कैंसर की चपेट में गुरदासपुर का भगवानसर गांव

नरोट मेहरा, 18 नवम्बर (राज कुमारी) : जहां एक तरफ पंजाब सरकार राज्य की जनता को हरेक सेहत सुविधा देने के दावे कर रही है और हर तरह की बीमारी से निपटने के दावों की पोल खोल रही विधानसभा क्षेत्र भोआ के अधीन पड़ते गांव भगवानसर के निवासी पिछले 4 वर्षों से दर्जनों लोग कैंसर से पीड़ित और मौत का शिकार हो चुके हैं। जानकारी देते हुए पूर्व सरपंच ओंकारनाथ, पुरुषोत्तम लाल बिट्टू, चुन्नीलाल मुन्ना अजय कुमार सुरेश कुमार प्रेमचंद मोनिका आदि ने संयुक्त रूप में बताया कि गांव की आबादी करीब 1500 के करीब है और 150 घर है। पिछले 4 वर्षों से गांव के दर्जनों परिवार कैंसर जैसी भयानक बीमारी का शिकार होकर अपनी जान गवाह आ चुके हैं, जिसके चलते पूरे गांव में दहशत का माहौल है। उन्होंने बताया कि गांव के 500 मीटर की दूरी पर तीन ईट भट्ठे हैं और इन भट्ठों से निकलने वाला प्रदूषण के कारण कैंसर, पीलिया, बुखार और चमड़ी के रोग हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 1 वर्ष में गांव के मौजूदा सरपंच स्वर्ण सिंह कैंसर जैसी भयानक बीमारी का शिकार होकर अपनी जान गवा चुके हैं। इनके अलावा सूबेदार चमन लाल, मास्टर चमन लाल, प्रेमचंद, केवल कृष्ण, तृप्ता देवी, मदनलाल, सुनीता देवी, सुखदेव राज, सोहनलाल, दौलत राम, हरिराम, शिवराम, सुजीत, सतपाल बोधराज, निशा आदि अपनी जान गवा चुके हैं। जिनमें से निशा देवी जोकि डी फार्मेसी की छात्रा थी जिसकी 13 दिन पहले ही बुखार और पीलिया के चलते मौत हो गई। उन्होंने सेहत विभाग को भी इसके बारे में बताया है।
इस दौरान पूर्व सरपंच ओंकारनाथ ने बताया कि गांव के चारों ओर ईंट के भट्ठे होने के कारण ही इस भयानक बीमारी ने उनके गांव में जन्म लिया है और इस बीमारी के कारण कई तरह की रोग लोगों को लग रहे हैं और दर्जनों लोग इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं उन्होंने इन सब के पीछे सेहत विभाग की ओर से कोई भी ठोस कदम न उठाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि अधिकांश लोग जहां पर गरीबी रेखा के नीचे होने के चलते अपना इलाज भी नहीं करवा सकते। जबकि कई लोग लाखों रुपए खर्च करके इस बीमारी का इलाज करवाने में असफल रहे हैं। सुरेश कुमार ने बताया कि वह पिछले 10 साल से चमड़ी की बीमारी से जूझ रहा है और अब तक उसने करीब 15 लाख रूपए इलाज के लिए खर्च कर चुका है। लेकिन फिर भी उसकी बीमारी का इलाज नहीं हो सका है।  उन्होंने कहा कि इस संबंध में नजदीकी पीएचसी सेंटर में बता चुके हैं और उसके पश्चात पीएचसी सेंटर से 2 कर्मचारी प्रति घर गांव में सर्वे कर चुके हैं। करीब डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद कोई भी सेहत विभाग की टीम की ओर से गांव का इस बीमारी से जूझ रहे लोगों का इलाज करने के लिए नहीं पहुंची है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस बीमारी के पीछे कारणों का पता न लगाया गया तो आने वाली पीढ़ी भी इसका खमियाजा भुगत सकतीं हैं। वहीं इस संबंध में जब नजदीकी पीएचसी के कर्मचारी हरपाल सिंह से बात की तो उनका कहना था कि चंद दिन पहले सेहत विभाग की टीम की तरफ से गांव का दौरा कर पानी के सैम्पल भरे गए क्योंकि उन्हें गांव के कुछ लोगों की तरफ से गांव में कैंसर जैसी बीमारी होने की आशंका जताई गई थी जिस पर उनकी ड्यूटी लगाई गई और सैंपल भरे गए अभी तक इस बीमारी के पीछे के कारणों का पता नहीं लग पाया है। उन्होंने कहा कि सेहत विभाग की ओर से टेस्ट के लिए किट आ चुकी है, अधिकारियों की ओर से टीम आने पर ही सैंपल चैक किए जा सकेंगे।