बाढ़ के प्रकोप का घातक प्रभाव

 

हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ पंजाब में भी आई भयावह बाढ़ ने अब तक हर तरफ भारी नुकसान पहुंचाया है। ताज़ा समाचारों के अनुसार भाखड़ा बांध में अभी भी पानी तेज़ी से बढ़ रहा है तथा अब संबंधित अधिकारियों ने यह चेतावनी दे दी है कि यहां से किसी भी समय पानी छोड़ा जा सकता है। इसलिए सतलुज के साथ लगते गांवों को खाली करवाने के भी निर्देश दिये गये हैं। भाखड़ा बांध के ़खतरे का निशान 1680 फुट है। अब तक यह 1650 फुट  से ऊपर पहुंच चुका है। इसके अलावा सतलुज के साथ-साथ ब्यास तथा रावी नदियां भी उ़फान पर हैं। भिन्न-भिन्न फ्लड गेटों से पानी छोड़ने को लेकर विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं।
गत दिवस ब्यास-सतलुज नदियों के संगम हरीके हैड वर्क्स से पानी छोड़ने के मामले में भी कशमकश दिखाई दी। एक तरफ हज़ारों लोग हरीके हैड वर्क्स के गेट खोल कर नीचे की ओर पानी छोड़ने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए थे। दूसरी तरफ निचले क्षेत्रों के लोगों ने यह पानी न छोड़ने के लिए धरने लगा दिये थे। उधर जहां सतलुज नदी में पानी के बढ़ने तथा इस कारण नदी पर बनाये गये धुस्सी बांध के टूटने से सुल्तानपुर लोधी तथा शाहकोट के अनेक गांव डूब गये, वहीं हज़ारों एकड़ फसल भी बर्बाद हो गई। ये लोग हरीके हैड वर्क्स के गेट बंद होने के कारण सतलुज नदी में पानी का स्तर बढ़ने के कारण  हो रहे भारी नुकसान का मुद्दा भी उठा रहे थे। उन्होंने यहां तक कहा है कि यहां के गेटों से पानी छोड़ा जाये ताकि हो रहे हर तरह के भारी नुकसान से लोगों को बचाया जा सके। दूसरी तरफ निचले क्षेत्रों के लोग सतलुज नदी तथा ब्यास के हरीके के ज़रिये छोड़े गये पानी के कारण उनकी हुई बड़ी बर्बादी के संबंध में गुहार लगा रहे थे। उनका कहना था कि उन्हें बार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। उनकी ज़मीनों में पुन: पानी भरना शुरू हो गया है, जिससे उनके पशु तथा अन्य सामान प्रभावित हो रहे हैं।
उधर पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण हरीके हैड वर्क्स में ब्यास एवं सतलुज नदी   द्वारा भारी मात्रा में पानी पहुंच रहा है। जो सभी के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। चाहे पंजाब प्रशासन ने केन्द्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में बाढ़ से अब तक हुए 1285 करोड़ रुपये के नुकसान का विवरण भेजा है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 19 ज़िले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। अढ़ाई लाख एकड़ से अधिक फसलें नष्ट हो गई हैं। 40 व्यक्ति इस त्रासदी की भेंट चढ़ गये हैं तथा एक हज़ार से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा है। पशु धन के हुये भारी नुकसान के साथ-साथ मक्की तथा कपास की फसलें भी पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। घग्गर नदी के साथ-साथ चिट्टी बेईं भी ़खतरा बनी दिखाई दे रही है। चाहे प्रशासन द्वारा दिए गये आंकड़ों के अनुसार अब तक 26 हज़ार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, परन्तु इसके बावजूद ज्यादातर स्थानों पर लोग अभी भी मुसीबत के मारे खुले आसमान के नीचे समय व्यतीत करने हेतु विवश हो रहे हैं। 
सरकार ने यह भी दावा किया है कि प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत राहत पहुंचाने के लिए 458 टीमें काम कर रही हैं। हम भिन्न-भिन्न स्तरों पर अपने पूरे यत्नों के साथ सेवा निभा रही धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं की भी प्रशंसा करते हैं जो प्रभावित लोगों की हर तरह से सुध लेने का पूरा यत्न कर रही हैं। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह घोषणा की थी कि बाढ़ से हुए नुकसान का एक-एक पैसा मुआविज़े के रूप में लोगों को दिया जायेगा परन्तु जिस तरह हर तरफ भारी नुकसान होने के समाचार मिल रहे हैं, उससे मौजूदा समय में सभी पक्षों से इस नुकसान संबंधी पूरा अनुमान लगाया जाना कठिन है। कल को हो रहे इस बड़े नुकसान की पूर्ति अपने पहले दिये गये बयानों के अनुसार सरकार किस तरह करेगी तथा केन्द्र सरकार उसकी इसमें कितनी सहायता करने के लिए आगे आएगी, ऐसे सवाल भी लोगों के मन में उठना स्वाभाविक हैं, जिनका उत्तर देर या सवेर प्रशासन को देना ही पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द