कपूरथला से भी अटूट रिश्ता रहा है शीला दीक्षित का

कपूरथला, 20 (दीपक बजाज) जुलाई: दिल्ली की तीन बार रही मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष शीला दीक्षित ने भले ही अपने जीवन काल का अधिकतर समय दिल्ली के लोगों के साथ बिताया हो, परंतु रियासती शहर कपूरथला से भी उनका रिश्ता बहुत गहरा है। 31 मार्च 1938 को कपूरथला के मोहल्ला परमजीत गंज में जन्मी शीला दीक्षित ने प्राथमिक शिक्षा (1952-53) स्थानीय हिंदू पुत्री पाठशाला स्कूल अमृतसर मार्ग से गृहण की। दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित एक-दो बार अपने मामा विश्वनाथ पुरी से भी मिलने कपूरथला आई। शीला दीक्षित हिंदू पुत्री पाठशाला में एक आयोजित एक कार्यक्रम में 29 नवम्बर 2004 को मुख्य मेहमान के रुप में भी उपस्थित हुई थी, जहां उन्हाेंने अपनी पुरानी यादों को ताज़ा करते हुए अपने संबोधन में बच्चों को कहा था कि उनका ननिहाल सिविल अस्पताल के सामने वाली गली में है और उनके नाना सिविल अस्पताल के पहले सिविल सर्जन थे और उनकी नानी श्रीमती लज्यावती पुरी हिंदू कन्या कॉलेज की फाऊंडर प्रिंसीपल थी। कार्यक्रम दौरान उन्होंने तीन दशकों में बदले कपूरथला शहर पर आश्चर्य भी प्रकट किया था। शीला दीक्षित साहसी महिला के रुप में जानी जाती रहेगी। रसूखदार परिवार में जन्मी स्व: शीला दीक्षित को बचपन में ही खुले माहौल और स्वतंत्र जीवन जीने का मौका मिला। मौजूदा समय में शीला दीक्षित के घर की इमारत पुरानी ही है, जबकि उनके आसपास अब नए घर बन चुके हैं। भले ही शीला दीक्षित का अटूट रिश्ता कपूरथला से है, लेकिन उनके पड़ोसियों को उनके ननिहाल संबंधी कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं है और न ही पुराने घर के आसपास कोई उनके पुराने पड़ोसी हैं। उनके घर के सामने रहती सरबजीत कौर ने बताया कि उन्हाेंने केवल शीला दीक्षित को एक बार उस समय देखा जब अपने मामा से यहां मिलने आई थीं, अब उनके पुराने घर की देखभाल अजय नामक युवक कर रहा है और यहां वह अपनी माता इंद्रा और पिता राम के साथ रह रहा है। उसने बताया कि उन्हाेंने शीला दीक्षित को यहां कभी नहीं देखा। उनके मामा विश्वनाथ पुरी निधन से लगभग दो वर्ष पूर्व उन्हें इस घर की जिम्मेदारी दे गए थे। उसके बाद यहां कोई नहीं आया, परंतु उसे मालूम है कि ये घर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का ननिहाल है और इस घर के आसपास उनके रिश्तेदार रहते थे जो अब धीरे-धीरे सारी जगह को बेचकर अलग-अलग स्थानों पर जा बसे हैं। स्व: शीला दीक्षित के ननिहाल की इमारत पुरानी रियासती इमारतों जैसी है। केयरटेकर अजय कुमार की ओर से उनके घर की अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है। उसने अपने शब्दों में कहा कि भले ही वह शीला दीक्षित को नहीं मिला और उनसे संबंधित अधिक जानकारी नहीं रखता है, लेकिन उसे उनके स्वर्गवास होने का गहरा दु:ख है और इस शोक की घड़ी में नगर का कोई भी उनसे संबंधित व्यक्ति उनके पास नहीं आया है।