किसानों की एक्वायर की ज़मीन का बनता मुआवज़ा न दिए जाने के कारण- कत्थू नंगल के टोल प्लाज़ा की इमारत को कुर्क करने के आदेश

गुरदासपुर, 30 जुलाई (आरिफ): पठानकोट-अमृतसर नैशनल हाईवे पर नैशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया द्वारा अनेकों किसानों की ज़मीन एक्वायर की गई थी जिसका  विभाग ने किसानों को बनता मुआवज़ा दिया था। परंतु बटाला बाईपास पर लगभग 12 गांवों के किसानों की एक्वायर की ज़मीन का किसानाें ने कम मुआवज़ा दिये जाने का विभाग पर आरोप लगाया था और अनेकों किसानों ने 1993 में गुरदासपुर की सैशन अदालत में कम मुआवज़ा मिलने के विरुद्ध केस दायर किया था। इसी दौरान 1993 में मक्खन सिंह व अन्य किसानों ने हाईकोर्ट में यह अपील की थी कि वह अपनी ज़मीन वापिस लेना चाहते हैं। इसी दौरान गुरदासपुर की सैशन अदालत में चल रहा केस भी रुक गया क्योंकि जब तक किसानों की दूसरी अपील का हाईकोर्ट फैसला नहीं सुनाती, तब तक सेशन अदालत भी अपना फैसला नहीं दे सकती थी। परंतु 2012 में हाईकोर्ट ने किसानों द्वारा ज़मीन वापिस लेने की मांग खारिज कर दी और इस केस की शुरू से ही पैरवी कर रहे वकील अमरजीत गोसाईं ने 2012 में दोबारा सेशन अदालत गुरदासपुर में चल रहे केस की पैरवी शुरू की। 17 फरवरी 2016 को एडीशनल सैशन जज जसविंदर कुमार की अदालत ने यह फैसला सुनाया कि प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ के हिसाब से 5 लाख 32 हज़ार 800 रुपए मुआवज़ा दिया जाना बनता है और यह मुआवज़ा उन्हें ब्याज सहित दिया जाएगा। इस संबंधी जानकारी देते हुए अमरजीत गोसाईं ने आगे बताया कि इसी दौरान नैशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया ने भी सैशन अदालत के फैसले के विरुद्ध उसी दिन हाईकोर्ट में अपील कर दी और स्टे लेने की मांग की। हाईकोर्ट द्वारा विभाग को स्टे तो नहीं दिया यगा और यह केस आगे बढ़ता गया। 15 जनवरी 2018 को हाईकोर्ट ने विभाग को पार्ट राशि जोकि लगभग 4 लाख बनती थी दो माह के भीतर सेशन अदालत में जमा करवाने का आदेश दिया। परंतु नैशनल हाईवे अथारिटी ने हाईकोर्ट के आदेशों की परवाह न करते हुए दिए समय पर कोई भी राशि जमा नहीं करवाई जिसके बाद मुदई पक्ष के वकील द्वारा अदालती आदेशों के अनुसार नैशनल हाईवे की लिस्ट आफ प्रापर्टी अदालत में दायर की, जिसमें कत्थूनंगल का टोल प्लाज़ा भी शामिल था। मुदई पक्ष द्वारा इस टोल प्लाज़ा की रोज़मर्रा की आय भी कुर्क करने की मांग की जोकि अदालत ने स्वीकार कर ली और एडीशनल सैशन जज अवतार सिंह बरदा की अदालत ने 22 जुलाई 2019 का को वारंट जारी कर दिए और वारंट अमृतसर के सिविल जज को भेजे गए।
 जहां अदालत ने अपनी विभागीय कार्रवाई के बाद अपने वैल्फ गुरविंदर सिंह के ज़रिये कुर्की के आदेश टोल प्लाज़ा के अधिकारियों को भेजे, जहां पहुंचकर अदालत के कर्मचारियों ने कुर्की के आदेश टोल प्लाज़ा की  इमारत पर चिपका दिए। वकील अमरजीत गोसाईं ने बताय ा कि अदालती आदेशों के अनुसार यदि किसानों को 3 अगस्त 2019 तक उनके बनती राशि न दी गई तो टोल प्लाज़ा की इमारत की नीलामी होगी और टोल प्लाज़ा की रोज़ाना की आय को कुर्क कर किसानों की बनती राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि यह राशि लगभग साढ़े 4 से 5 करोड़ के बीच है।