बाढ़ का प्रकोप

मानसून के मौसम में देश के कई हिस्सों में हुई लगातार और भारी वर्षा ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। जहां प्रकृति के इस प्रकोप का असर अधिक हुआ है, वहीं अब बड़ा जानी और माली नुक्सान भी हो चुका है। प्राप्त समाचारों के अनुसार केरल में कई सप्ताहों से लगातार वर्षा होती रही है, वहां अब तक 121 मौतों का समाचार है, 21 व्यक्ति लापता हैं और सैकड़ों ही गम्भीर रूप से घायल भी हो गए हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में बाढ़ के कारण 56 मौतें होने का समाचार है। राज्य की अधिकतर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे प्रभावित हुए क्षेत्रों का समूचा जन-जीवन ठप्प होकर रह गया है। इसका असर पड़ोसी कर्नाटक पर भी हुआ है, क्योंकि अधिक पानी आने से स्थापित बांधों के फ्लड गेट खोलने के कारण पानी ने बड़ा नुक्सान करना शुरू कर दिया है। कर्नाटक में 22 ज़िले इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसी तरह बिहार, ओडिशा और असम में भी वर्षा ने भारी नुक्सान किया है। हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में लगातार भारी वर्षा होने के कारण इन राज्यों में दर्जनों ही लोगों के मारे जाने के समाचार हैं और अब तक इन राज्यों में हज़ारों करोड़ रुपए का नुक्सान हो चुका है। यमुना नदी ने हरियाणा के कई क्षेत्रों के साथ-साथ राजधानी दिल्ली को भी चिंता में डाल दिया है, क्योंकि यह नदी भी उम्मीद से कहीं अधिक भर कर बहने लगी है। पहाड़ी राज्यों की कई सड़कों को भी पानी बहाकर ले गया है। हिमाचल प्रदेश से लगातार हो रहे पानी के बहाव के कारण भाखड़ा बांध का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर बहना शुरू हो गया है, जिस कारण फ्लड गेट खोलने पड़े हैं, इसलिए सतलुज के बेतहाशा जल ने पंजाब के कई क्षेत्रों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। रोपड़ हैड वर्क्स से पानी का बहाव आने के कारण जालन्धर ज़िले के कुछ क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। फिरोज़पुर में दरिया के आसपास बसे गांवों को खतरा पैदा हो गया है। जालन्धर तथा फिरोज़पुर में प्रशासन द्वारा कई दर्जन गांवों को खाली करने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। बाढ़ के कारण गम्भीर हुई स्थिति को मुख्य रखते हुए भी पंजाब में कुछ रेलगाड़ियां भी रद्द कर दी गई हैं। एक अनुमान के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में अभी और भारी वर्षा होने का अनुमान है। इसने हरियाणा तथा पंजाब के मैदानी क्षेत्रों को बड़ी चिन्ता में डाल दिया है। प्रकृति के इस प्रकोप ने किसानों की सांसें रोक दी हैं। चाहे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कुछ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके 100 करोड़ रुपए की राहत देने का ऐलान किया है और साथ ही किसानों की प्रभावित फसलों की विशेष गिरदावरी करने के भी निर्देश दिए हैं परन्तु अब तक जितना नुक्सान हो चुका है, वह काफी ज्यादा है। इससे 1988 में बेहद भीषण बाढ़ की याद आती है, जिसके कारण पंजाब के बहुत सारे क्षेत्रों में फसलें पूरी तरह बह गईं थीं। पहाड़ों और मैदानी क्षेत्रों में भारी वर्षा होने की चेतावनियां तो पहले ही दे दी गई थीं। इसके लिए संबंधित राज्यों के प्रशासन को भी सतर्क किया गया था। उन्होंने अपनी-अपनी शक्ति भी लगानी शुरू की है, परन्तु संसाधन कम होने के कारण और अनापेक्षित बाढ़ के कारण ज्यादातर प्रशासनिक प्रबंध प्रभावहीन होकर रह जाते हैं। पंजाब में तो बहुत सारी संस्थाओं ने भी स्थिति के प्रति सचेत होते हुए इस प्राकृतिक कहर को कम करने के लिए प्रयास करने शुरू किए हैं, जो हौसला बढ़ाने वाले हैं। पंजाब के लिए प्रकृति द्वारा एक बार फिर दी गई ऐसी चुनौती का प्रशासन और लोगों द्वारा सामूहिक प्रयासों से ही मुकाबला किया जा सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द