अच्छे प्रभावों वाली यात्रा


अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 36 घंटे की भारत यात्रा कई पक्षों से बेहद सफल रही है। जितना भव्य स्वागत अमरीकी राष्ट्रपति का भारत में किया गया है, वह अनुकरणीय है। पहले शायद ही किसी अमरीकी राष्ट्रपति का इतना शानदार स्वागत किया गया हो। देश की आज़ादी के बाद भारत और अमरीका के रिश्तों ने अनेक रंग देखे हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि अब अमरीका जितना भारत के निकट हुआ है, शायद पहले कभी नहीं था। 
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गत वर्ष ह्यूस्टन में ‘हाऊडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भारतीय मूल के हज़ारों ही अमरीकी नागरिकों के बीच स्वयं आकर स्वागत ही नहीं किया था, अपितु मोदी की खूब प्रशंसा भी की थी। अब अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में बड़ी सभा में मोदी द्वारा ट्रम्प को जिस तरह ‘स्वागतम’ कहा गया और उसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने जितना बढ़िया भाषण दिया, वह अपनी मिसाल स्वयं है। 70 वर्षों के भारतीय इतिहास में ट्रम्प पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपने भारत के दौरे को किसी अन्य देश के साथ नहीं जोड़ा। दशकों पूर्व अमरीका की प्राथमिकता पाकिस्तान रहा था और भारत की तत्कालीन सोवियत यूनियन जहां भारत के रूस के साथ संबंध दशकों पुराने और अब तक गहन बने रहे, वहीं अमरीका ने भारत से अपनी एक दूरी अवश्य बनाये रखी थी। चाहे 1959 में राष्ट्रपति आईज़नहॉवर को देखने के लिए भी उस समय लाखों लोग उमड़े थे। वर्ष 1969 में राष्ट्रपति रिचर्ड निकस्न के श्रीमती इंदिरा गांधी के साथ संबंध तो तनावपूर्ण ही थे और उनकी भारत की संक्षिप्त यात्रा के बाद वह उसी दिन पाकिस्तान चले गये थे और यह भी कि भारत-पाकिस्तान की 1971 में हुई जंग में निकस्न ने बंगाल की खाड़ी में अपना जंगी बेड़ा भी भेज दिया था। जिम्मी कार्टर 1978 में भारत आए थे, परन्तु उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण के कारण भारत पर लगे प्रतिबंधों को हटाने में सहायता की थी। परन्तु कार्टर को भारत के रूस के साथ संबंध पसंद नहीं थे। वर्ष 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और वर्ष 2006 में राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश भारत आए थे, जो भारत पर परमाणु समझौते के संबंध में लगे प्रतिबंध हटाने में सहायक हुए थे। राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय अमरीका के भारत के साथ संबंध सुखद बन गए थे। उन्होंने वर्ष 2010 और 2015 में दो बार भारत का दौरा किया था। ओबामा संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में भारत को स्थायी सीट दिलाने के हमेशा समर्थक रहे थे। अब समय के बीतने से दोनों देशों में खास तौर पर ट्रम्प और मोदी के कारण रिश्ते बेहद सुधरे हैं। ट्रम्प वर्ष 2016 में अमरीका के राष्ट्रपति बने थे। इसके बाद दोनों देशों के प्रमुखों की लगातार अलग-अलग स्थानों पर बैठकें होती रही हैं और ह्यूस्टन में मोदी का भव्य स्वागत किया गया था। गत समय के दौरान दोनों देशों में व्यापार के क्षेत्र में रिश्ते बेहद बढ़े हैं, यहां तक कि भारत ने अमरीका से कच्चा तेल और गैस भी लेनी शुरू कर दी है। अब तक यह व्यापार अरबों-खरबों का हो गया है। रक्षा के क्षेत्र में भारत ने लगातार अमरीका से आधुनिक हथियार खरीदने को प्राथमिकता दी है। इस बार भी 21,600 करोड़ रुपये के तीन रक्षा समझौते किए गए हैं, जिनमें अपाचे और रोमियो जैसे आधुनिक हैलीकाप्टरों की खरीद भी शामिल है।
इस यात्रा के दौरान ट्रम्प ने यह कहा है कि जब से वह राष्ट्रपति बने हैं उसके बाद दोनों देशों में आयात और निर्यात 60 प्रतिशत से बढ़कर 500 प्रतिशत तक हो गया है। भारत की चीन संबंधी चिंता लगातार बनी रही है, परन्तु अमरीका ने अपने रक्षा समझौतों के साथ इस चिंता को दूर करने का प्रयास किया है। यदि रूस तथा अन्य देशों के साथ अपने सुखद संबंध बनाये रखने के साथ-साथ भारत अमरीका के साथ अपने निकटतम संबंध बनाये रखने में सफल होता है तो इससे भारत के विकास की सम्भावनाएं और प्रबल होंगी। अमरीकी राष्ट्रपति की इस यात्रा को आशावादी भावनाओं से ही देखना बनता है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द