संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री के साथ संवाद
27 नवम्बर की सुबह मेरे लिए हैरतअंगेज़ थी। सुबह उठ कर जैसे ही मैंने अपनी ईमेल चैक करने के लिए लैपटॉप पर ईमेल बॉक्स खोला, जो पहली मेल मुझे दखने को मिली उसे भेजने वाले ने अपना नाम पीएम मोदी लिखा था। मेल में सबसे ऊपर लिखा था-लेटर फ्रॉम द प्राइम मिनिस्टर ऑन संविधान दिवस। इस शीर्षक के नीचे मोजी दी संविधान के ग्रंथ पर माथा टेकते हुए दिख रहे थे। तस्वीर के नीचे भेजने वाले अंग्रेज़ी में डियर अभयजी, नमस्ते कह कर संबोधन था। मैंने उत्सुकता से भर कर फौरन यह मेल पढ़ डाली। यह करीब हज़ार शब्दों का एक लम्बा पत्र था। संविधान दिवस पर लिखे गये इस पत्र में मोदी जी ने शुरुआत में ही मुझे बताया कि संविधान कितना पवित्र दस्तावेज़ है और किस तरह से इसी संविधान के कारण उनके जैसे गरीब परिवार के व्यक्ति को पिछले 24 साल से लगातार सरकार का मुखिया बनने को मौका मिला हुआ है।
पत्र में मोदी जी ने जगह-जगह डा. राजेंद्र प्रसाद, डा. आम्बेडकर, महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बिरसा मुंडा का स्मरण किया, (और हमेशा की तरह संविधान की रचना में जवाहर लाल नेहरू की भूमिका की याद करना भूल गए)। साथ ही, उन्होंने इसके साथ मुझे बार-बार बताया कि किस तरह जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने संविधान को हाथी पर रख कर उसका संविधान गौरव यात्रा के तौर पर उसका जुलूस निकाला था, प्रधानमंत्री के तौर पर संसद में घुसते समय उसकी सीढ़ियों पर मत्था टेका था, 75 वर्ष पूरे होने पर संसद का विशेष सत्र आयोजित किया और एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान भी चलाया था। इस पत्र में मोदी ने यह भी बताया कि संविधान का अनुच्छेद 51ए मौलिक कर्तव्यों के प्रति समर्पित है। गांधीजी ने भी हमेशा नागरिकों के कर्तव्यों पर बल दिया था। इसलिए हमें कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनना चाहिए।
इस बात से कौन इंकार कर सकता है, मैं तो इससे भी आगे बढ़ कर मोदी जी के ही नक्शेकदम पर चलना चाहता हूँ। मैं मोदी जी से प्रेरणा लेते हुए मोदी जी से ही वही अपील करना चाहता हूँ जो वे मेरे जैसे नागरिक से कर रहे हैं। मैंने तय किया कि मैं मोदी जी से संविधान दिवस के अवसर पर अपील करूंगा कि वे कुछ करें या न करें, एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक अवश्य बनें। देश के सर्वप्रमुख नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों के पालन की भी गारंटी करें। मैं समझता हूँ कि संविधान की गरिमा और महिमा की रक्षा केवल उसे हाथी पर रख कर उसका जुलूस निकालने से नहीं हो सकती, न ही मौके-ब-मौके उसके ग्रंथ पर मत्था टेकने से हो सकती है, और न ही संसद में उसके नाम पर भाषणबाज़ी करने से मोदी जी अपने संविधानगत कर्तव्यों की पूर्ति कर सकते हैं। मोदी जी को अपना कर्तव्य पूरा करने में सुविधा हो, इसलिए मैंने कुछ संविधानगत दायित्वों की निम्नलिखित सूची बनाई है-
1. संविधान की आराधना करते समय या उसका जश्न मनाते समय मोदी जी को कभी नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री के तौर पर संविधान की पोथी पर हाथ कर शपथ उन्हें दिलाई गई है, न कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को या उसके द्वारा नामज़द किये गये किसी व्यक्ति को। सरकार के मुखिया वे हैं, न कि संघ और उसका परिवार। संविधान की यह स्थिति केवल इसलिए नहीं बदल सकती कि मोदी जी की पार्टी भाजपा संघ की संतान है। मोदी जी को गारंटी करनी चाहिए कि संघ का सरकार में कोई हस्तक्षेप न हो। संघ के सैकड़ों प्रचारक सरकार में ओएसडी के तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें तुरंत बर्खास्त करके ही संविधान के शब्दों और भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। संविधान के तहत चुनी गई सरकार किसी भी कीमत पर संघ जैसे गैर-संवैधानिक संगठन को सत्ता में न तो भागीदारी मुहैया करा सकती है, और न ही सरकारी नीतियां बनाने में उसकी कोई मदद ली जा सकती है। जब तक भाजपा सत्ता में है, और मोदी जी संविधान की शपथ लेकर प्रधानमंत्री हैं, उन्हें संघ से पूरी तरह से दूर रहना होगा। संघ के विभिन्न संगठनों और स्वयं संघ को जो अरबों रुपए की सम्पत्ति पिछले 11 साल में थमायी गई है, वह प्रधानमंत्री द्वारा उससे तुरंत वापिस ले लेना ही संविधान की भावना और शब्दों का सम्मान करना है। हां, जब वे सत्ता में न रहें, तो वे किसी भी संगठन के प्रति निष्ठावान होने के लिए स्वतंत्र हैं।
2. संविधान मोदी जी पर ज़िम्मेदारी डालता है कि उनकी सरकार किसी भी तरह के नॉन-स्टेट एक्टरों का समर्थन न करे। संघ के स्वयंसेवक नॉन-स्टेट एक्टर हैं, बंजरंग दल जैसे संगठन नॉन-स्टेट एक्टर हैं, अल्पसंख्यकों के विरोध में लगातार मुहिम चलाने वाले छोटे-बड़े साम्प्रदायिक संगठन नॉन स्टेट एक्टर हैं। मुसलमानों की लिंचिंग करने वाले हिंसक लोग भी नॉन-स्टेट एक्टर हैं। चर्चों पर पत्थर फेंकने वाले भी नॉन-स्टेट एक्टर हैं। बाबरी मस्जिद तोड़ने वाले कारसेवक भी नॉन-स्टेट एक्टर थे। ये अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करते हैं, उनके स्मारकों की तोड़फोड़ करते हैं, उनकी संस्थाओं के खिलाफ झूठे प्रचार की मुहिम चलाते हैं। संविधान की हिदायत है कि ऐसे सभी लोगों के खिलाफ मोदी जी न केवल कानूनी कार्रवाई करें, बल्कि उनके दिल में कानून का डर भी पैदा करें।
3. संविधान देश के प्रधानमंत्री से उम्मीद करता है कि वे सरकार को कॉरपोरेट पूंजी का गुलाम बनाने से बाज़ आएंगे। आज अगर डा. राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल और डा. आम्बेडकर होते तो उन्हें यह देख कर बड़ी तकलीफ होती कि सरकार एक हाथ से कॉरपोरेटों को बड़े पैमाने पर सरकारी कोष से कर्ज देती है, और दूसरे हाथ से उनसे बड़ी-बड़ी रकमें लेकर भाजपा को खजाने को भरती चली जाती है। स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक- टाटा समूह को सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने 44000 करोड़ की सब्सिडी मिली और ठीक 4 सप्ताह बाद भाजपा के खाते में 758 करोड़ रुपये पहुंच गये! क्या यह सिर्फ एक संयोग है?
4. देश की आंतरिक सुरक्षा की गारंटी करना भी मोदी जी का संविधानसम्मत कर्तव्य है। जब भी देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा आए, मोदी जी की ड्यूटी बनती है कि वे गलती तय करें कि यह किसकी है। इस सुरक्षा की बागडोर गृहमंत्री अमित शाह के हाथों में है। पिछले 11 साल में एक के बात एक कई क्षेत्रों में कई ताकतों द्वारा आतंकवादी हमले किये गये हैं। असम में, बंगलूर में, जम्मू में, मणिपुर में, गुरदासपुर में, पठानकोट में, पंपोर में, उड़ी में, नागरोटा में, भोपाल-उज्जैन ट्रेन पर, सुकमा में, अमरनाथ यात्रा पर, सुंजवान के सेना स्कूल पर, पुलवामा में सीआरपी के काफिले पर, गडचिरोली पर, राजौरी में, दांतेवाड़ा पर, रियासी में, पहलगाम में व लाल किले पर हमले हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों (गृह मंत्रालय) और स्वतंत्र स्रोतों (जैसे साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल) के अनुसार 2014 से 2023 तक ही 629 से अधिक प्रमुख घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें सैकड़ों मौतें हुईं। इन मौतों की ज़िम्मेदारी मोदी जी के गृहमंत्री की है। संविधानगत कर्तव्यनिष्ठता का तकाज़ा है कि गृहमंत्री को फौरन हटाया जाए।
