न बॉलीवुड, न हॉलीवुड मनोरंजन का शहंशाह है यू-ट्यूब

दुनिया की आबादी 7 अरब 55 करोड़ के आसपास है और यू-ट्यूब में हर महीने तकरीबन 1 अरब 72 करोड़ लोग कोई न कोई वीडियो देखते हैं। जुलाई 2015 में यू-ट्यूब में एक मिनट के भीतर इतना वीडियो कंटेंट लोड होता था जो अगर पूरा देखा जाता तो 400 घंटे तक लगातार उसे देख सकते थे। आज यू-ट्यूब में हर मिनट करीब 510 घंटे का वीडियो कंटेंट डाला जाता है। अगर एक साल के भीतर यू-ट्यूब के तमाम वीडियो के देखे जाने के वक्त को हम एक साथ जोड़ लें तो करीब 50 हज़ार साल के बराबर का कंटेंट एक साल के भीतर रखा जाता है। क्या ये तमाम आंकड़े किसी भी कल्पना की पैदाइश हो सकते थे? क्या ये आंकड़े किसी भी कल्पना से परे नहीं हैं? साल 2005 में जब तीन अमरीकी नौजवानों चैड हर्ले, स्टीव चेन और जावेद करीम ने एक वीडियो देखने वाली वैबसाइट बनाई, जिसमें लोग वीडियो तो देख ही सकते थे, अपना बनाया हुआ वीडियो क्लिप भी उसमें डाल सकते थे। तब पेपल कंपनी के ये तीनों कर्मचारी कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि एक दिन उनकी यह वैबसाइट इतनी बड़ी हो जायेगी कि करोड़ों लोग देखा करेंगे। 23 अप्रैल 2005 को यू-ट्यूब में पहली बार रात 8:27 मिनट पर 18 सैकेंड का एक वीडियो लोड किया गया था, जिसे 2018 तक करीब 4 करोड़ 76 लाख लोगों ने देखा था। यह वीडियो यू-ट्यूब के संस्थापकों में से एक जावेद करीम ने बनाया था और इसका नाम था- मी एट द जू। आज की तारीख में दुनिया की बड़ी से बड़ी फि ल्म इंडस्ट्री चाहे वो हॉलीवुड हो या बॉलीवुड यू-ट्यूब के सामने किसी मच्छर से ज्यादा औकात नहीं रखती। यू-ट्यूब वैबसाइट बनाने वाले तीनों नौजवानों ने महज एक साल के भीतर ही गूगल को अपनी वैबसाइट को 1.65 अरब डॉलर में बेच दिया था निश्चित रूप से यह तब बहुत बड़ी रकम थी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भविष्य में इतनी बड़ी मुंहमांगी रकम पाकर भी यू-ट्यूब वैबसाइट बनाने वाले नौजवानों को एक ऐसा भी वक्त आयेगा कि पछतावा भी होगा। आज वाकई ये तीनों अरब पति यू-ट्यूब निर्माता बहुत पछता रहे हैं क्योंकि उनकी वैबसाइट हर महीने 4 बिलियन डॉलर से ज्यादा कमा रही है। यू-ट्यूब की कमाई एड सेंस से है, साथ ही सदस्यता और मासिक भुगतान से भी इसे अच्छी खासी रकम मिल रही है। दुनिया में हर दिन 20 करोड़ से ज्यादा वीडियो यू-ट्यूब में देखी जाती हैं। हर दिन करीब 5 करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग यू-ट्यूब देखते हैं जो उसके प्रीमियम सदस्य हैं यानी वो हर महीने बिना किसी डिर्स्टबेंस के अच्छी से अच्छी सामग्री यू-ट्यूब में बिना रुके देखते हैं। और इसके लिए 500 डॉलर से लेकर 2000 डॉलर का भुगतान करते हैं। अगर यू-ट्यूब को मनोरंजन का शहंशाह कहें तो यकीनन यह बहुत छोटा शब्द है। क्योंकि एक तरफ  यू-ट्यूब और दूसरी तरफ  उसके मुकाबले में कोई दूसरी मनोरंजन कंपनी है ही नहीं जो दूर-दूर तक उसका कहीं से मुकाबला कर सके। यू-ट्यूब दुनिया के 90 से ज्यादा देशों में और 76 से ज्यादा भाषाओं में चल रहा है। दुनिया का हर पांचवां शख्स हर दिन औसतन 1 घंटे यू-ट्यूब में बिताता है। सिर्फ  यू-ट्यूब के मालिकों या यू-ट्यूब की मौजूदा कंपनी ने ही इसके जरिये अंधाधुंध पैसे नहीं कमाये बल्कि साल 2007  से लेकर 2017 तक 80 लाख लोग यू-ट्यूब के जरिये करोड़पति बन चुके थे। कुछ लोगों की कमाई तो एक साल में 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रही है। कई ऐसे यू-ट्यूबर हैं जिनके चैनलों के सबस्क्राइबर कई करोड़ में हैं। स्वीडन के कमेडियन प्यूडाइपाई के चैनल के सबस्क्राइबर दो साल पहले 6 करोड़ 53 लाख हुआ करते थे। साल 2017 में इंग्लैंड के डेनियल रॉबर्ट ने अपनी एक वीडियो से ही 1 करोड़ 70 लाख अमरीकी डॉलर कमाये थे।  कई गाने और कुछ डांस क्लिप्स भी अरबों में कमाई कर चुके हैं। गंगम स्टाइल डांस क्लिप ने एक साल के भीतर 1 अरब से ज्यादा की कमायी की थी।मनोरंजन की इतनी बड़ी महाशक्ति बन जाने के बाद दुनिया में मनोरंजन की ऐसी कोई ताकत नहीं है जो यह कह सके कि वह यू-ट्यूब का मुकाबला कर सकती है। दुनिया की कोई भी फिल्म इंडस्ट्री आज की तारीख में यू-ट्यूब के सामने बोनी ही नहीं महाबोनी है। इसलिए अगर कहा जा रहा है कि भविष्य सिर्फ  यू-ट्यूब का है तो यह कोई बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही बात नहीं है। साल 2025 तक उम्मीद है कि 60 फीसदी से ज्यादा बॉलीवुड फिल्में सिर्फ  यू-ट्यूब के लिए बना करेंगी और वहीं प्रदर्शित होंगी।