन को जीने योग्य बनाती है। रोगी की सेवा करते हुए नर्स न केवल उसके शरीर का इलाज करती है, बल्कि उसकी मानसिक स्थिति को भी संभालती हैं। वह मरीज़ के दर्द को महसूस करती है, उसकी बेचैनी को समझती है और बिना कहे ही उसकी आवश्यकता को पहचान जाती हैं। जब एक रोगी अस्पताल में दाखिल होता है, तो वह केवल बीमारी के बोझ से नहीं टूटता, बल्कि अकेलेपन, डर और अनिश्चितता से भी जूझता है। उस समय नर्स ही होती है जो उसमें विश्वास पैदा करती है। यही कारण है कि नर्स की भूमिका चिकित्सक की छाया नहीं, बल्कि उसका मानवीय विस्तार है।
आज के भौतिकवादी युग में जहां अधिकांश पेशे केवल आजीविका के साधन बन गए हैं, वहीं नर्सिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो अभी भी सेवा-संकल्प की भावना से जुड़ा है। यह एक ऐसा पेशा है जिसे केवल वही व्यक्ति चुन सकता है, जिसके भीतर करुणा और संवेदना जीवंत हो। यहां केवल तकनीकी दक्षता पर्याप्त नहीं होती, आवश्यक होता है एक ऐसा मन जो दूसरों के दर्द को अपना बना ले और एक ऐसा हृदय जो सेवा में संतोष ढूंढ़ सके। आज देश भर में नर्सिंग कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। विशेषकर छोटे शहरों और गांवों में युवतियां इस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेकर न केवल अपनी जीवन दिशा बदल रही हैं, बल्कि समाज में नई चेतना का संचार भी कर रही हैं। उनके लिए यह पेशा अब केवल नौकरी नहीं, बल्कि स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का मार्ग बन गया है।
नर्सिंग ने विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पेशा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाता है, उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और समाज में एक गरिमामय स्थान दिलाता है। यह गर्व की बात है कि भारत की अनेक बेटियां आज इस क्षेत्र में न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपना परचम लहरा रही हैं। खाड़ी देश हों या यूरोप, अमरीका या ऑस्ट्रेलिया, भारतीय नर्सों की मांग हर जगह है। उनके कार्य के प्रति समर्पण, कुशलता और सहानुभूति उन्हें वैश्विक मंच पर सम्मान दिला रही है।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस यह सोचने का अवसर देता है कि क्या हम नर्सों को वह सम्मान और सुविधाएं दे रहे हैं, जिसकी वे अधिकारी हैं? सिर्फ  एक दिन की प्रशंसा पर्याप्त नहीं है, उन्हें उचित वेतन, बेहतर कार्य परिस्थितियां, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सामाजिक मान्यता की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सेवा भावना का शोषण न हो, बल्कि उसे सम्मान और सहयोग मिले। सरकारों और स्वास्थ्य संस्थानों को मिलकर यह ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि नर्सों के लिए एक ऐसा वातावरण तैयार किया जाए जहां वे आत्मसम्मान, सुरक्षा और सहयोग के साथ कार्य कर सकें। नर्सिंग केवल उन लोगों का मार्ग है जो जीवन को केवल अपने लिए नही, बल्कि दूसरों के लिए जीने का माध्यम मानते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सेवा, सहानुभूति और समर्पण से परिपूर्ण है। इस अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम नर्सों को न केवल सम्मानित करें, बल्कि उनकी आवश्यकताओं को भी समझें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और उन्हें वह गरिमा दें जिसकी वे हकदार हैं। 

-मो. 70271-20349

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