SYL पर मीटिंग करने के बजाय कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट दायर करे बीजेपी सरकार - हुड्डा
चंडीगढ़, 8 जुलाई- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने SYL को लेकर होने वाली प्रस्तावित बैठक पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को अब इन बैठकों के दौर से आगे बढ़ना चाहिए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबे टाइम पहले हरियाणा के पक्ष में आ चुका है। हरियाणा के हिस्से का पानी दिलवाने की जिम्मेदारी कोर्ट ने केंद्र सरकार को सौंपी थी। हरियाणा और केंद्र दोनों जगह, बीजेपी की सरकार है। ऐसे में अब तक हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल जाना चाहिए था। लेकिन बीजेपी के हरियाणा विरोधी रवैये के चलते यह नहीं हो पाया। अब अगर सरकार इसके बारे में बात कर रही है तो उसे सीधे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दायर करना चाहिए।
हुड्डा पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार एकबार फिर किसानों को वक्त पर खाद देने में नाकाम साबित हुई है। एकबार फिर अपने खेत व काम धंधा छोड़कर किसान, कभी ना खत्म होने वाली लंबी लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर है। डीएपी नहीं मिलने की वजह से किसान मारे-मारे फिर रहे हैं और फसलों पर खराबे का खतरा मंडरा रहा है।
डीएपी की किल्लत पर चिंता जाहिर करते हुए हुड्डा ने कहा कि जब से प्रदेश में बीजेपी सरकार आई है, तभी से हमारे किसान एमएसपी, खाद और बीज के लिए तरस रहे हैं। केंद्र और प्रदेश दोनों जगह बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार होने का किसानों डबल खामियाजा उठाना पड़ रहा है। खरीफ फसल के लिए केंद्र से हरियाणा को मिलने वाली खाद के आधे से भी कम स्टॉक की सप्लाई हुई है। क्योंकि हरियाणा को लगभग 14 लाख मिट्रिक टन खाद मिलनी थी, लेकिन हालात स्पष्ट बताते हैं कि अभी आधी भी खाद उपलब्ध नहीं हो पाई है।
इसीलिए सुबेरे से शाम तक कतारों में इंताजार करने के बावजूद किसानों को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ रहा है। हर बार सीजन के समय सरकार जानबूझकर ऐसे हालात बना देती है कि मजबूरी में किसानों को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ता है और परिवार के छोटे बच्चों व महिलाओं तक को कतारों में खड़ा करना पड़ता है। बीजेपी प्रदेश के इतिहास में इकलौती ऐसी सरकार है, जिसके कार्यकाल के दौरान पुलिस सुरक्षा के बीच खाद बांटनी पड़ती है। सरकार की बदइंतजामी के चलते किसानों को कालाबाजारी और उत्पादन में घाटे का शिकार होना पड़ता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक तरफ किसान खाद नहीं मिलने के चलते आने वाली फसल के लिए परेशान है और दूसरी तरफ मक्का और सूरजमुखी की एमएसपी ना मिलने के चलते आहत है। मंडियों में मक्का और सूरजमुखी लेकर पहुंचे किसान खरीदारी के इंतजार में बैठे हैं। लेकिन सरकारी एजेंसियां खरीद करने को तैयार नहीं है। इसलिए उन्हें एमएसपी से 1000-1500 रुपए कम रेट पर फसल बेचनी पड़ रही है।