कोरोना वायरस महामारी सन्देह की सुई पर  पौंगोलिन

चीन के वुहान शहर से शुरू होकर कोरोना वायरस की महामारी अब दुनिया के लगभग सभी देशों तक पहुंच गई है।  खोज में यह जानने की अफरा-तफरी मच गई है कि कितनी तेजी के साथ यह वायरस इन्सानों में कैसे फैल गया है? वैज्ञानिक रसाले ‘नेचर’ को यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी (आस्ट्रेलिया) के वरिष्ठ विकासवादी विषाणु वैज्ञानिक एवरेड होम्स (Edward Holmes) ने बताया है कि वैज्ञानिकों ने अपने खोज अध्ययन से यह पता लगाया था कि नया कोरोना वायरस चमगादड़ों के विषाणुओं के साथ जीनोमिक तौर पर 88 प्रतिशत मेल खाता है। इससे वैज्ञानिकों को विश्वास हो गया कि चमगादड़ कोरोना वायरस के वाहक हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी माना है कि अभी तक मिले प्रमाणों के मुताबिक केवल चमगादड़ ही ऐसा स्तनधारी जीव माना जाता था, जिसके शरीर पर जानलेवा सार्सकोवी-2 वायरस (विषाणु) अधिकतर मात्रा में पाया गया है। चमगादड़ के साथ सम्पर्क में आकर किन-किन जीवों के द्वारा वायरस मानव शरीर तक पहुंचा यह गुत्थी अभी सुलझाना बाकी है। यह बात अभी रहस्य बनी हुई है। इसी सन्दर्भ में हांगकांग विश्वविद्यालय के खोजकर्ता और विशेषज्ञों ने पौंगोलिन को चमगादड़ के बाद दूसरा ऐसा स्तनधारी जीव माना है (mammal) जो कोरोना वायरस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि भविष्य में वायरस से उत्पन्न होने वाली बीमारी को रोकने के लिए यह ज़रूरी हो जाता है कि पौंगलिनों की बिक्री और खरीद पर सख्ती के साथ रोक लगा देनी चाहिए। पौंगोलिनों की गैर-कानूनी तस्करी के साथ भी सख्ती से निपटना चाहिए। जहां यह बताना भी ज़रूरी है कि वर्ष 2016 में 180 देशों ने एक इकरारनामा पर हस्ताक्षर करके ऐलान किया था  पौंगोलिनों का कानूनों तौर पर व्यापार बंद किया जाए। ताकि इसको लुप्त होने से बचाया जा सके। जंगली जानवरों पर हो रहे अपराध को मिल कर रोका जा सकता है। पौंगोलिनों की ़गैर-कानूनी तस्करी को सख्ती के साथ नकेल डाली जा सकती है। 
चीन में वुहान की वेट मार्किट
चीन में वुहान की वेट मार्किटों में जीवित जंगली जीव और समुद्री जीवों के गोश्त का बाज़ार लगता है, जहां सांप, चूहे, बिल्लियां, मुर्गे, कॉकरोच, कछुए, मछलियां, मगरमच्छ, कुत्ते इत्यादि सब मिल जाते हैं। इस मंडी में पौंगोलिन भी बेचा जाता है। सरकारी तौर पर तो इस पौंगोलिन की बिक्री पर पाबंदी है, लेकिन तस्करी के द्वारा व्यापारी ़गैर-कानूनी ढंग से इस पौंगोलिन को बेचते हैं। वुहान की यह वेट मार्किट है जो वायरसों का केन्द्रीय स्थान है, जहां पिंजरों में जानवरों को बंदी बनाकर हिरासत में रखा जाता है। लोग इन जानवरों को या तो घर पालने के लिए खरीदते हैं या अपना भोजना बनाने के लिए। यह जगह विषाणुओं (viruses) का एक खौफनाक संगम है। महान वैज्ञानिक कनिंघम कहते हैं कि जब जानवरों को इकट्ठा लाया जाता है या मंडी में जानवरों को एक-दूसरे के या इन्सानों के निकट रखा जाता है तो तब वायरसों की बड़ी संख्या में बढ़ावा होने की सम्भावना होती है। अन्य जानवर मानसिक तनाव में होने के कारण वायरस का शिकार हो सकते हैं। यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि जनवरी 2020 के अंत तक चीन की वेट मार्किटों में जीवित जंगली जानवरों और समुद्री जीवों के गोश्त का बाज़ार लगा था। जहां पौंगोलिन को भी बेचा जाता था। कोरोना वायरस फैलने से यह बाज़ार अब बंद कर दिया गया था। जंगली जानवर पौंगोलिन (Pangolin)) के बारे में थोड़ी जानकारी हासिल करते हैं। पैंगोलिन कीड़ों और दीमक के लारवे खाने वाला जंगली जानवर है। जिसकी पीठ नुकीली परतों से भरी होती है। इन नुकीली परतों (scales) से वह दुश्मन से अपनी रक्षा करता है। ़खतरा पड़ने पर पौंगोलिन अपनी पूंछ लपेट कर एक गेंद की तरह इकट्ठा हो जाता है। शिकारी इन नुकीली परतों की खोज को देखकर डर जाता है और हमला नहीं करते। पौंगोलिन के दांत नहीं होते। लम्बी चिपचिपी जीभ के साथ चिपका कर कीड़े और दीमक खाता है। विश्व भर में पौंगोलिनों की अन्य सभी जीवों से अधिक ़गैर-कानूनी तस्करी होती है। इनकी आठ प्रजातियों के राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार पर सख्ती की हुई है। फिर भी इसकी तस्करी खूब होती है। चीनी लोग पौंगोलिनों का मांस खाते हैं। इनकी नुकीली परतों के कारण पैंगोलिनों की चमड़ी को उतारा जाता है और इनका मांस खाना और चिंताजनक बात है। कोरोना वायरस का फैलाव शरीर के तरल मल्ल और सांस के द्वारा सोख लिया जाता है। कनिंघण और जोनज़ ने इनकी ओर इशारा करते हुए कहा है कि शारीरिक क्रियाओं के उछाल या गिरने की कुछ एक ही उदाहरणें मिलती हैं। जबकि यह गिरावट दिन में ही विश्व-व्यापी मुसीबत बन जाती है।  कनिंघम ने कहा है कि चमगादड़ पर आरोप क्यों लगाते हो, कसूर तो हमारा है कि हम किस ढंग से उनके साथ पेश आते हैं? एक-दूसरे पर इस परस्पर प्रभाव के कारण रोगजनक विषाणु और कोरोना विषाणु के कारण महामारी फैली है। पैंगोलिनों को कसूरवार कहने वाला इन्सान जंगली-जीवों को हद से ज्यादा पीड़ित करता है। उनको काट कर खाता है। मंडी में बेच कर धन कमाता है।  इस मुद्दे पर गम्भीर चिंता करने की ज़रूरत है। जंगली जानवरों में से रोग ढूंढने के स्थान पर हम उनको भी ज़मीन पर रहने के लिए स्थान दें।

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