चम्पा और चमेली

चम्पा और चमेली दो गहरी मित्र हैं। चम्पा सरकारी कालोनी के एक क्वार्टर में रहती हैं। वह एक सरकारी कार्यालय में बतौर लिपिक नियुक्त है और साधारण परिवार की अविवाहित युवती है। उसके घर में वृद्ध मां व बाप हैं। उसका बड़ा भाई एक मल्टीनैशनल कम्पनी में मैनेजर है। जब वह भारत से विदेश गया तो वृद्ध मां-बाप को यह कह कर गया कि वह अमरीका से अधिक धन कमा कर अपनी जन्म भूमि लौटेगा। तब वह अपनी लाडली बहन के हाथ बड़ी धूम से पीले करेगा। मां-बाप ने अपनी सारी जमा पूंजी उसकी पढ़ाई-लिखाई व विदेश यात्रा के खर्च के लिए व्यय कर दी और खाली हाथ केवल बेटी के वेतन पर गुज़ारा करने पर मजबूर होकर रह गये।चम्पा का भाई निलेश विदेश से पहले तो सप्ताह में टैलीफोन कर घर का हालचाल पूछ लेता था। फिर महीने बाद, व फिर 6 महीने बाद तथा बाद में यह अवधि बढ़ कर साल या डेढ़ साल हो गई। वृद्ध मां-बाप व बहन मन मसोस कर रह गए थे। चम्पा के घर के ठीक सामने मुख्य सड़क के दूसरी ओर के एक छोर पर एक आलीशान बंगला, जिसमें विदेशी महंगी कार, मुख्य प्रवेश द्वार पर वर्दी पहने गार्ड तथा इस महलनुमा बंगले के प्रवेश द्वार से लेकर ड्राईंग रूम तक दोनों ओर लॉन, पेड़े-पौधों की हरियाली के साथ एक तरण ताल भी है। बंगला आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस है। यह कोठी देश के नामी सर्जन डा. चंद्रा की  है। जो अविवाहित है। डा. चंद्रा को अहं लेश मात्र भी छू नहीं पाया, हालांकि वह भी विदेश से पढ़-लिख कर आया हुआ है और तमाम व्यस्तताओं के उपरान्त भी वह मृदु भाषी व मिलनसार व्यक्तित्व का धनी है। वह चाहता तो डाक्टर के  रूप में प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकता था और अपार धन-सम्पदा जुटा सकता था, परन्तु उसने यह रास्ता नहीं चुना, क्योंकि उसके पिता देश के नामी बिजनेसमैन हैं। वह तो जन-सेवा की  भावना से चिकित्सा जगत में डाक्टर के रूप में देश व गरीबजनों की सेवा की भावना से आया। 
चम्पा की सहेली चमेली है जो पाश्चात्य संस्कृति व सभ्यता के रंग में रंगी पली-बढ़ी युवती है। उसने मास कम्युनिकेशन का डिप्लोमा किया है, जो अपना करियर पत्रकार जगत में बनाना चाहती है तथा सुयोग्य अवसर की तलाश में है। टाईम पास व खर्च चलाने के लिए वह एक मल्टीनैशनल कम्पनी में मैनेजर के पद पर नियुक्त है, जिसे घर से आफिस ले जाने व वापिस घर लाने के लिए कम्पनी ने कैब लगा रखी है। कम्पनी की मीटिंगों के कारण कई बार देर से भी घर लौटती है। वह कई बार ‘ड्रिंक’ भी ले लेती है और कई बार सिगरेट कश भी लगा लेती है। उसका सपना है कि वह किसी बड़े प्रकाशन समूह में या किसी चैनल में हैड बन कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करे। दूसरी ओर चम्पा सार्वजनिक परिवहन निगम की बस से कार्यालय आती व जाती है। एक दिन चमेली की ‘कैब’ नहीं पहुंचती और मीटिंग के सिलसिले में उसे आफिस ज़रूर पहुंचना है इसलिए वह पैदल ही बस स्टैंड की ओर घर से चल पड़ती है। दूसरी ओर सरकारी बाबुओं की कालोनी से निकल कर चम्पा नित्य की भांति बस स्टैंड पर आ जाती है। दोनों सहेलियां एक-दूसरे को देख कर गले से लिपट जाती हैं, क्योंकि बचपन में दोनों एक ही स्कूल में एक ही कक्षा की छात्रा भी रही हैं। दोनों सहेलियां एक-दूसरे का हाल जानती हैं। वह बस की प्रतीक्षा कर रही होती हैं तभी आलीशान बंगले से महंगी विदेशी कार निकल कर सड़क पर आती है।