दिल्ली में कार विस्फोट : आतंकी साज़िश या सुरक्षा में भारी चूक ?

पुरानी दिल्ली में जब सोमवार (10 नवम्बर 2025) की शाम को लगभग 6 बजकर 52 मिनट में लोग काम से घर लौट रहे थे, तो लालकिले से मात्र 300 मी के फासले पर, मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के निकट, एक आई-20 गाड़ी के पिछले हिस्से में इतना भयंकर विस्फोट हुआ कि भीड़ भरे इलाके में आसपास की अनेक गाड़ियों में आग लग गई, कुछ कारों के शीशे धमाके की आवाज़ से चूर-चूर हो गये और इस लेख के लिखे जाने तक, पुलिस के अनुसार, 12 व्यक्तियों की मौत हो चुकी थी, जिनमें से कुछ व्यक्तियों के तो घटनास्थल पर ही चीथड़े उड़ गये थे यानी लाशें पड़ी नहीं थीं बल्कि बिखरी हुई थीं। यह हादसा था या कोई आतंकी साज़िश? आधिकारिक तौर पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन सभी संकेत आतंकी वारदात के ही लग रहे हैं, इसलिए दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान आदि आसपास के राज्यों में रेड अलर्ट जारी कर दी गई है। अगर यह आतंकी साज़िश है, जिसकी आशंका अत्यधिक है, तो निश्चितरूप से सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक हुई है और इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। पुलवामा या पहलगाम की सुरक्षा चूकों की तरह उसे ठंडे बस्ते में नहीं डालना चाहिए। 
पुरानी दिल्ली की यह भयावह घटना तीन मुख्य कारणों से आतंकी साज़िश प्रतीत होती है। एक, हाल की चिंताजनक इंटेलिजेंस रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई है कि वैश्विक आतंकी हाफिज़ सईद, जो मुंबई हमलों का भी दोषी है, के नेतृत्व में पाकिस्तान-स्थित आतंकी भारत में आतंकी हमले करने के लिए नये मोर्चे खोल रहे हैं और बांग्लादेश को नये लांचपैड के रूप में तैयार कर रहे हैं। इस संदर्भ में साक्ष्य सीधा एक वीडियो से सामने आया है, जोकि 30 अक्तूबर 2025 को खैरपुर तमेवाली, पाकिस्तान में आयोजित एक रैली का है, जिसमें लश्कर का कमांडर सैफुल्लाह सैफ ने एक खतरनाक रहस्योद्घाटन करते हुए स्पष्ट कहा, ‘हाफिज़ सईद खामोश नहीं बैठा है, वह बांग्लादेश के ज़रिये भारत पर हमले कराने की तैयारी में लगा हुआ है।’ उसने दावा किया कि लश्कर पहले से ही ‘पूर्वी पाकिस्तान’ (यानी बांग्लादेश) में ‘सक्रिय’ है और ‘भारत को जवाब देने के लिए तैयार है’। अतिरिक्त जानकारी यह भी मिली है कि सईद ने अपने एक अति करीबी साथी को बांग्लादेश भेजा है कि ‘जिहाद’ की आड़ में स्थानीय युवाओं का ब्रेनवाश किया जाये और उन्हें आतंकी ट्रेनिंग दी जाये। वीडियो में यह भी देखने को मिलता है कि सैफ भारत के खिलाफ लोगों को ‘युद्ध’ करने के लिए भड़का रहा है। 
दूसरा यह कि हाल के दिनों में हज़ारों किलो विस्फोटकों व हथियारों की बरामदगी मात्र संयोग नहीं है बल्कि किसी बड़ी साज़िश की तरफ इशारा कर रही है। गौरतलब है कि एक कश्मीरी मैडीकल प्रोफेसर की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से आईईडी बनाने वाला 2,900 किलो पदार्थ बरामद हुआ है और इसके अतिरिक्त अनेक असाल्ट राइफल्स, पिस्तौलें, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वलनशील पदार्थ भी मिले हैं। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक बरामदगी है। पुलिस का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवा-ए-हिन्द से जुड़े एक अंतर्राष्ट्रीय मॉडयूल ने अकादमिक व प्रोफेशनल सर्किट में तथाकथित घुसपैठ की हुई है और वह फंड्स इधर उधर करने, रिक्रूटस तैयार करने और विस्फोटकों को एसेम्बल करने के लिए एंक्रिप्टेड चैनलों, चैरिटेबल फ्रोंट्स और विश्वविद्यालय नेटवर्क्स का प्रयोग कर रहा है। इस सिलसिले में जांच उस समय शुरू हुई जब 19 अक्तूबर 2025 को जैश के धमकी भरे पोस्टर्स श्रीनगर के बनपुरा नोगांव क्षेत्र में अनेक स्थानों पर लगे हुए नज़र आये। पुलिस इसे ‘वाइट-कॉलर आतंकी इकोसिस्टम’ कह रही है। 
