कोरोना की चुनौती का एक अन्य पहलू विश्व की आर्थिकता हुई डावांडोल

आज जहां कोरोना वायरस ने दुनिया के अधिकतर देशों को अपनी चपेट में ले लिया है, मरीज़ों की संख्या पौने 2 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है, 8 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, इटली और स्पेन जैसे देश पूरी तरह बंद हुए दिखाई देते हैं, वहीं शेयर बाज़ार भी औंधे मुंह गिर पड़ा है। भारतीय रुपया और भी कमजोर हो गया है। यूरोप के बाजारों में 8 प्रतिशत गिरावट और ऐशिया के बाज़ारों में 3 प्रतिशत गिरावट आ चुकी है। भारतीय रिज़र्व बैंक सहित अन्य बड़े राष्ट्रीय बैंक इस आर्थिक संकट का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह जूझ रहे हैं। बड़े अर्थ-शास्त्रियों का अनुमान है कि कोरोना वायरस जिस तरह भयानक रूप धारण करता जा रहा है, उसके वैश्विक मंदी के बादल और अधिक घने हो सकते हैं।यदि यह महामारी लम्बे समय तक चलती है तो इससे दुनिया भर के प्रबंधों के तहस-नहस होने का ़खतरा पैदा हो गया है। विश्व भर की विमानन कम्पनियों का तो एक तरह से दीवालिया होने की सम्भावना बन गई है। एक अनुमान के अनुसार यदि मई महीने के अंत तक यही स्थिति बनी रही तो विमानन कम्पनियां पूरी तरह तबाह हो जाएंगी। इनको पड़ने वाले भाड़े के घाटे के  कारण ही अरबों रुपये का नुकसान हो सकता है। चीन जो कि दुनिया की दूसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया था, में उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गत 30 वर्षों में इस देश की इतनी बुरी हालत पहली बार देखी गई है। इससे बैंक तो प्रभावित होंगे ही, बेरोज़गारी भी बढ़ जाएगी। भारत में इसी वर्ष 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया था, जिसमें वर्ष 2021 के लिए कुल घरेलू उत्पाद के 6 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत तक बढ़ने की सम्भावना व्यक्त की गई थी। परन्तु अब लगाये जा रहे अनुमान के अनुसार घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत तक ही रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसका उद्योग और कृषि पर बेहद बुरा असर पड़ेगा। व्यापार, वायु सेवा, पर्यटन और इनसे संबंधित अन्य सेवाओं पर भी बड़ा असर पड़ेगा। चीन से धागा, कपड़े बनाने वाली मशीनरी मंगवाई जाती थी। इसके अलावा साइकिल उद्योग का अधिकतर कच्चा माल भी इस देश से ही आता था। अब यह सब कुछ अचानक बंद हो गया है। जिसका समूचे उद्योग पर बड़ा असर पड़ा है। अलग-अलग तरह के निर्यात रुकने से भी समूचे तौर पर आर्थिक मंदी में बढ़ौतरी हो गई है। जालन्धर और मेरठ से विदेशों में खेलों का सामान भेजा जाता था। 1800 करोड़ रुपये का यह कारोबार एकदम ठप्प हो गया है। देश के अन्य हिस्सों में भी हर तरह का कारोबार रुका प्रतीत होता है। आज हर तरह का कारोबारी और उद्योगपति रुके आदान-प्रदान के कारण परेशान नज़र आ रहा है। इसके  साथ ही एक और बड़ी चिंता का कारण दुनिया भर में बेरोज़गारी का बढ़ जाना है। ऐसी स्थिति पैदा होना भी किसी महामारी से कम नहीं होगा। इसलिए दुनिया भर के देशों को एकजुट होकर इस भयानक संकट से निकलने के लिए दृढ़ता और हौसले से योजनाबंदी करनी पड़ेगी। हर हाल में इस पर काबू पाना होगा ताकि मंडरा रहे संकट के बादल चिर-स्थायी न बन सकें।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द