कृषि आधारित शिक्षा में रोज़गार की सम्भावनाएं

कृषि व्यवसाय को दीर्घकालिक न समझते हुए पंजाब में गांवों के युवा लड़के-लड़कियां विदेश की ओर भाग रहे हैं। यह रूझान बढ़ता ही जा रहा है। कृषि व्यवसाय में किसानों को अपने युवा बच्चों का भविष्य दिखाई नहीं दे रहा, जिस कारण वे अपनी ज़मीन बेच कर, गिरवी रख कर या कज़र् लेकर अपने बच्चों को विदेश भेज रहे हैं। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांवों के युवाओं में से अधिकतर युवा विदेश का रुख कर रहे हैं। जो विदेश जाने का खर्च सहन नहीं कर सकते, वे सरकारी या निजी नौकरी की तलाश में शहरों का रुख करते हैं, परन्तु उनमें से नाममात्र युवा ही ऐसे हैं, जो कृषि से संबंधित कोई काम करने या कृषि से संबंधित पढ़ाई करने के इच्छुक हों। इस विषय संबंधी उन्हें सही जानकारी न होना भी इसका एक मुख्य कारण है। शहरों में तो लोग जागरूक हैं, परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता की कमी है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में कृषि या बागवानी संबंधी कई कोर्स करवाए जाते हैं, जिनके बारे में गांवों में रहते युवाओं को जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपने मुख्य व्यवसाय से संबंधित किसी कारोबार या नौकरी को प्राथमिकता दे सकें और साथ ही अपने पैतृक व्यवसाय को भी दीर्घकालिक बना सकें। इससे संबंधित कुछ कोर्स निम्नलिखित हैं : 
1. बी.एस.सी. कृषि (ऑनर्स) तथा एम.एस.सी. कृषि
2. बी.एस.सी. बागवानी (ऑनर्स) तथा एम.एस.सी. बागवानी
उक्त ग्रैजुएट तथा पोस्ट ग्रैजुएट डिग्रियां प्राप्त करके कृषि/बागवानी विकास अधिकारी, कृषि/बागवानी सहायक प्रोफैसर, भूमि रक्षा अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी पशु पालन विभाग, जे.ई./एस.डी.ओ. बागवानी पी.डब्ल्यू.डी. विभाग, जे.ई./एस.डी.ओ. बागवानी पुड्डा/गमाडा, जे.ई./एस.डी.ओ. बागवानी नगर निगम, जे.ई./एस.डी.ओ. बागवानी विभिन्न विश्वविद्यालयों, एस.डी.ओ. बागवानी पंजाब स्टेट वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन, तकनीकी सहायक पंजाब स्टेट वेयरहाऊसिंग कार्पोरेशन तथा एफ.सी.आई., मार्कफैड, इफ्को, कृभको, मार्किट कमेटी सचिव, ज़िला मंडी अधिकारी, जे.ई./एस.डी.ओ. बागवानी पी.जी.आई., जे.ई./एस.डी.ओ. केन्द्रीय शासित चंडीगढ़, कृषि अध्यापक, कृषि सहायक/फील्ड अधिकारी बैंक, सैक्शन अधिकारी बागवानी दिल्ली डिवेल्पमैंट अथारिटी, सैक्शन अधिकारी बागवानी सी.पी.डब्ल्यू.डी. दिल्ली, एच.डी.ओ./डिप्टी डायरैक्टर बागवानी नैशनल बागवानी बोर्ड, सभी कीटनाशक दवाइयों तथा बीजों की कम्पनियों में नौकरियां प्राप्त की जा सकती हैं। उपरोक्त के अलावा इंडियन फोरैस्ट सर्विस में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही हर किस्म की ग्रैजुएट स्तर की परीक्षा देकर भी सरकारी नौकरी प्राप्त की जा सकती है। बी.एस.सी. कृषि (ऑनर्स)/ बी.एस.सी. (बागवानी) 4 वर्ष की डिग्री है। इसलिए 10+2 नॉन मेडिकल/मेडिकल की योग्यता ज़रूरी है। उक्त बी.एस.सी. कृषि (ऑनर्स) की डिग्री 6 वर्ष में प्राप्त की जा सकती है। इस 6 वर्षीय कोर्स के लिए योग्यता मैट्रिक रखी गई है और यह पंजाब के ग्रामीण बच्चों के लिए बहुत लाभदायक है। 
