बेहद गम्भीर है नई चुनौती
दिल्ली में हुए बम धमाके में अब तक 12 लोगों के मारे जाने का समाचार है और दर्जनों घायल भी हुए हैं। दिल्ली में विगत लम्बी अवधि से आतंकवादियों द्वारा अलग-अलग समय और अलग-अलग ढंग-तरीके से देश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है, जिनमें वर्ष 1996 में एक मार्किट में हुए बम धमाके से 16 लोगों की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद वर्ष-दर-वर्ष इस महानगर में कहीं न कहीं ऐसा कुछ घटित होता रहता है, जो लगातार इस मुहाज़ पर देश के लिए चुनौती बना रहा है। इस ताज़ा घटनाक्रम ने एक बार फिर आतंकवादियों के तार कश्मीर से जोड़ दिए हैं और यह संदेश दिया है कि अभी आतंकवादी संगठनों को काबू करने में लम्बा समय लगेगा, क्योंकि इनके सीधे सम्पर्क पड़ोसी देश पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। ह़ािफज़ सईद जैसे अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि वाले व्यक्ति लगातार भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचते रहते हैं।
अभी तो पुलवामा के बम धमाके में 41 सुरक्षा बलों के शहीद हो जाने की बात भूली नहीं थी कि आतंकवादियों द्वारा पहलगाम जैसी ऐसी घटना को अंजाम दिया गया जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत ने पाकिस्तान के भीतर दाखिल होकर आतंकवादियों के ठिकानों पर हमले किए थे, परन्तु इसके बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अभी भी उस देश में आतंकवादी दनदना रहे हैं, जिन्हें काबू करना उसके बस की बात नहीं है, क्योंकि कई ऐसे संगठन हैं जो पाकिस्तान सरकार को भी हमले करके लगातार चुनौती देते रहते हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि अ़फगानिस्तान और पाकिस्तान जो कल एक-दूसरे के मित्र थे, आज दुश्मन बने दिखाई देते हैं। सीमाओं पर दोनों की सेनाएं आमने-सामने हैं। पाकिस्तान को यह शिकायत रही है कि पाकिस्तानी तालिबान अ़फगानिस्तान से उस पर हमले करते हैं, जिसे सहन करना उसके लिए कठिन है। चाहे बलोचिस्तान और ़खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांतों से उठी बगावतों का सामना करना उसके लिए बेहद कठिन हो रहा है परन्तु इसके बावजूद उसने भारत के विरुद्ध लम्बे समय से शुरू की लड़ाई को कम करने की नीति नहीं अपनाई, अपितु वह किसी न किसी तरह इन आतंकवादियों द्वारा भारत को हर ढंग से नुकसान पहुंचाने का यत्न ही करता रहा है। दिल्ली की इस घटना से पहले जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की एजेंसियों के साथ मिलकर फरीदाबाद में हथियारों की बड़ी खेप पकड़ी है, कुल 2900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है, जो ़खतरनाक बम बनाने के काम आती है। इनमें असाल्ट राइफलें, पिस्तौलें और अन्य ज्वलनशील रसायन भी भारी मात्रा में शामिल हैं। पुलिस का दावा है कि इस ज़खीरे के पीछे जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवा-ए-हिंद के आतंकवादियों का हाथ है।
कुछ समय पहले श्रीनगर के नौगाम इलाके में धमकी भरे पोस्टर लगाए गए थे। उस संबंध में लगे कैमरों की सहायता से सहारनपुर के एक कश्मीरी मूल के डाक्टर अदील को पकड़ा गया था, जिसने आतंकवादियों की गतिविधियों संबंधी लम्बा-चौड़ा खुलासा किया है, जिसके आधार पर सुरक्षा बलों और एजेंसियों ने इस पूरी योजना का पर्दाफाश किया है। इस मामले में तीन डाक्टरों को भी पकड़ा गया। यह भी सामने आया है कि उनके कहने के अनुसार पुलवामा (कश्मीर) के रहने वाले उमर मोहम्मद ने इस घटना को अंजाम दिया है। जिस कार में यह धमाका हुआ, उसे भी उमर मोहम्मद ही चला रहा था। जिस तरह का विस्तार सामने आ रहा है, उससे यह स्पष्ट ज़रूर हो जाता है कि इन संगठनों का ताना-बाना देश भर में फैला हुआ है। यह किसी समय भी किसी स्थान पर ऐसी संगीन घटना को अंजाम दे सकते हैं। नि:संदेह यह देश के लिए एक ऐसी चुनौती है, जो बार-बार विकराल रूप में सामने आ खड़ी होती है। इसका अंत कैसे होगा, इस संबंध में तो अभी कुछ नहीं कहा जा सकता परन्तु इसके लिए समूचे रूप में अपने तंत्र को सतर्क करने की ज़रूरत होगी और इसके साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि देश में आपसी सद्भावना और भाईचारक साझ को भी मज़बूत किया जाए। ऐसा माहौल तैयार करके ही आतंकवादियों पर नकेल डाली जा सकती है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

