ब्रेनवॉश से साज़िश : उच्च शिक्षित डाक्टर बन गए दहशतगर्द !
राजधानी दिल्ली में लालकिला विस्फोट साजिश मामले में उच्च शिक्षित छह डॉक्टरों के नाम जुड़ जाने के बाद कई मिथक टूट रहे हैं जैसे अशिक्षा और बेरोज़गारी आतंकवाद को जन्म देती है आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। इस मामले में शिक्षित और लाखों मासिक की तनख्वाह पाने वाले सभी मुस्लिम दहशतगर्दी की साजिश से जुड़े मिले हैं। सवाल है कि इन्हें कौन रेडिक्कलाइज (उग्र कट्टरपंथी) बना रहा है? ज़िंदगी देने वाले डॉक्टर ही दहशत फैलाने का औजार कैसे बन गए? ये कौन सी मजहबी तालीम है जो उच्च शिक्षित एम.डी. डाक्टर्स का भी ब्रेनवॉश कर उन्हें दहशत फैलाने के नापाक मंसूबों से जोड़ देती है?
पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग शहरों में आतंकियों की गिरफ्तारी और विस्फोटक सामग्रियों की बरामदी के बीच सोमवार शाम को लाल किले के पास जोरदार धमाका होना इस बात का प्रमाण है कि संभवत आतंकियों ने इस घटना को बौखलाहट में अंजाम दिया है लेकिन इसके साथ यह भी साबित होता है कि आतंकी देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी जड़े जमा चुके है। आतंक का जाल पूरे देश में फैल चुका है। दिल्ली में लाल किले के पास हुए जोरदार धमाके में 12 लोगों की मौत और दो दर्जन से ज्यादा लोगों का घायल होना काफी दु:खद और हृदयविदारक घटना है, क्योंकि यह विस्फोट इतना भयानक था कि लोगों के चिथड़े उड़ गए। धमाके की वजह साफ नहीं है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है, लेकिन माना जा रहा है कि आतंकियों ने ही अपने नापाक मनसूबों को अंजाम दिया है।
संभवत दिल्ली में विस्फोट कर आतंकी पूरे देश में यह संदेश देना चाह रहे हैं कि तमाम गिरफ्तारियों के बीच उनका मनोबल गिरा नहीं है। दिल्ली, जो देश की प्रशासनिक और राजनीतिक धुरी है, में लाल किले जैसा ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक स्थान पर धमाका होना, सीधे-सीधे देश की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया एजेंसियों को चुनौती है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल, शोपियां, फरीदाबाद और सहारनपुर में व्यापक छापेमारी चल रही थी और सात संदिग्धों की गिरफ्तारी के साथ भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। इसलिए यह मानना तर्कसंगत होगा कि यह धमाका आतंकियों की बौखलाहट में की गई कार्रवाई हो सकती है लेकिन इसकी भयावहता इस बात में है कि यह दिखाता है कि नेटवर्क अब भी सक्रिय और संगठित है। आंकड़े और घटनास्थल की विस्तृत जानकारी ने यह संकेत दिया है कि यह कोई साधारण विस्फोट या हमला नहीं था, बल्कि लंबी परतों में फैला एक नेटवर्क चल रहा था। देश में विभिन्न स्थानों से कुल मिलाकर लगभग तीन टन के आसपास विस्फोटक पदार्थ और संबंधित सामग्री बरामद हुई है और मामला एक ‘व्हाइट कलर’ आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा बताया जा रहा है यानी प्रोफेशनल्स, छात्र और नागरिक का भी शामिल होना समझ को झकझोर देता है।
सबसे स्तब्ध करने वाली बात यह है कि जिन लोगों पर संदेह हुआ उनमें मैडीकल डॉक्टर भी शामिल थे। रिपोर्ट बताती हैं कि अनंतनाग के एक सरकारी मैडीकल कॉलेज से एके-47 राइफल बरामद की गई और 2-3 डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद यहीं से छानबीन आगे बढ़ी। जिन डॉक्टरों का नाम सामने आया है, उनमें अब जिन्हें हिरासत में लिया गया जिस कार में विस्फोट किया गया उसे भी एक डॉक्टर उम्र चला रहा था कुल छह डाक्टर के नाम सामने आ चुके हैं। इस से पता चल रहा है कि कैसे ईमानदार पेशेवर आड़ लेकर संवेदनशील स्थानों और सामाजिक विश्वास के ऊपर से भी आतंकी गतिविधियों को संचालित किया जा सकता है। इससे पहले गुजरात से तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं। आतंकियों ने हमले की तैयारी के लिए अहमदाबाद, लखनऊ व दिल्ली जैसे शहरों की रेकी की थी और आतंकी घटनाओं से इन्हें दहलाने की साजिश भी रची थी। आतंकियों के मुताबिक अहमदाबाद के भीड़भाड़ वाले इलाकों का नक्शा तैयार किया गया था। वहीं लखनऊ में आरएसएस के कार्यालय को भी निशाना बनाने के मंसूबे थे। दिल्ली में आतंकियों की नज़रें आजादपुर मंडी इलाके पर थी। प्रारंभिक जांच में पता चला कि आतंकी राइसिन नामक जहर बना रहे थे जिससे हजारों लोगों को जान से मारने की तैयारी थी।
पुलिस पूछताछ में एक अहम खुलासा यह भी हुआ था कि आतंकवादी आज़ाद शेख एक सप्ताह तक जम्मू-कश्मीर में रहा था, जहां पर उसने कुछ संवेदनशील इलाकों की जानकारियां भी जुटाई थीं। आतंकियों ने हर जगह पर मौसम, शहरी बनावट और ट्रैफिक की पुख्ता जानकारी जुटाई थी। सभी आतंकी पाकिस्तान से सम्पर्क में थे व अपने आकाओं के इशारों पर काम कर रहे थे। पाकिस्तानी आकाओं के इशारों पर ही आतंकियों ने भारत में बड़े नरसंहार की योजना रची थी। वह लोगों को राइसिन नाम का जहर देकर मारने की प्लानिंग कर रहे थे। आतंकी अहमद सैय्यद कई दिनों से राइसिन पॉइजन इकट्ठा कर रहा था ताकि मंसूबों को अंजाम दिया जा सके।
मगर इतना तय है कि लाल किले के पास धमाका कोई साधारण घटना नहीं है, यह एक तरह से देश पर हमला है। यह हम सबको यह याद दिलाता है कि आतंक का जाल अब हमारी गलियों, विश्वविद्यालयों, डिजिटल चैट ग्रुपों और वित्तीय तंत्रों में घुस चुका है। अब यह युद्ध सिर्फ सैनिकों या पुलिस का नहीं, बल्कि नागरिक समाज, तकनीकी संस्थानों, शिक्षकों व नीति निर्माताओं सहित हम सबका है। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना होगा जहां सुरक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि विश्वास शिक्षा, न्याय व एकता से सुनिश्चित की जाए। आतंकवाद को हराने का अर्थ सिर्फ आतंकियों को मारना नहीं, बल्कि उस मानसिकता को खत्म करना है जो उन्हें जन्म देती है। इसके लिए सबसे पहले खुफिया एजेंसियों को देश में फैले आतंक के जाल को तोड़ना होगा और यह काम सभी केंद्र और राज्य एजेंसियों को मिलकर करना होगा। यह काम आम नागरिकों के सहयोग के लिए बिना संभव नहीं है।



