अधिक आमदनी के लिए गेहूं की सफल किस्मों की काश्त करें

गेहूं पंजाब में रबी की ही नहीं, अनाज की भी मुख्य फसल है। इसकी काश्त गत वर्ष 35.20 लाख हैक्टेयर रकबे पर की गई। अभी खरीफ के धान, बासमती और नरमे की फसलों की कटाई, रख-रखाव और आमदनी किसान कर रहे हैं। जबकि कुछ नई किस्मों की बिजाई लगभग दस दिनों में शुरू हो जाएगी। किसानों की उत्सुकता ऐसी किस्में बीजने की है, जो अधिक से अधिक झाड़ दें। गेहूं की सरकारी खरीद होने के कारण हर किस्म की फसल का किसानों को लगभग एक ही मूल्य मिलता है, जिसका निर्णय केन्द्र सरकार द्वारा एम.एस.पी. के निश्चित किए जाने से होता है।  पिछली शताब्दी के पांचवें दशक के दौरान गेहूं का प्रति हैक्टेयर झाड़ 10 क्विंटल से ही नीचे था, जब वर्ष 1954 में प्रो. (डा.) एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा ऐसी किस्में विकसित करने की खोज का कार्यक्रम शुरू किया गया, जो खादों के प्रयोग से अधिक झाड़ दें और गिरे नहीं। फिर जब डा. नॉरमन ई-बरलौग ने भारत की यात्रा करके वर्ष 1963 में गेहूं की तीन किस्में लरमा रोजो, सनौरा 64 तथा मायो 64 भारतीय कृषि खोज संस्थान के वैज्ञानिकों को मुहैया की तथा स्व. डा. अमरीक सिंह चीमा ने इन किस्मों का बीज पंजाब के किसानों को उपलब्ध करवाया। इससे गेहूं की क्रान्ति शुरू हुई, जो बाद में वर्ष 1967 में हरित क्रान्ति कहलाई। इसके बाद गेहूं की अधिक झाड़ देने वाली किस्मों का विकास शुरू हुआ। अधिक झाड़ लेने के लिए सबसे अधिक गेहूं की योग्य किस्म चुने जाने का योगदान है, जिसको भूमि और पर्यावरण के अनुसार चुना जाना चाहिए। इसको मुख्य रखकर पंजाब के किसानों में अधिक उत्सुकता एच.डी. 3226 तथा डी.बी.डब्ल्यू. 187 किस्मों की काश्त करने की है। एच.डी. 3226 किस्म का सम्भावित झाड़ यदि खेत का सब कुछ आदर्शक हो 31.8 क्विंटल तक है। परन्तु अधिक लाभ की प्राप्ति के लिए इसको 25 अक्तूबर से 5 नवम्बर के बीच बीजा जाना चाहिए और नाइट्रोजन की पूरी खुराक दी जानी चाहिए। यह किस्म 142 दिनों में पक कर पूरा झाड़ देती है। यह किस्म सर्व भारतीय फसलों और स्तरों का निर्णय करने वाली केन्द्र की सब-कमेटी द्वारा पंजाब तथा हरियाणा में काश्त करने के लिए जारी करके नोटिफाई कर दी गई है। डी.बी.डब्ल्यू.187 किस्म की अजमाइशों के बाद ऑल इंडिया व्हीट वर्कज़र् वर्कशाप में पहचान कर ली गई है। इसकी पूरी उत्पादकता हासिल करने के लिए इसको अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बीजना चाहिए तथा कीमीयाई खाद की यूरिया सहित अधिक से अधिक खुराक दे देनी चाहिए। इस किस्म का पूरा झाड़ लेने के लिए भी लीहोसीन तथा फोलीकोर के दो छिड़काव सिफारिश किए गए हैं। यह दोनों किस्में सिंचाई वाले क्षेत्रों में काश्त करने के लिए हैं। इसके अलावा किसानों द्वारा की गई अजमाइशों के आधार पर एच.डी.सी.एस.डब्ल्यू. 