संसदीय कार्यवाही की निरंतरता

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। यह सत्र केवल 15 दिनों का होगा। इसमें दो बिल बहस के बाद पास किए जाएंगे और 10 अन्य बिलों को पेश किया जाएगा। सत्र शुरू होने से पहले सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सरकार ने सत्र में सुचारू कार्यवाही के लिए सहयोग की मांग की थी, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सदन में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों में गहनता से संशोधन संबंधी 9 राज्यों और 3 केन्द्र प्रशासित क्षेत्रों में चल रहे अमल और संसद में चर्चा करवाने की मांग की थी। मतदाता सूची में संशोधन के अलावा विपक्षी पार्टियों ने किसानी मुद्दों, वायु प्रदूषण और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी भी चर्चा करवाने की मांग की थी परन्तु सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच इस संबंधी सहमति बनती नज़र नहीं आ रही। संसद का पहला दिन हंगामे और शोर-शराबे में ही गुज़र गया। प्रतीत होता है कि बाकी सत्र भी इसी टकराव में गुज़र जाएगा।
संसद से बाहर सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पत्रकारों के साथ बातचीत करते कहा कि जहां सभी पार्टियों से यह उम्मीद जताई थी कि वह सत्र की अच्छी प्राप्ति के लिए अलग-अलग विषयों की चर्चा में भाग लें और अपने सुझाव भी दें परन्तु इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिहार चुनावों से बड़ी विपक्षी पार्टी बौखला गई हैं और अपने गुस्से का इज़हार वह संसद में करना चाहती है परन्तु दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी मतदाता सूचियों में संशोधन पर बहस करने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा करवाने की मांग की है। जहां तक चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के संशोधन की प्रक्रिया का संबंध है, इसका अमल 9 राज्यों और 3 केन्द्र प्रशासित प्रदेशों में शुरू हो चुका है। पहले आयोग द्वारा 8 जनवरी को यह सारा कार्य पूरा करने की तिथि निर्धारित की गई थी, परन्तु समय कम होने के कारण इतने विस्तृत एवं बड़े कार्य के लिए बेहद मुश्किलें सामने आने के कारण तथा इस विशाल कार्य में लगे कर्मचारियों पर बेहद दबाव पड़ने के कारण आयोग द्वारा इसके समय में 7 दिन की और वृद्धि कर दी गई है, परन्तु उसकी ओर से कार्य निर्विघ्न जारी है। इस संबंध में बिहार चुनाव से पहले भी कांग्रेस तथा कुछ अन्य पार्टियों ने इस प्रक्रिया को प्रत्येक संभव तरीके से रोकने का यत्न किया था और बात सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गई थी। उसकी ओर से मतदाता सूचियों के संशोधन की कार्यवाही को हरी झंडी दिए जाने के बाद आयोग द्वारा यह कार्य लगातार जारी है। कांग्रेस तथा कुछ अन्य पार्टियां इस बात पर अडिग हैं कि इस संबंध में संसद के इस सत्र में बहस होनी चाहिए, परन्तु सरकार अपने बताए गए कारणों से बहस करवाने के लिए तैयार नहीं है। पहले दिन संसद के दोनों सदनों में चाहे शोर-शराबे के दौरान कुछ बिल तो पेश कर दिए गए, परन्तु मतदाता सूचियों के संशोधन संबंधी संसद में बहस करवाने पर अडिग विपक्ष ने यह कार्यवाही नहीं चलने दी, जिस पर राज्यसभा तथा लोकसभा की कार्यवाही को बीच में ही रोकना पड़ा।
आगामी दिनों में भी इस मामले को लेकर यदि दोनों पक्ष अडिग रहते हैं तो पहले हुए सत्रों की तरह इस सत्र में भी अलग-अलग बिलों तथा अन्य मुद्दों पर चर्चा की जानी बेहद कठिन हो जाएगी। इस तरह से संसद की यह कार्यवाही महज़ खानापूर्ति बन कर ही रह जाएगी। ऐसे हालात देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर व्यापक स्तर पर प्रभाव डालने वाले बन जाएंगे। हम समझते हैं कि सभी पक्षों को इस संबंध में गम्भीर होकर कोई ऐसा रास्ता अपनाना चाहिए, जिससे संविधान की भावना के अनुसार लोकतंत्र का पहिया अपनी रफ्तार से चलता रहे। ऐसी गति ही देश के अच्छे भविष्य की ज़ामिन बन सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#संसदीय कार्यवाही की निरंतरता