टैस्ट क्रिकेट का सितारा मयंक अग्रवाल

टैस्ट में भारत के सलामी बल्लेबाज के रूप में 28 वर्षीय मयंक अग्रवाल ने अपना पहला टैस्ट 26 दिसम्बर 2018 को मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ  खेला था और तब से अब तक उन्होंने जो अन्य तीन टॉप बल्लेबाज रहे हैं। विराट कोहली (11 टैस्ट, 17 पारी, 871 रन, 254 उच्चतम, 58.06 औसत, 3 शतक, 3 अर्द्ध शतक, स्ट्राइक रेट 54.71, छक्के 4), अजिंक्य रहाणे (11 टैस्ट, 17 पारी, 841 रन, 115 उच्चतम, 56.06 औसत, 2 शतक, 7 अर्द्ध शतक, स्ट्राइक रेट 49.67, छक्के 6) व चेतेश्वर पुजारा (11 टैस्ट, 17 पारी, 835 रन, 193 उच्चतम, 49.11 औसत, 3 शतक, 5 अर्द्ध शतक, स्ट्राइक रेट 44.67, छक्के 5) की तुलना में दो टैस्ट व चार पारी कम खेलने के बावजूद ज्यादा रन बनाये हैं। मयंक ने 9 टैस्ट में 13 पारी खेलकर 872 रन बनाये हैं, जिनमें 243 उच्चतम, 67.07 औसत, 3 शतक, 3 अर्द्ध शतक, स्ट्राइक रेट 56.62, छक्के 21 रहे हैं। टैस्ट में दो दोहरे शतक लगाने के लिए मयंक से कम पारियां केवल विनोद काम्बली ने ली हैं, जिन्होंने यह कारनामा मात्र 5 पारियों में किया। मयंक ने 12 पारियों में दो दोहरे शतक लगाये हैं। अक्तूबर 2019 में विशाखापत्तनम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 215 रन और नवम्बर 2019 में इंदौर में बांग्लादेश के विरुद्ध 243 रन, जिसमें उन्होंने 8 छक्के भी लगाये और टैस्ट की एक पारी में भारतीय बल्लेबाज द्वारा लगाये गये अधिकतम छक्कों के रिकॉर्ड की बराबरी भी की। जनवरी 1984 में लखनऊ में श्रीलंका के विरुद्ध 124 रन की पारी खेलते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने भी 8 छक्के लगाये थे। इस उपलब्धि को मद्देनजर रखते हुए यह कहना गलत न होगा कि भारत की ओर से 2019 का टैस्ट क्रिकेट वर्ष मयंक के नाम रहा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल होने का यह विश्वास मयंक में उस कड़ी मेहनत के कारण आया जो उन्होंने घरेलू क्रिकेट में की है। बंग्लुरु के इस टैलेंट को देश के लिए अपना पहला मैच खेलने के लिए काफी लम्बा इंतजार करना पड़ा, लेकिन उनकी कहानी उन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो भारतीय टीम में अपनी जगह बनाना चाहते हैं। हालांकि मयंक ने अभी भारत के लिए वाइट बॉल क्रिकेट नहीं खेली है, लेकिन विश्व कप में और हाल की वैस्टइंडीज सीरीज के लिए उन्हें रिप्लेसमेंट के तौरपर बुलाया गया था। बहरहाल, जब वह भारत के लिए रन नहीं बटोर रहे थे तो वह कर्नाटक को टी-20 सैय्यद मुश्ताक अली ट्राफी बरकरार रखने व 50-ओवर विजय हजारे ट्राफी जीतने में मदद कर रहे थे। इस साल वह अपना अंतर्राष्ट्रीय सफर न्यूजीलैंड में शुरू करेंगे, जहां उनका फोकस व लक्ष्य वही रहेगा कि टीम की सफलता में अपना भरपूर योगदान दें। मयंक के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करना विशेष रहा है, लेकिन अब तक के अपने कॅरियर की उत्कृष्ट उपलब्धि का चयन करना उनके लिए कठिन है। कुछ शानदार जीत का वह हिस्सा रहे हैं, जिनकी यादें वह संजोये हुए हैं। एक इंटरनेशनल क्रिकेटर के रूप में उन्होंने अपने पहले वर्ष का भरपूर आनंद उठाया है। उनके लिए अपने दोनों ही दोहरे शतक खास रहे हैं। मयंक की यात्रा अन्य खिलाड़ियों से भिन्न रही है, जो उन्हें बहुत पसंद है। वह बताते हैं, ‘हां, मैंने बहुत सारे घरेलू मैच खेले हैं, जिन्हें खेलकर मुझे बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद मिली है।’ मयंक ने सात टैस्टों में तीन अलग-अलग सलामी बल्लेबाजों के साथ पारी की शुरुआत की है, क्या इससे कोई अंतर पड़ा? वह बताते हैं, ‘एडजस्टमेंट की जरूरत नहीं होती क्योंकि आप टॉप क्वालिटी के खिलाड़ियों के साथ ओपन कर रहे हैं। आप अपने खेल को समझते हैं और वह आप को तो सारी बात कम्युनिकेशन पर आती है और हर एक के साथ अच्छा तालमेल स्थापित करना पड़ता है।’मयंक और रोहित शर्मा के बीच विशाखापत्तनम में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 317 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप हुई थी। इस साझेदारी के लिए उन्होंने ज्यादा सोचा नहीं, बस हर गेंदबाज के लिए योजना बनायी और हर गेंद को मेरिट पर खेला। रोहित ने जिस प्रकार स्पिनर्स को डोमिनेट किया, उसे देखकर मयंक को काफी आनंद आया। वह कहते हैं, ‘नॉन-स्ट्राइकर एंड से मैं देख सकता था कि गेंदबाज संघर्ष कर रहे थे। अच्छी गेंदें सीमा पार जा रही थीं, बुरी तो खैर पिट ही रही थीं।’ मयंक का कहना है कि फार्मेट स्विच करते समय अपने गेम को समझना आवश्यक है। स्थिति को समझना और किस समय रिस्क लेना है, महत्वपूर्ण हो जाता है। 50 ओवर में आपकी सोच से अधिक समय होता है, आप हिसाब लगाकर रिस्क ले सकते हैं क्योंकि खेलने के लिए 300 गेंदें होती हैं। ऐसा टी-20 में नहीं होता। मयंक बताते हैं, ‘सबसे अहम यह समझ होती है कि उस विकेट पर आप कौन से शॉट खेल सकते हैं, कौन से नहीं। फिर वही करने के लिए आप में मानसिक अनुशासन होना चाहिए।’

 -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर