देश में जासूसी का मायाजाल
यह बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए एक के बाद एक भारतीय जासूसी करते पकड़े जा रहे हैं। यह शुरूआत पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के साथ हुई थी। हरियाणा की रहने वाली ज्योति के साथ उसके पांच साथियों को भी हिरासत में लिया है। जासूसी करने वाले ये लोग हरियाणा और पंजाब के हैं। ज्योति का इंस्टाग्राम खाते को खंगालने पर पता चला है कि ज्योति पहलगाम में आतंकी हमला होने के एक महीने पहले श्रीनगर और पहलगाम की यात्रा पर थी। उसके तार पाकिस्तान उच्चायुक्त में काम करने वाले दानिश नाम के एक अधिकारी से भी जुड़े पाए गए हैं। इसी ने ज्योति को पाकिस्तान भेजा था। ज्योति कई महीने से भारतीय खुफिया एजेंसियों के रडार पर थी। उसकी संदिग्ध विदेशी यात्राएं और संदिग्ध विदेशी लोगों से सर्म्पकों ने उसे जासूसी करने के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया। वह लगातार अपने यूट्यूब चैनल पर संवेदनशील सैन्य स्थलों के वीडियो डाल रही थी। सीमावर्ती पठानकोट, नाथुला पास और अरुणाचल क्षेत्रों में भी जारी रही उसकी संदिग्ध गतिविधियों के प्रमाण खुफिया एजेंसियों को मिले है।
इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पाकिस्तान के लिए कथित रूप से जासूसी करने को लेकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सहायक उपनिरीक्षक मोतीराम जाट को भी हिरासत में लिया है। वह 2023 से राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों को पहुंचा रहा है। इसी तरह की जासूसी करते हुए एक निजी कंपनी में इंजीनियर रवि वर्मा को हिरासत में लिया गया है। यह कंपनी रक्षा विभाग में ठेके पर काम करती थी। रवि पर मुंबई में नौसेना के प्रतिबंधित क्षेत्र के बारे में पाकिस्तान को महत्वपूर्ण जानकारी देने के आरोप लगे हैं। उसने 14 युद्धपोतों व रक्षा जहाजों की जानकारी दी है। रवि को पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव (पीआईओ) की जिस महिला एजेंट ने अपने जाल में फंसाया था, उसका नाम पायल शर्मा और इस्प्रित बताया गया है। इन महिलाओं के साथ रवि हनीट्रैप में था। मसलन इन महिलाओं के असली नाम कुछ और हैं और ये मूल रूप में पाकिस्तानी हो सकते हैं।
इस तरह के जासूसों का जंजाल पूरे देश में फैला हुआ है। ज्योति मल्होत्रा के पहले माधुरी गुप्ता भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हुए पकड़ी गई थी। जबकि माधुरी गुप्ता एक भारतीय राजनयिक थी। उसकी पदस्थापना इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में सचिव के पद पर थी। माधुरी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंट जमशेद ने हनीट्रैप में फंसाया और झूठा प्यार जताकर भारत की अनेक रक्षा संबंधी गोपनीय जानकारियां हासिल कर लीं। 2010 में माधुरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आईएसआई को संवेदनशील जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। 