कृषि का दो वर्षीय कोर्स : इसकी योग्यता 10+2 नॉन मेडिकल/मेडिकल है। यह कोर्स करने के बाद कृषि विभाग पंजाब में कृषि सब-इंस्पैक्टर की नौकरी भी प्राप्त की जा सकती है और अपना कोई भी कृषि से सम्बधित कारोबार शुरू किया जा सकता है।
बागवानी सुपरवाइज़र का एक वर्षीय कोर्स : इसकी योग्यता 10+2 है। यह किसी भी स्ट्रीम में हो सकती है। यह कोर्स करने के बाद बागवानी विभाग पंजाब, पी.डब्ल्यू.डी. विभाग, नगर निगम, पुड्डा/गमाडा, विश्वविद्यालयों में सुपरवाइज़र की सरकारी नौकरी प्राप्त की जा सकती है। इसके अतिरिक्त अपना कोई भी बागवानी से संबंधित कारोबार शुरू किया जा सकता है। 
फ्लोरीकल्चर एंड लैंडस्केपिंग में एक वर्षीय कोर्स : इस कोर्स की योग्यता भी 10+2 है। यह किसी भी स्ट्रीम में हो सकती है। यह कोर्स करके भी अपनी नर्सरी शुरू की जा सकती है। इसके साथ सरकारी संस्थानों में नौकरी प्राप्त की जा सकती है।
ओर्नामैंटल नर्सरी प्रोडक्शन कोर्स : यह कोर्स 6 महीने का है और इसकी योग्यता 10वीं पास है। यह कोर्स करके भी आप अपनी नर्सरी प्रोडक्शन का कार्य कर सकते हैं या किसी अन्य बड़ी नर्सरी में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। निजी संस्थानों में भी नौकरी प्राप्त हो सकती है।     कृषि को दीर्घकालिक बनाने में भी पढ़े-लिखे तथा तकनीकी जानकारी से भरपूर नौजवान अहम भूमिका निभा सकते हैं। बागवानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि इस समय परम्परागत कृषि को छोड़ कर आधुनिक कृषि तकनीकें अपनाने की ज़रूरत है। जो किसान कृषि विभाग, बागवानी विभाग आदि के कृषि विशेषज्ञों से सम्पर्क रखते हैं, वे आधुनिक कृषि तकनीकों तथा विभाग की योजनाओं आदि का लाभ उठा कर आर्थिक रूप से मज़बूत हो रहे हैं। 
पंजाब तथा केन्द्र सरकार द्वारा भी कृषि में विभिन्नता लाने के लिए ज़ोर दिया जा रहा है। परम्परागत कृषि में विभिन्नता लाने के लिए दालों, सब्ज़ियों, फूलों की कृषि, नकदी फसलों जैसे गन्ना, कपास आदि, मशरूम की काश्त, फल-सब्ज़ियों की प्रोसैसिंग करना, शहद की मक्खियां पालना, केंचुओं की सहायता से खाद तैयार करना, मौसमी फूलों के गमले तैयार करना, सजावटी फूलों की नर्सरी, फलदार पौधों की नर्सरी, सब्ज़ियों की पौध की नर्सरी, रेशम के कीड़े पालना, मैडिसन पौधे तैयार करना, आर्गेनिक कृषि, गुड़ बनाना, फूलों के बीज तैयार करना तथा लैंडस्केपिंग के काम करना शामिल है। इस प्रकार के व्यवसाय करने वाले व्यक्ति दूसरों को भी रोज़गार दे सकते हैं।

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