निरन्तर मज़बूत हो रही भारतीय वायु सेना

आज के लिए विशेष

8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है। यह दिन केवल शक्ति और तकनीक का प्रदर्शन नहीं बल्कि भारत के आकाश में स्वतंत्रता, सुरक्षा और गौरव की प्रतीक गाथा का उत्सव है। इस वर्ष का वायुसेना दिवस और भी विशेष है क्योंकि इसी साल ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना ने जिस रणनीतिक क्षमता और ताकत का परिचय दिया, उसने पूरे देश को गर्व से भर दिया था। वायुसेना दिवस पर भारतीय वायुवीरों के साहस, कौशल और समर्पण का परिचय एयर शो में देखने को मिलता है जब राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, मिराज-2000, मिग-29 और तेजस जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स आसमान में गड़गड़ाहट के साथ यह संदेश देते हैं कि भारत का आकाश किसी भी आक्रामक इरादे के लिए अभेद्य है। सारंग टीम के हेलीकॉप्टरों की सटीक फॉर्मेशनए ध्रुव और प्रचंड जैसे एडवांस्ड हेलीकॉप्टरों की ताकत तथा सी-17 ग्लोबमास्टर और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस जैसे ट्रांसपोर्ट विमानों की उड़ानें भारतीय वायुसेना की बहुआयामी क्षमता का जीवंत प्रमाण हैं।
वर्ष 1932 में ब्रिटिश शासनकाल में  ‘र्रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ के नाम से शुरू हुई यह यात्रा आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना के रूप में प्रतिष्टिठत है। आरंभ में केवल चार एयरक्राफ्ट और छह अधिकारियों के साथ शुरू हुई वायुसेना आज डेढ़ लाख से अधिक जवानों, हजारों विमानों, मिसाइल प्रणालियों और अत्याधुनिक तकनीकी क्षमताओं के साथ देश की अभेद्य ढाल बन चुकी है। भारतीय वायुसेना ने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में असाधारण पराक्त्रम दिखाया। 1971 में पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ते हुए उसने बांग्लादेश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया जबकि कारगिल में ऑपरेशन सफेद सागर के तहत ऊंचाई पर बैठे दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त दिलाई। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की संख्यात्मक बढ़त के बावजूद वायुसेना ने तकनीकी सटीकता, साहस और प्रशिक्षण की श्रेष्ठता से साबित किया कि गुणवत्ता संख्या से कहीं अधिक प्रभावी होती है।
भारतीय वायुसेना केवल हथियारों की संख्या नहीं बढ़ा रही बल्कि तकनीकी और रणनीतिक दृष्टि से स्वयं को अधिक उन्नत बना रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम रडार, हाइपरसोनिक मिसाइलें और मानव रहित लड़ाकू विमानों पर अनुसंधान जारी है। डीआरडीओ और एचएएल के सहयोग से विकसित गगनशील परियोजना के तहत अंतरिक्ष आधारित निगरानी तंत्र को सशक्त किया जा रहा है, जिससे भारत की हवाई चेतावनी प्रणाली और प्रभावी बनेगी। हालांकि मिग-21 विमानों की 62 साल लम्बी सेवा के बाद उन्हें सेवानिवृत्त किए जाने और मिग-27 तथा मिग-29 के क्त्रमश: 30-35 प्रतिशत विमानों की रिटायरमेंट के बाद भी वायुसेना की क्षमता में कोई कमी नहीं आई है क्योंकि तेजस, राफेल और सुखोई विमानों की नई पीढ़ी इस रिक्त स्थान को अत्याधुनिक तकनीक से भर रही है। आने वाले वर्षों में 18 से 20 स्क्वाड्रन केवल तेजस जेट्स के होंगे, जिससे भारत का हवाई शक्ति संतुलन अत्यधिक मजबूत होगा।
भारतीय वायुसेना का उद्देश्य अब केवल युद्ध जीतना नहीं बल्कि भविष्य को सुरक्षित बनाना है। इसके प्रशिक्षण संस्थान अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर वारफेयर और स्पेस सिक्योरिटी जैसे नए क्षेत्रों में विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं। वायुसेना के पायलट और तकनीकी अधिकारी अब बहुआयामी युद्ध रणनीतियों में प्रशिक्षित किए जा रहे हैं, जहां आकाश, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस तीनों को एकीकृत दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर हैए तब उसकी सुरक्षा संरचना का मजबूत होना आवश्यक है। 

-मो. 94167-40584

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