अधिक मानसिक परेशानियों के कारण बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले

नंगल, 11 जुलाई (गुरप्रीत सिंह ग्रेवाल): मानसिक परेशानियों के चलते भारत में आत्महत्या करने का रुझान बढ़ रहा है। कोई सपने पूरे न होने के कारण आत्महत्या कर रहा है और किसी को घरेलू क्लह मौत की ओर धकेल रहा है। 2015 में भारत में 1,33,623 लोगों ने आत्महत्या की। चेन्नई, बेंगलुरु, दिल्ली में क्रमश: 2274, 1855, 1553 व्यक्तियों ने आत्महत्या की। 1,33,623 लोगों में 27.6 प्रतिशत ने पारिवारिक समस्या के कारण, 15.8 प्रतिशत ने बीमारी के चलते, 4.8 प्रतिशत ने उलझे वैवाहिक जीवन के कारण, 3.3 प्रतिशत ने आर्थिक कंगाली के कारण, 48.5 प्रतिशत ने अन्य कारणों के चलते आत्महत्या की। प्रिंसीपल सरकारी शिवालिक कालेज नवां नंगल बिक्कर सिंह ने बताया कि कार्य का बोझ तो बढ़ा है परन्तु कार्य वाले स्थान के हालात नहीं बदले। पहले चिट्ठी आती थी अब मुख्य कार्यालय से मोबाइल पर संदेश आता है कि आधे घंटे में जवाब दो। 2013-2018 के बीच तीन आई.पी.एस. अधिकारियों हिमांशु राय, अजय कुमार, सुरिन्द्रा कुमार दास सहित 940 पुलिस कर्मचारियों ने आत्महत्या की। कार्य का दवाब इतना है कि पुलिस वाले कोई न कोई नशा करने लग जाते हैं। ‘सीखने के लिए आओ सेवा हेतु जाओ’ वाले दिन लद गए हैं। भारत में 800 यूनिवर्सिटियां एवं 40000 कालेज हैं। 11923 स्वतन्त्र शैक्षणिक संस्थान हैं जैसे कि स्वतन्त्र डिग्री कालेज हमारा शैक्षणिक ढांचा सहनशक्ति कम सिखाता है और सपने ज्यादा दिखाता है। यही कारण है कि विद्यार्थी भी तुरन्त फंदा ले लेते हैं। बच्चा अभी मैट्रिक में पहुंचता है परिजन कोटा के कोचिंग सैंटरों के दरवाजे खोलने लग पड़ते हैं। सर्दियों में 3.30 बजे बच्चा स्कूल से आता है, चार से सात तीन ट्यूशनें होती हैं। प्रतिस्पर्धा इतनी है कि बच्चे भी क्या करें। भारत में 65000 एम.बी.बी.एस. सीटें हैं। देश के 35 अस्पतालों को अपग्रेड करने के पीछे 10000 सीटें ओर बढ़ेंगी। इस वर्ष 14 लाख 10 हज़ार 755 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा दी, 7 लाख 97 हज़ार, 42 पास हुए 3.51 लाख (पुरुष) 4.45 लाख (महिला) प्रत्याशियों ने परीक्षा पास की। विद्यार्थी मनोस्थिति का सहज ही अंदाजा लग सकता है। निजीकरण के दौर ने आत्महत्याओं को ओर बढ़ाया है। पंजाब के छोटे से शहर नंगल के रोज़गार कार्यालय में 3000 रजिस्टर्ड बेरोज़गार हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकारों को सामाजिक सुरक्षा की ओर ध्यान देना पड़ेगा नहीं तो हालात ओर खराब होंगे। देश के किसान राज्य पंजाब के हालात बहुत ही बुरे हैं। पंजाब में 2000-2015 दौरान 16606 किसानों, कृषि मज़दूरों ने आत्महत्या की। इनमें से 87 प्रतिशत वह किसान हैं जिन्होंने ऋण लिया परन्तु वापिस न कर सके। आत्महत्या करने वाले 76 प्रतिशत किसानों की जमीन पांच एकड़ से कम है। नई बीमारी ‘ईगो’ ने भी आत्महत्याओं को उत्साहित किया है।