तीसरा संकेत इससे मिलता है कि गुजरात के आतंकी विरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक व्यक्ति को अहमदाबाद से गिरफ्तार करने के बाद उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी से दो व्यक्तियों को और एक व्यक्ति को हैदराबाद से गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा है कि यह लोग दिल्ली, लखनऊ व अहमदाबाद में आतंकी हमले करने की योजना बना रहे थे। पुलिस का यह भी कहना है कि इन संदिग्धों को पाकिस्तानी हैंडलर्स से ड्रोनों द्वारा हथियार मिले थे, जिनमें दो ग्लोक पिस्तौल, एक बेरेट्टा पिस्तौल, 30 गोलियां और 4 लीटर कैस्टर आयल, जो घातक टोक्सिन रिसिन बनाने में काम आता है, शामिल थे। 
बहरहाल, पुरानी दिल्ली में बिहार विधानसभा चुनावों में मतदान के दूसरे व अंतिम चरण की पूर्व संध्या पर हुए भयावह विस्फोट के सिलसिले में फॉरेंसिक रिपोर्ट की प्रतीक्षा है, जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि यह मात्र हादसा था या कोई गहरी आतंकी साज़िश। अगर यह आतंकी हमला था, जिसकी आशंका अधिक है, तो यह दिल्ली में 14 वर्षों बाद ऐसी घटना होगी; क्योंकि पिछला आतंकी हमला 2011 में हाईकोर्ट के निकट हुआ था। 10 नवम्बर की शाम 6:52 पर जिस आई-20 कार के पिछले हिस्से में यह भयंकर विस्फोट हुआ, वह सीसीटीवी फुटेज के अनुसार पिछले तीन घंटे से दिल्ली की सड़कों पर घूम रही थी। उसके विस्फोट की तीव्रता से यह अंदाज़ा तो सहज ही लगाया जा सकता है कि कार में कुछ ऐसा था (और वह भी बड़ी मात्रा में) जो अवैध था। इसलिए विस्फोट का कारण जो भी हो, सुरक्षा व्यवस्था में चूक तो अवश्य हुई है। इस घटना से पुलवामा की याद ताज़ा हो जाती है, जिसमें हमारे 41 सैनिक शहीद हुए थे। विस्फोटों से भरी एक गाड़ी तीन दिन तक सड़कों पर घूमती रहती है, कोई उसे रोकता नहीं है, वह कॉन्वॉय के एक ट्रक से टकरा जाती है, भयंकर विस्फोट होता है और सैनिक शहीद हो जाते हैं। विस्फोटों से भरी गाड़ी वहां कैसे पहुंची? इस आतंकी साज़िश के पीछे कौन था? इंटेलीजेंस की चूक कैसे हुई? संवेदनशील क्षेत्र में जवानों को हवाईजहाज़ की जगह सड़क मार्ग से क्यों भेजा जा रहा था? यह और इस जैसे अनेक प्रश्न हैं, जो अब वर्षों बाद भी जवाब की प्रतीक्षा में हैं। 
किसी की भी जवाबदेही अब तक निर्धारित नहीं की जा सकी है। इसी तरह पहलगाम की आतंकी घटना है, हज़ारों पर्यटक मौजूद हैं, कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, 4-5 आतंकी आते हैं, बिना रोक-टोक, नाम मालूम करके 26 महिलाओं को विधवा करके गायब हो जाते हैं, ऑपरेशन सिंदूर होता है, लेकिन यह अभी तक मालूम नहीं हो पाया है कि वह आतंकी कहां से आये, कहां गायब हो गये और सुरक्षा व इंटेलिजेंस में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? इसकी जवाबदेही किसकी है? ध्यान रहे कि दोनों दिल्ली व जम्मू कश्मीर की पुलिस सीधे गृहमंत्री अमित शाह के अंडर में आती है। जिस प्रकार से देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी मात्रा में विस्फोटक व हथियार बरामद हो रहे हैं और आतंकियों के वीडियोज सामने आ रहे हैं, उससे यही प्रतीत हो रहा है कि ह़ािफज़ सईद जैसे ग्लोबल आतंकी और पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। भारत के भीतर बड़ी वारदातें अंजाम देने की साज़िश है, जिसका पर्दाफाश होना आवश्यक है ताकि नागरिक सुरक्षित रहें। हमारी इंटेलिजेंस को अधिक मुस्तैद होने की ज़रूरत है और जो अब तक चूक हुई हैं, उनमें जवाबदेही निर्धारित की जानी चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाएं न हो पाएं। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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