चुनाव में कांग्रेस के लिए सरकारी कर्मचारी बन सकते हैं मुसीबत 

बमियाल, 10 अप्रैल (राकेश शर्मा) : पंजाब के सरकारी मुलाजिम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकते हैं। चुनाव से पहले मुलाजिमों के मुद्दे जिस तरीके से गर्माए हुए हैं, यह पंजाब में कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं। पंजाब में रेगुलर, कॉन्ट्रैक्ट तथा एडहाक मिलाकर करीब चार लाख सरकारी कर्मी है। अलग-अलग विभाग के कर्मी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। जिसके चलते सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अपनी जान भी देने की कोशिश कर चुके हैं और चुनाव संहिता लगने तक पंजाब सरकार की तरफ से सामूहिक मुलाजिमों के हक में कोई भी अच्छा फैसला नहीं लिया गया। मुलाजमों की मुख्य मांगें डीए तथा एरियर जारी करना, पुरानी पैन्शन स्कीम को बहाल करना, कच्चे मुलाजिमों को रेगुलर करना आदि शामिल हैं। चुनाव संहिता लगने के पहले सरकार पर दबाव बनाने के मकसद के साथ मुलाजिमों की तरफ से आंदोलन तथा हड़तालें में भी की गई थीं। जिसके चलते पंजाब सरकार की तरफ से डीऐ एरियर की दो किश्तें जारी भी की गई थी परंतु अभी तक भी पांच किश्तें बाकी हैं। पंजाब सरकार की तरफ से इन मुद्दों पर कोई भी विचार नहीं किया गया। मुलाजिमों की मांगों पर गौर करने का बहाना बनाकर पंजाब सरकार की तरफ से एक कमेटी का गठन करके मुलजिमों को लाली पाप देकर शांत करने की कोशिश की गई। वर्णनीय है कि पंजाब के अलग-अलग विभागों के मुलजिमों ने पिछले दो साल लगातार मौजूदा सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किए। पिछली सरकार ने इन कर्मियों को नियमित करने का बिल भी बना के पास किया था परंतु सरकार की तरफ से सत्ता में आने पर उस को पूर्ण रूप से रद्द कर दिया गया। जिसके चलते 27 हजार के करीब कर्मी नियमित होने से वंचित रह गए थे। इन कर्मियों में भी मौजूदा सरकार के खिलाफ भारी रोष पाया जा रहा है। पंजाब में ज़िला परिषद् के अधीन चल रही रूरल डिस्पेंसरियों में उपस्थित फार्मासिस्ट, दर्जा चार कर्मचारी तथा पंजाब के स्कूलों में काम कर रहे अध्यापक मौजूदा सरकार से बेहद खफा नजर आ रहे हैं क्योंकि ज़िला परिषद् के अधीन चल रही डिस्पेंसरियों में काम करने वाले 1186 फार्मासिस्ट तथा दर्जा चार कर्मचारी पिछले 13 सालों से अनियमित तौर पर तथा कम वेतन पर काम कर रहे हैं। ऐसे ही पंजाब के सरकारी स्कूलों में नियुक्त एक लाख के करीब सरकारी अध्यापक भी पंजाब सरकार से अधिक खफा नज़र आ रहे हैं। जिसके चलते पंजाब के सारे अध्यापकों ने एक संगठन बनाकर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खिलाफ पटियाला में कई तरह की रैलियां की थी। जिस दौरान अध्यापकों पर लाठीचार्ज भी किया गया था। इसके अलावा अध्यापकों की नाराजगी की एक वजह शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षा सचिव  नियुक्त कृष्ण कुमार भी है। उनके तानाशाही फरमान तथा आदेशों के चलते अध्यापकों में खासी नाराजगी पाई जा रही है। अध्यापकों की तरफ से खासा विरोध करने के बाद भी अभी तक कृष्ण कुमार को नहीं हटाया गया है।