सी.बी.आई. द्वारा बरगाड़ी केस ‘बंद’ की सिफारिश

जालन्धर, 13 जुलाई (मेजर सिंह): बरगाड़ी बेअदबी मामले की जांच कर रही केन्द्रीय जांच एजैंसी सी.बी.आई. द्वारा केस बंद करने की मोहाली अदालत में पेश की रिपोर्ट से सरकारी क्षेत्र, राजनीतिक लोग एवं कानूनी मामलों के जानकार हैरान होकर रह गए हैं। लगभग साढ़े तीन वर्ष की जांच के पश्चात एजैंसी द्वारा पंजाब पुलिस द्वारा सामने लाए गए आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए केस को बंद करने की सिफारिश से कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। सी.बी.आई. अधिकारियों ने पंजाब के इस बेहद संवेदनशील केस बारे चुपचाप 4 जुलाई को मोहाली की अदालत में ‘केस बंद’ करने की रिपोर्ट पेश कर दी। हैरानी इस बात की भी है कि बेअदबी मामले को विगत विधानसभा चुनावों और फिर लोकसभा चुनावों में वोटें लेने के लिए उछालती रही पंजाब सरकार ने भी केस बंद करने की की सिफारिश बारे किसी को भी खबर नहीं होने दी।
रणजीत सिंह आयोग एवं पंजाब सरकार : जुलाई 2018 में कैप्टन सरकार द्वारा बेअदबी तथा कोटकपूरा एवं बहिबल कांड की जांच हेतु बिठाए जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश कर दी। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर 29 अगस्त को पूरा दिन आयोग की रिपोर्ट पर हुई हंगामे भरी बहस के पश्चात सर्वसम्मति से फैसला हुआ कि बेअदबी मामले की सी.बी.आई. से जांच वापिस ली जाए और इस केस सहित कोटकपूरा एवं बहिबल कलां कांड की जांच हेतु पुलिस की विशेष जांच टीम गठित की जाए। विधानसभा के इस फैसले के तहत कैप्टन सरकार ने कोटकपूरा एवं बहिबल कलां की जांच सी.बी.आई हवाले करने का पत्र तो उस समय वापिस ले लिया और इन मामलों की जांच हेतु पंजाब पुलिस के पांच अधिकारियों की सिट बना दी।
बेअदबी बारे सरकार नहीं गंभीर : विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के बावजूद पंजाब सरकार ने बेअदबी मामले की जांच सी.बी.आई. से वापिस लेने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। पता लगा है कि इस बारे औपचारिक पत्र तो लिखा गया परन्तु इस मामले की पैरवी कभी नहीं की, कभी भी पंजाब के मुख्यमंत्री ने यह मामला गृह मंत्री के आगे नहीं उठाया। सरकार की कारगुजारी पर भी गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं  कि एक ओर पंजाब पुलिस की जांच कमेटी ने बेअदबी मामले में तीन आरोपी ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में गांव गुरुसर के मलके गांव में हुई बेअदबी की घटनाओं हेतु जिम्मेवार 23 अन्य डेरा प्रेमी गिरफ्तार किए हैं और उनके खिलाफ अदालत में चालान भी पेश कर दिए हैं और दूसरी ओर उसी जांच टीम द्वारा बरगाड़ी कांड हेतु मुख्य आरोपी करार देते तीन व्यक्तियों को सी.बी.आई. ने क्लीन चिट दे दी है।जहां से चले वहीं मुड़े : सी.बी.आई. हमारे तीन वर्ष की जांच के पश्चात पकड़े गए आरोपियों के विरुद्ध दर्ज केस बंद करने की सिफारिश तक ही सीमित होकर रह गई है, जबकि उन्होंने इस मामले के आरोपियों का पर्दाफाश करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। सी.बी.आई.  द्वारा पिछले महीने नाभा जेल में मारे गए बरगाड़ी कांड के मुख्य आरोपी महिन्द्र पाल बिट्टू का नाभा जेल में करवाया नार्को टैस्ट सफल न होने को केस बंद करने का आधार बनाया बताया जा रहा है, परन्तु पंजाब पुलिस के कई सीनियर अधिकारी इस बात पर उंगली उठा रहे हैं। उनका कहना है कि नार्को टैस्ट केवल गांधीनगर (गुजरात) की फोरैंसिक लैब में ही होता है और नाभा जेल में ऐसा कोई टैस्ट हो ही नहीं सकता। हमारे तीन वर्ष पश्चात बेअदबी मामले की जांच जहां से चली वहां ही आ खड़ी है।