खूबसूरती का नायाब हीरा ताजमहल

जिन लोगों ने भी ताजमहल के बारे में सुना है, वे सभी बेगम मुमताज को जानते हैं। मुगल बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज महल को बहुत चाहता था। उनकी शादी वर्ष 1612 में हुई थी। 14वें बच्चे को जन्म देने के उपरांत बुरहानपुर में वर्ष 1630 में बेगम का देहावसान हुआ था। मुमताज महल के गम में डूबे बादशाह ने उसकी याद में दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत बनाने का आदेश दिया। उसी साल उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में काम भी शुरू हो गया। भारत के अलावा परसिया और यूरोप तक से कलाकार बुलवाए गए तब जाकर तैयार हुआ प्यार का मंदिर ताजमहल। ताजमहल दुनिया भर में आर्किट्रैक्चर का एक नायाब नमूना है। इसके पांच भाग है - दरवाजा, बगीचा, मस्जिद, नक्कारखाना और मुमताज  महल का मकबरा। सच मायने में पूरा ताजमहल ही बहुत सुंदर है। दुनिया भर के पर्यटक कारीगिरी देखने आगरा आते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह उस समय की मुगल, परसियन, सैंट्रल एशियन और इस्लामिक आर्किट्रैक्चर की बेहतरीन तकनीकों से मिलकर बनाया गया है।ताजमहल के निर्माण से पूर्व छ: महीनों में कुशल कारीगरों को तराश कर उनमें से 37 दक्ष कारीगर इकट्ठे किए गए। जिनकी देखरेख में 20,000 मज़दूरों के साथ कार्य किया गया। इसी प्रकार ताज़ निर्माण में लगाई गई सामग्री संगमरमर पत्थर कई शहरों से उपलब्ध करवाया गया जोकि बेहद कीमती था। मुगल बादशाह की मोहब्बत और शिद्दत का परिणाम ही है ताज़महल। इसके अंदर छतों और दीवारों पर भी सुंदर नक्शी की हुई है, जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इसका इतिहास बच्चे, बूढ़ों हर किसी की जुबान पर है।