5. मोदी जी ने अपने पत्र में लिखा है कि संविधान ने नागरिकों को वोट डालने का अधिकार दिया है, इसलिए वे मतदान ज़रूर करें लेकिन वे यह बताना भूल गए कि लोगों के इस बुनियादी अधिकार की रक्षा करना प्रधानमंत्री के तौर पर उनका संविधानगत फज़र् है। अगर वे इस अधिकार की रक्षा नहीं करेंगे तो कौन करेगा। वोट के अधिकार की रक्षा करने के लिए ज़रूरी है कि वोट की गोपनीयता कायम रहे। इसलिए ज़रूरी है कि मोदी जी बिना देर किये ईवीएम से चुनाव कराना बंद करें। ईवीएम के कारण मेरे-आपके वोट की गोपनीयता खत्म हो गई है। अगर वोट कागज़ के मतपत्र से होंगे तो मतगणना के समय पहले की तरह पहले सभी मतों को आपस में मिलाया जाएगा, फिर हर पार्टी के मतों की गड्डियां बनेंगी और फिर उन्हें गिन कर जीत-हार की घोषणा होगी। पहले ऐसा ही होता था। मोदी जी के वोट के अधिकार की रक्षा के लिए चुनाव आयोग द्वारा करवाई जा रही गैर-संवैधानिक एस.आई.आर. प्रक्रिया को तुरंत बंद करवाना चाहिए। एक बेहतर और गलती मुक्त मतदाता सूची को यकीनी बनाना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
6. संविधान मोदी जी से उम्मीद करता है कि वे देश के हर नागरिक को, हर छोटे-बड़े राजनीतिक दल को और चुनाव में खड़े होने वाले हर उम्मीदवार को बराबर का मौका प्रदान करेगा। इसलिए प्रधानमंत्री को बूथ लेबिल एजेंट (बी.एल.ए.) की कैटेगरी खत्म करनी होगी। वज़ह सीधी और साफ है। एक छोटी पार्टी बहुत कम बीएलए नियुक्त कर सकती है, और निर्दलीय उम्मीदवार तो और भी कम या शायद कोई भी बीएलए नियुक्त नहीं कर सकता। बीएलए की कैटेगरी बड़ी और साधन सम्पन्न पार्टियों के पक्ष में एसआईआर की प्रक्रिया को पूरी तरह से झुका देती है।
7. संविधान ने मोदी जी को ड्यूटी दी है कि वे विपक्ष के वजूद और अधिकारों की पूरी रक्षा करें। प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद वे केवल भाजपा के ही नहीं रह गए हैं, बल्कि विपक्ष के प्रधानमंत्री भी हैं। चूंकि मोदी जी और उनके समर्थक बार-बार यह कहते हैं कि वे विपक्ष के भी प्रधानमंत्री हैं इसलिए तो मोदी जी के लिए और भी ज़रूरी है कि वे संसद के बाहर और भीतर विपक्ष की राय का सम्मान करें, उसके साथ बार-बार हर महत्त्वपूर्ण मौके पर विचार-विमर्श करें। वैसे भी इस समय देश का विपक्ष आज़ादी के बाद इतिहास का सबसे मज़बूत विपक्ष है। सर्वदलीय बैठकें बुलाना अपवाद न होकर नियम होना चाहिए।
8. संविधान ने प्रधानमंत्री को ड्यूटी दी है कि वे देश की जनता का सशक्तिकरण करें। संविधान में ऐसी कोई हिदायत नहीं है कि सरकारी नीतियां आम लोगों को, सरकारी सहायता या मुफ्त अनाज और राशन पर गुज़रबसर करने वाला बना डालें। आम लोगों को सशक्त और सक्षम नागरिक बनाने के लिए संविधान ने मोदी जी को तरह-तरह की कारगर योजनाएं बनाने का अधिकार दिया है। इससे लाखों-करोड़ों रोज़ागार पैदा होंगे और लोगों को सरकार के टुकड़ों पर गुज़रबसर करने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी। देश का वास्तविक विकास होगा, और हम प्रगति के रास्ते पर बढ़ते चले जाएंगे।
मेरे पास ऐसे ही बहुत से सुझाव हैं जिनसे मोदी जी को अपने संविधानसम्मत कर्तव्यों का पालन करके कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने में आसानी होगी लेकिन बाकी सुझाव फिर किसी मौके पर। धन्यवाद मोदीजी, आपने मुझे पत्र लिखा जिसके कारण आपसे संवाद करने का मौका मुझे मिल सका।
लेखक अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्ऱोफेसर और भारतीय भाषाओं के अभिलेखागारीय अनुसंधान कार्यक्रम के निदेशक हैं।