50 वर्षीय माधुरी 30 वर्षीय जमशेद के प्रेम जाल में इस हद तक उलझ गई थी कि वह जमशेद से शादी के लिए अपना धर्म बदलने को भी तैयार हो गई थी। यहीं से माधुरी ने जमशेद को गोपनीय जानकारियां देना शुरू कर दीं। यानी देश के साथ एक उच्च स्तरीय महिला अधिकारी भी गद्दारी करने लग गई। बाद में भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली कि राजनयिक माधुरी गुप्ता आईएसआई के चंगुल में है और महत्वपूर्ण जानकारियां दे रही हैं। माधुरी को एकाएक सार्क सम्मेलन के बहाने दिल्ली बुलाकर गिरफ्तार कर लिया गया। 2018 में अदालत ने माधुरी को अपने ही देश की गुप्तचर के आरोप में दोषी ठहराकर सजा सुनाई। अदालत से जमानत मिलने के बाद 2021 में एकाकी जीवन बिताते हुए उसकी मौत हो गई।
कुछ साल पहले एटीएस ने मध्यप्रदेश में 15 लोगों को जासूसी के आरोप में हिरासत में ले लिया था। इस जासूसी का तंत्र ओड़िसा और आंध्र प्रदेश तक फैला पाया गया था। जासूसी नेटवर्क में भोपाल के तीन लोग पकड़े गए थे। इनमें ध्रुव सक्सेना और मोहित अग्रवाल एक राजनैतिक दल से जुड़े थे। इस पूरे नेटवर्क का सरगना सतना का बलराम था, जो इन लोगों के साथ मिलकर समानांतर टेलीफोन ऐक्सचेंजों के मार्फत इंटरनेट कॉल को मोबाइल नेटवर्क में बदलकर चाहे गए नंबरों पर बात करवाने का अवैधानिक काम करते थे। यदि जम्मू के थाना आरएस पुरा में सतविंदर और दादू नहीं पकड़े गए होते तो मध्य प्रदेश में फैल चुके आईएसआई के इस जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ ही नहीं होता?
इस पूरे नेटवर्क का मुखिया सतना का बलराम था। एटीएस ने जब इसके घर पर छापा डाला तो इसके पास से 100 से भी ज्यादा सिम बरामद हुईं। बलराम द्वारा निजी स्तर पर जो समानांतर दूरभाष एक्सचेंज चलाया जा रहा था, उसके जरिए यह इंटरनेट कॉल को सेल्युलर कॉल में बदलकर दूसरे देशों में बैठे आतंकी सरगनाओं से बात कराने का काम करता था। सिम कार्डों और बैंक खातों को आधार पहचान-पत्र से जोड़ने पर नरेंद्र मोदी सरकार लगातार दबाव बनाए हुए है। बावजूद बलराम के पास से 100 सिम पाईं गईं और बैंकों में उसके 100 से भी ज्यादा खाते पाए गए। इससे पता चलता है कि डिजीटल इंडिया देशद्रोही गतिविधियों पर शिकंसा कसने के बजाय, उन्हें आसान बना रहा है। जिन चीनी उपकरणों का आयात करके हम चीनी अर्थव्यवस्था में जान फूंक रहे हैं, वहीं उपकरण अंतर्राष्ट्रीय कॉल को स्थानीय कॉल में बदलने का मजबूत व विश्वसनीय आधार बन रहें। यहां हैरानी इस बात पर है कि भारत सरकार के जो टेलीफोन एक्सचेंज आलीशान भवनों और बहुसंख्यक अमले से भी ठीक से संचालित नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें 2-4 लोग बंद कमरे में नाजायज़ तरीके से कैसे चलाने में सफल हो जाते हैं? लाखों मिनट आतंकियों ने बात भारतीय उपग्रह के माध्यम से ही की होगी, फिर क्यों नहीं इन अवैधानिक टेलीफोन एक्सचेंज और बातचीत के संकेत भारत सरकार के दूरसंचार उपग्रह को मिल पाए? साफ है यदि हमारे दूरसंचार और गुप्तचर संस्थाओं के साइबर सेल के इंजीनियर चैकन्ने होते तो ये हरकतें शुरूआती दौर में ही पकड़ ली गई होती। देश के रक्षा संस्थानों की हनीट्रेप के जरिए जासूसी करने के भी अनेक मामले सामने आ चुके हैं। ज्योति मल्होत्रा के माध्यम से यूट्यूब भी जासूसी के कटघरे में है। अतएव डिजीटल तकनीक के माध्यम से देश को खतरे में डालने वाले इन संचार उपकरणों पर शिकंजा कसने की कठोर नीति बनाने की जरूरत है।
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