स्वास्थ्य पर घातक प्रहार कर रहा वायु प्रदूषण 

वायु प्रदूषण का खतरा अब घर-घर मंडराने लगा है। देश और विदेशों की विभिन्न वैश्विक एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के खतरे से बार-बार आगाह करने के बावजूद न सरकार चेती है और न ही आम नागरिक। लगता है लोगों ने इस जानलेवा खतरे को गैर ज़रूरी मान लिया है। हालिया जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2025 रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2023 में दुनिया भर में करीब 79 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें अकेले भारत में इस कारण 20 लाख लोगों की जान गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज़ और डिमेंशिया जैसी कई गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
वायु प्रदूषण ने भारत को अपने शिकंजे में मजबूती से जकड़ रखा है। भारत की आबोहवा निरन्तर जहरीली होती जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास का क्षेत्र गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी दिवाली के त्योहार पर वायु प्रदूषण की चपेट में है। दीवाली के बाद होने वाले घातक प्रदूषण से क्षेत्र जूझ रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दीपावली के बाद दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। अनेक क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (ए.क्यू.आई.) 300 के पार पहुंच गया है। साथ ही पी.एम. 2.5 की सांद्रता 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई जो 2021 के बाद सबसे अधिक बताई जा रही है। एक शोध अध्ययन के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाहनों का धुआं, कचरा जलाना, सड़कों की धूल, निर्माण व ध्वंस कार्यों की धूल और उद्योगों का धुआं आदि के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। वाहनों से होने वाले धुंएं के प्रदूषण में कमी लाने के साथ-साथ घरों में जल रहे ईंधन, उद्योगों के उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियों से होने वाले धूल प्रदूषण की रोकथाम करना भी बहुत ज़रूरी है। सही बात तो यह है, दिल्ली में नासूर बन चुके प्रदूषण की सही प्रामाणिक स्थिति आज भी उपलब्ध नहीं है।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2025 रिपोर्ट बताती है कि भारत के हर चार में से तीन लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं, जहां हवा में ज़हरीले कण की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानक से ज्यादा है। भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में से करीब 89 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों की वजह से होती हैं।
वाशिंगटन से प्रकाशित इन्वायरनमेंटल इंटरनेशनल नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि वायु प्रदूषण के कारण हमारे शरीर की आंत के बैक्टीरिया पर गहरा असर पड़ सकता है जिससे मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी के साथ मोटापा, पेट के आंत  के संक्रमण सहित विभिन्न पुरानी बीमारिया बढ़ सकती है। इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि वाहनों से उत्सर्जित होने वाली खतरनाक गैसें जब सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है तो वे बेहद खतरनाक रूप धारण कर लेती हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर असर डालती है। रिसर्च के अनुसार वायु प्रदुषण मनुष्य की श्वास सम्बन्धी प्रणाली पर तो  असर डालती है ही, साथ ही हमारी आंतों को भी क्षतिग्रस्त करती है। विशेषरूप से पेट सम्बन्धी बीमारियां बढ़ जाती हैं। हमारे पेट में बसने वाले जीवाणु और कीटाणु का हमारी सेहत से गहरा ताल्लुक होता है। इन असंख्य जीवों का हमारे शरीर की सेहत पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर पड़ता है। इन्हें अंग्रेज़ी में माइक्रोबायोम कहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक  हमारे आस-पास की आबोहवा का असर इन पर पड़ता है। वायु प्रदूषण इनमें से एक है। वायु प्रदूषण के लिए कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और धूल, परागण, धुआं वगैरह ज़िम्मेदार होते हैं। ऐसे प्रदूषण से न सिर्फ  बीमारियां हो रही हैं, बल्कि लोगों की मौत भी हो रही है।                                               
बताया जाता है उद्योगों, घरों और वाहनों से वायु प्रदूषकों के खतरनाक कण निकलते हैं, जिनसे अनेक बीमारियां होती हैं। इन सभी प्रदूषकों में से सूक्ष्म प्रदूषक कण मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। ज्यादातर सूक्ष्म प्रदूषक कण चलते वाहनों जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल किए जाने वाले स्रोतों और बिजली उपकरणों, उद्योग, घरों, कृषि जैसे स्रोतों में ईंधन जलाने  से निकलते हैं। हवा में मौजूद ये सूक्ष्म कण हमारे सांस लेने के दौरान बिना किसी रुकावट श्वास नली के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।  इससे मनुष्य को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। महानगरों में वायु प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों और वाहनों का विषैला धुआं इस तरह फैल गया है कि सांस लेना दूभर हो गया है। यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है। 
 

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