18 किस्म की सिफारिश है, जो ऊंची उत्पादकता देती है। यह किस्म ज़ीरो-टिल टैक्नालॉजी हैपीसीडर से बीजने के लिए बहुत अनुकूल है। इसकी लम्बाई थोड़ी-सी ज्यादा है परन्तु इस पर भी 2 लीहोसीन के छिड़काव करके इसको गिरने से बचाकर पूरा झाड़ प्राप्त किया जा सकता है। किसानों द्वारा की गई अजमाइशों के आधार पर एक नई किस्म डी.बी.डब्ल्यू. 173 भी है, जो आई.सी.ए.आर.-भारतीय गेहूं और जौं  खोज संस्थान द्वारा विकसित की गई है। चाहे यह किस्म पछेती बिजाई के लिए सर्व-भारतीय फसलों की किस्मों और स्तरों का निर्णय करने वाली कमेटी द्वारा सिफारिश की गई है, परन्तु किसानों द्वारा की गई और संस्थान द्वारा करवाई गई हाल ही की अजमाइशों के आधार पर डा. ज्ञान इन्द्र प्रताप सिंह डायरैक्टर आई.सी.ए.आर.-आई.आई.डब्ल्यू.बी.आर. के अनुसार यह समय पर बिजाई के लिए भी अनुकूल है, जब यह पूरा झाड़ देने की सम्भावना रखती है। 
पंजाब और हरियाणा में गत वर्ष सबसे अधिक रकबे पर काश्त की गई क्रमवार एच.डी. 3086 और एच.डी.2967 किस्में हैं। यह किस्में अभी भी पंजाब तथा हरियाणा में किसानों की पसंद हैं, जो उपरोक्त नई किस्मों के बीज की उपलब्धता सिर्फ सीमित होने के कारण इस वर्ष भी विशाल रकबे पर काश्त की जाएंगी। डी.बी.डब्ल्यू.222 (कर्ण नरिन्द्रा) किस्म भी आई.सी.ए.आर.-आई.आई.डब्ल्यू.बी.आर. द्वारा विकसित की गई है, जिसकी पहचान ऑल इंडिया व्हीट वर्करज़र् वर्कशाप में कर ली गई है। डा. ज्ञान इन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार यह किस्म अब जारी और नोटिफाई करने के लिए बनीं केन्द्र की सर्व-भारतीय फसलों की किस्मों और स्तरों का निर्णय करने वाली कमेटी के पास जारी करने के तौर पर विचार करने के लिए जाएगी। पी.ए.यू. की बी.डब्ल्यू. 752 गेहूं की किस्म पछेती बिजाई के लिए सिफारिश की गई है। पी.ए.यू. की पी.बी.डब्ल्यू. 752 किस्म का झाड़ अजमाइशों में 19.20 क्विंटल प्रति एकड़ आया है। समय पर काश्त करने के लिए उन्नत पी.बी.डब्ल्यू. 343 (औसतन झाड़ 23.2 क्विंटल प्रति एकड़) उन्नत पी.बी.डब्ल्यू. 550 किस्म (औसतन झाड़ 23 क्विंटल प्रति एकड़) और बायो फोर्टिफाइड पी.बी.डब्ल्यू. जैड.एन.-1 किस्म (औसतन झाड़ 22.5 क्विंटल प्रति एकड़) भी समय पर बिजाई के लिए पंजाब में सिफारिश की गई हैं। इसके अलावा आगामी बिजाई के लिए पी.बी.डब्ल्यू. 725 किस्म सिफारिश की गई है, जिसका औसतन झाड़ 22 क्विंटल 90 किलोग्राम प्रति एकड़ है।  गेहूं की काश्त भारत में 29.14 मिलियन हैक्टेयर रकबे पर की जाती है, जिसमें से 3.5 मिलियन हैक्टेयर रकबा पंजाब में इस फसल की काश्त अधीन है। परन्तु पंजाब का केन्द्रीय गेहूं भंडार में योगदान उत्तर प्रदेश को छोड़कर गत वर्ष सभी राज्यों से अधिक रहा है। उत्तर प्रदेश में काश्त अधीन रकबा 98.37 लाख हैक्टेयर है, जो पंजाब से तीन गुणा के निकट है। 

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