निवेशकों को इंस्पेक्टरी राज से निजात दिलाना ज़रूरी

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मेहनत रंग लाई है। ग्लोबल इनवैस्टर मीट में सरकार ने तय लक्ष्य से अधिक निवेश के एमओयू साइन करने में सफ लता हासिल की है। सरकार का लक्ष्य 85 हज़ार करोड़ का था, लेकिन 92 हज़ार करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित हो गये हैं। यह सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि इसलिए भी कही जा सकती है कि जब देश में आर्थिक मंदी जैसे हालात हैं, तब निवेशकों ने हिमाचल में उद्योग स्थापित करने में रुचि दिखाई है। बड़ी सफलता हासिल करने के बाद अब सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती होगा कि हिमाचल में उद्योग स्थापित करने के लिए आने वाले उद्योगपतियों को इंस्पेक्टरी राज से मुक्त वातावरण उपलब्ध कराना। मुख्यमंत्री का दावा है कि उन्होंने कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था में व्यापक सुधार किए हैं, जिससे हिमाचल में आने वाले उद्योगपतियों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों से संबंधित पूर्व के अनुभव बताते हैं कि यहां पर अभी भी उद्योग लगाने और उनको चलाने के दौरान इंस्पेक्टरी राज की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन सब परेशानियों की वजह से उद्योग संबंधित विभागों में भ्रष्टाचार सामने आता रहा है। हाल ही में बद्दी क्षेत्र की  फार्मा इंडस्ट्री से संबंधित कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एक अधिकारी पर विजिलेंस ने कार्रवाई भी की है। फ ार्मा इंडस्ट्री से संबंधित एक ड्रग कंट्रोलर पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, जिस कारण सरकार को उनका ट्रांस्फ र बद्दी से शिमला करना पड़ा। ऐसे ही भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं, जिनसे साबित होता है कि हिमाचल में स्थापित उद्योगों को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन नहीं मिल पा रहा है। अब सरकार के समक्ष चुनौती है कि वह औद्योगिक क्षेत्रों में ईमानदार अधिकारियों की तैनाती करे और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सख्त नज़र भी रखे, जिससे निवेश करने वाले उद्योगपतियों को यह एहसास हो कि देवभूमि हिमाचल का प्रशासनिक वातावरण भ्रष्टाचार मुक्त है। इसके साथ ही सरकार के समक्ष चुनौती है कि वह औद्योगिक क्षेत्रों और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में  उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराए। सरकार को इस मामले में गंभीर होना होगा, क्योंकि सरकार की उम्मीद से कहीं अधिक निवेशकों ने हिमाचल में उद्योग स्थापित करने में रुचि दिखाई है। अब इन उद्योगों को हिमाचल की जमीन पर स्थापित करने के लिए सरकार को अभी से सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्य करना होगा। औद्योगिक क्षेत्रों की प्रमुख आवश्यकताओं में जमीन, बिजली, पानी, सीवरेज के साथ अच्छी सड़कों की आवश्यकता होती है। सरकार को चाहिए कि वह औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अलग से निवेशक सैल का गठन करे,  प्लॉन बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य करे ताकि 92 हज़ार करोड़ के निवेश के लिए हुए एमओयू को हिमाचल की औद्योगिक ज़मीन पर खड़ा किया जा सके।
मंत्रिमंडल विस्तार हेतु मंथन और लॉबिंग शुरू
बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सरकार और भाजपा नेताओं के बीच मंथन और मंत्री बनने के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार के मंत्री किशन कपूर के सांसद बनने से एक पद खाली है, तो मंडी से विधायक अनिल शर्मा के मंत्रिमंडल से इस्तीफ ा देने से पद खाली हुआ है। सरकार को अब दो मंत्री बनाने हैं, जिसके लिए भाजपा के विधायक लम्बे समय से इंतजार कर रहे हैं कि कब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और उनका भी नाम संभावितों में शुमार हो जाए। ग्लोबल इनवैस्टर मीट के बाद अब मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। मंत्रिमंडल में प्रमुख रूप से नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया के शामिल होने की संभावना अधिक है। कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा ज़िला है, जिससे सरकार को एक मंत्री बनाना ही है। नूरपुर सब-डिवीजन क्षेत्र से सरकार में कोई मंत्री न होने के कारण राकेश पठानिया का मंत्री बनना भी तय माना जा रहा है। वहीं कांगड़ा से ही ओबीसी वर्ग के नेता और ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला की दावेदारी की चर्चा है। इसके साथ ही पूर्व में मंत्री रहे और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रदेश के क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार के लिए पार्टी नेताओं के साथ मंथन कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ-साथ कुछ मंत्रियों को हटाकर नए मंत्रियों को शामिल कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने वर्तमान मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की है, जिसमें कुछ मंत्रियों के कामकाज से मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं हैं मुख्यमंत्री मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी कर सकते हैं और कुछ मंत्रियों को हटाकर नए विधायकों को स्थान दे सकते हैं। अब देखना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट में कौन जगह बनाने में कामयाब होता है।
सरकार के खिलाफ  कांग्रेस का आंदोलन
कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ  प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। देश में छाई आर्थिक मंदी सहित अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस ज़िला स्तर पर प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर और विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में जारी आंदोलन के जरिए कांग्रेस प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जनता को अन्य मुद्दों की ओर भटका रही है।  प्रदेश सरकार पर कांग्रेस का आरोप है कि सरकार अपने वायदे पूरे करने और विकास करवाने में पूरी तरह नाकाम रही है, जिससे वह देश-व्यापी मंदी के दौर में इनवैस्टर मीट में उद्योगपतियों का मेला लगाकर लोगों को गुमराह कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश में जितने निवेश का दावा सरकार की ओर से किया जा रहा है, वह होना नहीं है। सरकार के खिलाफ  प्रदेश-व्यापी आंदोलन छेड़कर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और उनमें उत्साह पैदा करने का प्रयास कर रही है।